शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

गज़ल, आज तो तनहा बहुत खुश हुँ मैं


     नमस्कार , आज मै यहा अपनी 2019 की शुरुआती महीनों मे लिखी कुछ गजलें आपके साथ बांट रहा हुं मुझे यकिन ही नही पुरा विश्वास है कि आप को यह गजल अच्छी लगेगी

यही ना के फिर शाम होने वाली है
एक और गमगीन रात तेरे नाम होने वाली है

तुझे तो मोहब्बतों के ख्वाब आते होंगे
मेरी तो नींद तक हराम होने वाली है

आज फुर्सत से लिख रहा हुं तुझको
आज मेरी गजल तमाम होने वाली है

आज तो तनहा बहुत खुश हुं मैं
आज तनहाई बदनाम होने वाली है

      मेरी ये गज़ल अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस गज़ल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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