नमस्कार , पिछले एक महिने के दौरान मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हे मैं अपके समक्ष प्रस्तुत करने कि इजाजत चाहूँगा , मुक्तक देखें के
हर सबूत को हर सत्य को तोड़ मरोड़ करने पर आमादा हैं
वो पत्रकारिता के नाम पर कातिलों से गठजोड़ करने पर आमादा हैं
आतंकियों और कातिलों को मासूम बनाकर tv चैनलों पर दिखाने वाले
ये हमारी इंसाफ की लडा़ई को कमजोर करने पर आमादा हैं
बिना आग लगे कहीं से यू ही धूआं निकलता नही है
झुठ के तेल के बिना सच का चिराग जलता नही है
तुम सच कह रहे हो भारत तुम पर भारत यकीन करता है
किसी के काला कहने से सुरज का सच बदलता नही है
मोहब्बत का ठोंग रचा जाता है वफा का नाम लेकर
वो तुमसे झुठ बोलता है तुम्हारे खुदा का नाम लेकर
तुम भी तीसरी बार मोहब्बत करो दिल साफ करके
और इसकी शुरुआत करों पहली दो बेवफा का नाम लेकर
पाप को तेरी ललकार सुनी है आज पुरी दुनियां ने
सत्य की सच्ची पुकार सुनी है आज पुरी दुनियां ने
अत्याचारी दंभ भरेगा कब तक अपनी झुठी सत्ता का
हिन्द के शेरनी कि दहाड़ सुनी है आज पुरी दुनियां ने
'चौकिदार चोर है' के खुब नारे लगे थे
चुनाव जीतने इसी के सहारे लगे थे
कोई इन्हें न झुठा कहो न कहो फरेबी
पास होने के चक्कर में पप्पु हमारे लगे थे
हर पीडित बेटी के साथ इंसाफ होना चाहिए
योगी तेरे राज से ये आगाज होना चाहिए
बलात्कार आज समाज में फैली महामारी है
इस महामारी का जड़ से इलाज होना चाहिए
स्वार्थ के लिए इस धरा को नर्क मत करो
सियासत के लिए दिखावे का वर्क मत करो
एक जगह खुब होहल्ला दुसरी जगह सन्नाटा
नेताजी सुनोंं बेटी बेटी में तो फर्क मत करो
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इन मुक्तकों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
सभी मुक्तक उपयोगी और सुन्दर हैं।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार डॉ साहब आपका
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