गुरुवार, 19 अक्तूबर 2017

दीपावली पर एक नया चिराग जलाओ ना


दीपावली
   
  आप सबको दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं | दीपावली प्रकाश का पर्व है , अज्ञानता से ज्ञान की ओर गमन का पवित्र संदेश देता है | दीपावली पर्व का इतिहास बताता है कि दीपावली पर्व खुशियों के घर आगमन का प्रतीक है | घर के आंगन में जलते कतारबद्ध दीपों की रोशनी सभी प्रकार के दुख रूपी अंधकार को दूर कर एक नई ऊर्जा भर देती है |

दीपावली

        दीपावली हमारे देश के कोने - कोने में एक समान रुप से मनाई जाती है | जलते हुए दीपकों की रोशनी में आतिशबाजी का आनंद इस त्यौहार की गरिमा है | दीपावली के दीए हमारे घर के वातावरण को तो रोशन कर देते हैं , ज्ञान के उजाले की ओर जाने की प्रेरणा तो देते हैं लेकिन क्या हम लोग अपनी सोच में वह उजाला लाते हैं ? | दिवाली के इस शुभ अवसर पर मैंने एक कविता लिखी है | मुझे उम्मीद है कि मेरी यह कविता सोच के एक 
नए दीए की रोशनी से ओतप्रोत है |

एक नया चिराग जलाओ ना

नए सुबह की नई रात है
पर रुढीयो की अभी वही पुरानी बात है
अपने नए ज्ञान से तुम
अज्ञानी अंधेरों को मिटाओ ना
          एक नया चिराग जलाओ ना

दीपावली

मत मारो तुम कोख मे हीं मैया
अपने प्यारे बचपन को
हर सुख देगी , कुछ न लेगी
भर देगी घर - आंगन को
बदल रही है पूरी दुनिया
थोड़ा तुम भी बदल जाओ ना
          एक नया चिराग जलाओ ना

हर तरफ हो भाईचारा
दुनिया में अमन की सुगंध महके
प्यार भरा हो जल - नभ में
सब को प्यार सिखाओ ना
          एक नया चिराग जलाओ ना

यह कविता आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार | दीपावली पर एक नया चिराग जलाओ ना

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