गुरुवार, 9 सितंबर 2021

कविता , हिमाचल और हिमालय

       नमस्कार , लगभग महीने भर पहले मैने ये कविता लिखी थी जिसे मैं किसी व्यस्तत्ता के कारण आपसे साझा नही कर पाया था आज कर रहा हूं मुझे यकीन है कि आपको यह कविता पसंद आएगी 

हिमाचल और हिमालय 


हिमाचल और हिमालय 

जैसे शिव और शिवालय 


शिमला , मनाली कि पहाड़िया 

किनौर कि शॉलें कुल्लू की टोपीया 


डलहौजी का मोहक पर्यटन है 

खेल स्कीइंग और पर्वतारोहन है 


प्रकृति के वो अनमोल नजारे 

सौन्दर्य से भरपूर नदियों के किनारे 


संस्कृति का विसाल संग्रहालय 

हिमाचल और हिमालय 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


कविता , लद्दाख संस्कृति है कितनी महान

       नमस्कार , लगभग महीने भर पहले मैने ये कविता लिखी थी जिसे मैं किसी व्यस्तत्ता के कारण आपसे साझा नही कर पाया था आज कर रहा हूं मुझे यकीन है कि आपको यह कविता पसंद आएगी 

लद्दाखी संस्कृति है कितनी महान 


लद्दाख को मिल गई अपनी पहचान 

पर्वतों पर पला है बौद्ध ज्ञान

एक से बढ़कर एक विद्वान 

लद्दाखी संस्कृति है कितनी महान 


गोम्पा उत्सव विश्वंभर में प्रसिद्ध है 

कितना आकर्षक मुखौटा नृत्य है 

यहां काली मां भी पाती सम्मान 

लद्दाखी संस्कृति है कितनी महान 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


कविता , जिसे कहते हैं हम जम्मू कश्मीर

      नमस्कार , लगभग महीने भर पहले मैने ये कविता लिखी थी जिसे मैं किसी व्यस्तत्ता के कारण आपसे साझा नही कर पाया था आज कर रहा हूं मुझे यकीन है कि आपको यह कविता पसंद आएगी 

जिसे कहते हैं हम जम्मू.कश्मीर


मां वैष्णो देवी का ये उपकार है 

बाबा अमरनाथ का भी दरबार है 

जिसे कहते हैं हम जम्मू.कश्मीर में 

स्वर्ग की अनुभूति का आनंद ही अपार है 

नवरेह का नवचंद्र का नव वर्ष है 

ईद , दशहरा , शिवरात्रि का भी पर्व है 

कश्मीरी कश्मीरीयत का यही अर्थ है 

तभी तो कहते हैं जम्मू.कश्मीर स्वर्ग है 

      मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

ग़ज़ल , उस खुबसुरत चेहरे की कलाकारी देखो

      नमस्कार , लगभग एक से दो हफ्ता पहले मैने ये ग़ज़ल लिखी थी जिसे मैं आज आपके साथ साझा कर रहा हूं ग़ज़ल कैसी रही मुझे जरूर बताइएगा 

उस खुबसुरत चेहरे की कलाकारी देखो

फिर दिल के भीतर की मक्कारी देखो 


गर नमूना देखना हो तुम्हें ईमानदारी का 

तो जा के कोई दफ्तर सरकारी देखो 


आज इंसानों ने बहुत तरक्की कर ली है 

मगर जानवरों की वफादारी देखो 


दवा बनाने से पहले कब्रिस्तान बनाए गए 

महामारी में सरकारों की तैयारी देखो 


एक बार में पुरा हासिल नही होगा तनहा 

मुझे देखना हो यार तो बारी-बारी देखो 

      मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


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