नमस्कार , 15 जुन की रात भारत और चीन की सीमा पर जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) कहा जाता है कि गलवान घाटी में जिस तरह से चीनी सैनिकों ने कायरता पुर्वक हमारे भारतीय सैनिको पर धोखे से हमला किया वह बहोत ही निंदनीय है और हमारी भारतीय सेना के जवानों ने जिस बहादुरी से चीनी सैनिकों का सामना किया और विभिन्न मिडिया रिपोर्ट्स के आधार पर 50 के करीब चीनी सैनिक मार गिराए यह दिखाता है कि भारत की सेना कि बहादुरी का मुकाबला दुनियां की कोई भी सेना नही कर पाएगी | इस दोनों सेनाओं की झड़प में हमारी भारतीय सेना के एक अधिकारी सहीत 20 भारतीय जवान भी शहीद हुए हैं और पुरा देश उनकी वीरगती और सर्वोच्च बलिदान को नमन करता है |
इस पुरे घटना क्रम पर मैने तीन मुक्तक लिखें हैं जिन्हें मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं उम्मीद है आपको प्रसंद आएंगे
शहीदों के दम पर कायम हमारी आजादी है
भारत के दुश्मनों अब तय तुम्हारी बर्बादी है
मलाल ये के दुश्मन भी दो कौंडी़ के मिले हैं हमें
एक कि नस्ल जेहादी है दुसरे की धोखेबाजी है
कहते हैं रोने से शहीदों की शहादत का मान घटता है
मातृभूमि पर बलिदान होकर ही जीवन का मान बढ़ता है
जिसके घर का चिराग बुझा है अंधेरा तो वही जानेगा
बेटे को तिरंगे में लिपटा देखकर मां का कलेजा फटता है
सारे समझौतें को संबंधों को सीमाओं को जो तोडा़ तुमने
हमे निहत्था जान झुंड बना जो घात लगाकर घेरा तुमने
तबाही का बर्बादी का और मौत का तांडव देख लिया
जो हल्दी घाटी के वीरों को गलवान घाटी पर छेडा़ तुमने
मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आए है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |
इन मुक्तकों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
इस पुरे घटना क्रम पर मैने तीन मुक्तक लिखें हैं जिन्हें मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं उम्मीद है आपको प्रसंद आएंगे
शहीदों के दम पर कायम हमारी आजादी है
भारत के दुश्मनों अब तय तुम्हारी बर्बादी है
मलाल ये के दुश्मन भी दो कौंडी़ के मिले हैं हमें
एक कि नस्ल जेहादी है दुसरे की धोखेबाजी है
कहते हैं रोने से शहीदों की शहादत का मान घटता है
मातृभूमि पर बलिदान होकर ही जीवन का मान बढ़ता है
जिसके घर का चिराग बुझा है अंधेरा तो वही जानेगा
बेटे को तिरंगे में लिपटा देखकर मां का कलेजा फटता है
सारे समझौतें को संबंधों को सीमाओं को जो तोडा़ तुमने
हमे निहत्था जान झुंड बना जो घात लगाकर घेरा तुमने
तबाही का बर्बादी का और मौत का तांडव देख लिया
जो हल्दी घाटी के वीरों को गलवान घाटी पर छेडा़ तुमने
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नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार (06-07-2020) को 'नदी-नाले उफन आये' (चर्चा अंक 3754)
पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
--
-रवीन्द्र सिंह यादव
सुन्दर और सामयिक मुक्तक।
जवाब देंहटाएंजय हिन्द जय हिन्द की सेना
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति