शनिवार, 3 अक्टूबर 2020

ग़ज़ल , फला कहता है विकास की बहार आई है

      नमस्कार , मैने आज एक नयी ग़ज़ल लिखी है जिसे मैं अपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूँ पढ़ कर जरुर बताए की कैसी रही 

फला कहता है विकास की बहार आई है

मेरी दुआ तो उसकी नजर उतार आई है


सुनते हैं उसने कोई नया कानुन बनाया है

किसानों में गुस्से की खबरें हजार आई है


योगीजी के राज में बलात्कार होगया भाई

सियासत करने वालों की भरमार आई है


लगता है देश में गृहयुद्ध करा देंगें न्युज चैनल

ब्रेकिंग न्युज एक के बाद एक लगातार आई है


फलाने का लड़का अब पड़ता है रात भर

उस गांव में ना बिजली पहली बार आई है


सुखीया दद्दा बता रहे थे दुक्खीलाल को

इलाज मुफ्त जब से फला की सरकार आई है


तनहा एक तो चुनाव दो हार उस पर महामारी

विरोधी नेताओं की नयी पीढी़ ही बेकार आई है

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      इस ग़ज़ल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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