रविवार, 12 मई 2019

मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 3

      नमस्कार , हाल के दो तीन सप्ताह में अपने लिखे कुछ नए मुक्तक आपकी महफ़िल के हवाले कर रहा हूं पढ कर जरूर देखिएगा शायद किसी लायक हों

फुल बन के महक जाउंगा
तेरी यादों में घर बनाउंगा
जब भी देखों गी तू किताबों को
बस मै ही मै याद आउंगा

और कहीं मत चली जाना
इतना भी मत कहीं भुल जाना
जाते वक्त छोड़ गई थी जहां
जब भी आना वही आ जाना

तेरी वाह वाही नही मिलेगी तो मेरी हर शायरी बेकाम हो जाएगी
गमों से भरी हुई हर मुस्कराती साम हो जाएगी
ताउम्र मेरी किसी भी बात का बुरा मत मानना मेरी यार
तू जो मुझसे रुठ जाएगी तो मेरी रातों की नींदें हराम हो जाएगी

फ़रेबीयों कि भीड़ में अकेली सच्ची दिखती है
तू बहोत क्यूट सच्ची मुच्ची दिखती है
ये  मासूमियत ही तो पहचान हैं तेरी
मेरी यार जब तू हंसती है ना बहोत अच्छी दिखती है

ये तो सवाल ही नही है कि कौन किसको नही समझता
मसला ये है के दोनों में से कोई मोहब्बत नही समझता
रात दिन यही कह कर लड़ता है एक प्रेमी जोड़ा
तू मुझे नही समझता तू मुझे नही समझता

तेरे लिए जीउंगा तेरे तेरे लिए मर जाऊंगा
तू वो नगमा है जिसे मैं गुनगुनाऊंगा
मैं ने जो वादा किया है उस पर यकीन करना
मै नही हूं कोई नेता जो वादा करूंगा भुल जाऊंगा

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      इन मुक्तक को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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