नमस्कार , आज मै यहा अपनी 2019 की शुरुआती महीनों मे लिखी कुछ गजलें आपके साथ बांट रहा हुं मुझे यकिन ही नही पुरा विश्वास है कि आप को यह गजल अच्छी लगेगी
वो तो अहले शहर का मेहमान है , और कुछ नही
हां थोडी़ बहोत जान पहचान है , और कुछ नही
मै तो बस खैरीयत पुछने चला गया था
वो एक बडा़ अच्छा इंसान है , और कुछ नही
जहां ईश्क मिजाज परिंदों का बसेरा नही होता
वो दिल बंजर है विरान है , और कुछ नही
भला ये क्या कह दिया आपने नही बिलकुल नही
दिल अभी मोहब्बत लफ्ज से अंजान है , और कुछ नही
अब कयामत तक तनहा वो न निकलेगा मेरे दिल से
वो मेरी जिश्म है जान है , और कुछ नही
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इस गज़ल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
बहुत सुन्दर।
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