नमस्कार , शेरो शायरी पसंद करने वाले , पढने वाले लोगों के लिए पेश है मेरी तरफ से मेरे हाल ही में मेरे लिखे चंद असार
एक मतला और एक शेर देखें के
प्यार करना , मगर जबरन हक मत जताना
उनका प्यार फूल है , फूलों को जरा आहिस्ता सहलाना
उनका प्यार फूल है , फूलों को जरा आहिस्ता सहलाना
वह अगर तुमसे रूठ जाए , यह हक है उनका
तो तुम उन्हें मनाना , तुम भी उनसे मत रुठ जाना
तो तुम उन्हें मनाना , तुम भी उनसे मत रुठ जाना
और कुछ शेर देखें के
हां यह सच है मैं टूटा जरूर हूं
मगर मुझे कांच सा बिखरना नहीं आता
वह और लोग होंगे जो अपने रुख से पलट जाते हैं
सच बात कह कर मुझे मुंकरना नहीं आता
सच बात कह कर मुझे मुंकरना नहीं आता
और एक ये मतला और ये शेर समात फर्माये के
अगर कहीं पर्दा है तो रहना जरूरी है
इंसान को इंसान बना रहना जरूरी है
इंसान को इंसान बना रहना जरूरी है
नाजुक गुलाब की पंखुड़ियों को नोचकर इधर-उधर फेका जाता है
नाराजगी कभी-कभार यूं भी जताई जाती है
नाराजगी कभी-कभार यूं भी जताई जाती है
और मख्ते का शेर यू होता है के
अगर ' हरि ' को भी हुनर होता हमलो से बच निकलने का
तो यकीनन वो निगाहो के इन तीरों से घायल नही होता
तो यकीनन वो निगाहो के इन तीरों से घायल नही होता
मेरी शेरो शायरी कि ये छोटी सी पेशकश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें