शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2020

मुक्तक , बलात्कार आज समाज में फैली महामारी है

      नमस्कार , उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले से दिल दहला देने वाली #कथित सामुहिक बलात्कार की घटना देश में छायी हुई है , कुछ लोग इसे निर्थया 2 कह रहे है और कहा भी जाना चाहिए क्योंकि खबरों के मुताबिक उस बहन के साथ बर्बरता ही इतनी कि गई थी तभी तो वह पंन्द्रह दिन वह दर्द सहती रही और आखिर में दर्द नही सह पाई और इस दुनियां से चल बसी | खबर है कि चारों आरोपियों को पकड़ लिया गया है और कडी़ कार्यवाही करने का आश्वासन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा दिया जा रहा है | आथी रात को परिवार की मर्जी के बीना बेटी की लाश जलाने को लेकर पुलिस कि भुमिका संदेह के घेरे में है | मेरी यही मांग और प्रार्थना माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी से है जिसे मैने इन चार लाइनों में लिखा है


हर पीडित बेटी के साथ इंसाफ होना चाहिए

योगी तेरे राज से ये आगाज होना चाहिए

बलात्कार आज समाज में फैली महामारी है

इस महामारी का जड़ से इलाज होना चाहिए


     मगर इस बीच इसे लेकर जैसा हिंन्दुस्तान में आम तौर पर चुनाव के वक्त पर होता है सियासत भी खुब हो रही है | कुछ लोग इस सामाजिक अपराथ को दलित बनाम स्वर्ण बनाने पर लगे है , कुछ नेता मौकाफरस्ती कर रहे हैं , बलात्कार की खबरे अन्य राज्यों से भी आरही है पर सलेक्टिव होकर केवल उत्तर प्रदेश के हाथरस ही जा रहे है पीडित परिवार से मिलने मगर अन्य जगहों पर नही | ऐसे नेताओं के लिए भी मैने चार लाइनों में यू अपनी बात कहने कि कोशिश की है 


स्वार्थ के लिए इस धरा को नर्क मत करो

सियासत के लिए दिखावे का वर्क मत करो

एक जगह खुब होहल्ला दुसरी जगह सन्नाटा

नेताजी सुनोंं बेटी बेटी में तो फर्क मत करो


     मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आए है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इन मुक्तकों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |


2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-10-2020) को     "एहसास के गुँचे"  (चर्चा अंक - 3844)    पर भी होगी। 
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
    सादर...! 
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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    उत्तर
    1. मेरी रचना चर्चा अंक में सामिल करने के लिए डॉ साहब बहुत आभार आपका

      धन्यवाद |

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