आपको भूतों से डर लगता है ? यह सवाल अगर किसी से
भी पूछा जाए तो
उसका जवाब
ना होगा लेकिन अगर कोई रात के वक्त आपके पास आकर अचानक कहे ,'वह देखो भूत' तो दिल डर सा जाता है डरने की वजह कहीं ना कहीं उस अंधविश्वास को मानना है कि दुनिया में भूत होते हैं | जबकि विज्ञान के अनुसार भूत जैसी कोई भी चीज दुनिया में नहीं होती और यह बात हर पढ़ा लिखा व्यक्ति जानता है | लेकिन फिर भी ऐसी बातें सुनकर डर जाता है क्योंकि हम बचपन से ही भूत प्रेतों की कहानियां सुन-सुनकर और भूतिया धारावाहिको को देखते हुए बड़े हुए हैं इसीलिए हमारा मन ना चाहते हुए भी कहीं ना कहीं इस अंधविश्वास को मानता है की भूत है | यह शायद मानवीय मनोविज्ञान की बात हो
सकती है |
हमारे देश में अंधविश्वास इस कदर है कि बीमारियों का इलाज भी पहले किसी डॉक्टर से नहीं बल्की झाड़ फूंक करने वाले बाबाओं से कराया जाता है | और
ऐसे झाड़-फूंक वाले ढोंगी बाबा लोगों की अंधश्रद्धा का गलत तरीके से फायदा उठाते हैं और अपनी झोलियां भरते हैं | काला जादू , टोना टोटका आदि न जाने कितने ऐसे अंधविश्वास है जिन
पर लोग यकीन रखते हैं | नरबलि जैसी घटनाएं अक्सर प्रकाश में आती रहती हैं जिनकी वजह बनता है लोगों का अंधविश्वास |
हम 21वीं सदी में जी रहे हैं जिसे विज्ञान का युग कहां जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी | लेकिन आज भी हमारे समाज में अंधविश्वास विद्यमान है | अब जरूरत है कि समाज के हर व्यक्ति को , हर वर्ग को , हर समुदाय को अंधविश्वास के प्रति जागरूक कराया
जाए | जागरूकता की यह मुहिम सरकारी तथा गैर सरकारी भी हो | और इस जागरूकता मुहिम में हम आम जन भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लें |
अंधविश्वास के प्रति जागरूकता की एक छोटी सी मुहिम का आगाज एक कविता लिखकर मैंने अपने स्तर पर करने की कोशिश की है | मुझे उम्मीद है कि जागरूकता की इस मुहिम में आप सब भी हिस्सा लेंगे | कविता कुछ इस तरह है -
अब सर्वत्र ज्ञान का दीया जलाना पड़ेगा
विज्ञान के इस युग में
हमने सागर की गहराई नापली
आसमान की ऊंचाई नापली
फिर भी भूत-प्रेत चुड़ैल डायन की अफवाहें हैं
इस डर को भगाना पड़ेगा
अब सर्वत्र ज्ञान का दीया जलाना पड़ेगा
आज हमें चांद तक जाने का रास्ता मालूम है
हमें सूर्य
के चमकने का कारण मालूम है
पूरी दुनिया की
संरचना मालूम है
फिर भी हम काले जादू , टोने - टोटके में विश्वास करते हैं
हमें इन अंधविश्वासों को मिटाना पड़ेगा
अब सर्वत्र ज्ञान का दीया जलाना पड़ेगा
हम पृथ्वी का इतिहास जानते हैं
अब मानव शरीर की संरचना को जानते हैं
हम भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वअनुमान लगा सकते हैं
लेकिन फिर भी झाड़ फूंकवो बाबाओं तांत्रिकों को अपना वैद्य मानते हैं
ऐसे ढोंगी पाखंडियों झाड़ फूंकवो बाबाओं तांत्रिकों को सबक सिखाना पड़ेगा
इनको धूल चटाना पड़ेगा
अब सर्वत्र ज्ञान का दीया जलाना पड़ेगा
मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने विचार
को बयां करते
वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |
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