रविवार, 12 मई 2019

मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 4

    नमस्कार , हाल के दो तीन सप्ताह में अपने लिखे कुछ नए मुक्तक आपकी महफ़िल के हवाले कर रहा हूं पढ कर जरूर देखिएगा शायद किसी लायक हों

बुज़ुर्गों की दुआएं भी दौलत की तरह होती है
नेक इंसानों की शख़्सियत भी सोहरत की तरह होती है
यही गलती कहीं तुम भी तो नही कर रही हो
बहोत ज्यादा नफरत भी मोहब्बत की तरह होती है

कम शब्दों में बड़ी बात कह रहा हूं समझ जाओ ना
इसी लहजे में दिल के ज्जबात कह रहा हूं समझ जाओ ना
तुम तो मेरी धड़कनो में हो सांस बनकर
मै तुमसे कहना चाहता हूँ वही बात समझ जाओ ना

ऐसे ही 72 हजार खाते में आएंगे
सरकार गर बनाएंगे तो कर दिखाएंगे
नयी तकनीक का ये दौर है ये भी है मुमकिन
आलु की अब सब्जी नही सोना बनाएंगे

जो थे पहले संत्री उन्हें मंत्री बना दिया
इतने घोटाले कर दिये की जेल भर दिया
अब होगा न्याय वादा ये पुरा भी कर रहे हैं
खून लगे हाथों को मुख्यमंत्री बना दिया

अब गठजोड़ कर लेना यही इंतजाम है
नाम बदले चोरों का अब काम तमाम है
उनके परिवार कि दौलत है उनके नाम होनी चाहिए
प्रधानमंत्री बनना तो ख़ानदानी काम है

हम सबसे बड़े लोकतंत्र अभिमान कीजिए
संविधान से मिले हक का भी सम्मान कीजिए
एक वोट तय करेगा इस देश का भविष्य
मतदान है कर्तव्य मतदान कीजिए

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      इन मुक्तक को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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