शनिवार, 21 सितंबर 2019

भोजपुरी लोकगीत, पहीले खिड़की के पाला सटा ली, केवाडी के कीली लगा ली

    नमस्कार, वैसे तो रह भाषा ही बहोत मिठी होती है मगर भोजपुरी भाषा के लिए यह कहा जाता है कि दुनिया कि सबसे मीठी भाषा है भोजपुरी भाषा भारत के कई उत्तर भारतीय राज्यों में बोली एवं समझी जाती है मगर फिर भी भोजपुरी भाषा आज भी मात्र एक बोली है इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है |भोजपुरी भाषा की अपनी एक फिल्म इंडस्ट्री है जिसे भोजबुड कहते हैं जो काफी मसहूर एवं कामयाब होती हुई फिल्म इंडस्ट्री है | इसी भाषा की मधुरता पर मोहित होकर मैने दो नए भोजपुरी लोकगीत लिखे है जिनमे से दूसरा इस तरह है

उपरउछता हमार मोहब्बत के पानी ए रानी
आव तोहके सीना से सटा ली
एजी हटी , पहीले खिड़की के पाला
सटा ली , केवाडी के कीली लगा ली

बड़ी भाग से मिलल आजू के रात बा
केतना हसीन तोहर हमार मुलाकात बा
प्यार में पागल हमनी के दू पंछी
आज इ सारी कायनात हमनी के साथ बा
चलाइ प्यार के गाड़ी आव मोमबत्ती जला ली
एजी हटी , पहीले खिड़की के पाला
सटा ली , केवाडी के कीली लगा ली

सात जनम के साथ बा मिलल खिलल फूलवा गुलाब के
सोलह सिंगार अउर सोना के सुघराई ओहु पर रुप महताब के
सांच भईल आज रोज देखल हर सपनवा
लागे जईसे पुरा हो कउनो मोहब्बत के कहानी किताब के
मन करे तोहके कोरा में उठा ली
एजी हटी , पहीले खिड़की के पाला
सटा ली , केवाडी के कीली लगा ली

उपरउछता हमार मोहब्बत के पानी ए धनी
आव तोहके सीना से सटा ली
एजी हटी , पहीले खिड़की के पाला
सटा ली , केवाडी के कीली लगा ली

      मेरी ये भोजपुरी लोकगीत अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस भोजपुरी लोकगीत को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

भोजपुरी लोकगीत, ए हमार धनी हमके उ दे द ना

    नमस्कार, वैसे तो रह भाषा ही बहोत मिठी होती है मगर भोजपुरी भाषा के लिए यह कहा जाता है कि दुनिया कि सबसे मीठी भाषा है भोजपुरी भाषा भारत के कई उत्तर भारतीय राज्यों में बोली एवं समझी जाती है मगर फिर भी भोजपुरी भाषा आज भी मात्र एक बोली है इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है |भोजपुरी भाषा की अपनी एक फिल्म इंडस्ट्री है जिसे भोजबुड कहते हैं जो काफी मसहूर एवं कामयाब होती हुई फिल्म इंडस्ट्री है | इसी भाषा की मधुरता पर मोहित होकर मैने दो नए भोजपुरी लोकगीत लिखे है जिनमे से पहला इस तरह है

नाही चाही केहू अउर से तू दे द ना
ए हमार धनी हमके उ दे द ना

तोहार बाली उमर जइसे पानी के लहर
सुराही के नियन के तोहार पतली कमर
इ काने के बाली इ ओठवा के लाली
दिलवा पर हमरे गीरावता कहर
आज लव के डोज हमके लव गुरू दे द ना
ए हमार रानी हमके उ दे द ना

ए राजाजी तोहार परपोजल हम करतानी खारिज
झूठे के हमार ऱउआ करतानी तारीफ़
आज कुछो ना मिली साधा जाई आफिस
बीन मौसम के हमरा पर करतानी प्यार के बारिश
हमके घर के ठेर काम से निजात केहू दे द ना

नाही चाही केहू अउर से तू दे द ना
ए हमार दिलजानी हमके उ दे द ना
नाही चाही केहू अउर से तू दे द ना
ए हमार धनी हमके उ दे द ना

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कविता, चेतना के वेद मंत्र

     नमस्कार, मैने कल रात को एक नयी कविता लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख हाजिर कर रहा हूँ

चेतना के वेद मंत्र

चेतना के वेद मंत्र
चिंतन के प्रथम यंत्र
समस्या है भीड़ तंत्र
समाधान है लोकतंत्र

चेतना के वेद मंत्र
विरोध के लिए हो स्वतंत्रत
मत बनाओ विरोध के अधिकार को
संपूर्ण राष्ट्र के लिए षड्यंत्र

चेतना के वेद मंत्र
यहॉ कोई नही है महंत
हर आत्मा हो सकती है संत
दुर विकारों का होगा अंत

चेतना के वेद मंत्र

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कविता, तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

     नमस्कार, एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष एक लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं इसकी बजह है आम जन में सड़क यातायात नियमों के प्रति जागरूकता की कमी एवं नियम तोड़ने पर दंड का मामुली प्रावधान | यही बजय है कि जब केन्द्र सरकार ने एक सितंबर से नए नियम लागू किए तो बडी मात्रा में लोगों के चालान काटे गए और कुछ लोगों में नए नियमों को लेकर असंतोष भी देखने को मिला | आगामी चुनावों को देखते हुए कुछ राज्य की सरकारों ने इस नए नियम को लागू ही नहीं किया या लागू भी किया तो चालान की राशि बहोत कम करदी | देश का एक जिम्मेदार नागरीक एवं जिम्मेदार शायर होने के नाते मेरा ये मानना है की राज्य की सरकारों को स्वयं की राजनीति से उपर उठकर लोगों के हित में इन नए नियमों को लागू करना चाहिए | इसी विषय पर मेरी ये छोटी सी नयी कविता देखें

तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

चाहो तो जेवर समझकर पहन लो
या इसे फैशन कहकर पहन लो
मगर तुम्हें कसम है इनकी
तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

ये सड़क केवल तुम्हारी नहीं है
पर जान तुम्हारी अपनी है
यह नियम यह कानून सब तुम्हारे लिए हैं
पहचान तुम्हारी अपनी है
याद रखो घर पर कोई तुम्हारा इंतजार कर रहा है
शराब पीकर वाहन चलाने को कह दो नो
तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

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