रविवार, 11 अप्रैल 2021

दो मुक्तक , फिर वही बात

     नमस्कार , काव्य कलश पत्रिका परिवार के साप्ताहिक प्रतियोगिता आयोजन शब्द सुगंध क्रमांक -40 में विषय-फिर वही बात में विधा-मुक्तक में दिनांक-19/02/2021 , दिन-शुक्रवार को मैने अपने लिखे दो मुक्तक प्रतियोगिता में सम्मिलित किए थे जिन्हें प्रतियोगिता के संपादकों के द्वारा सम्मानित किया गया है 

रचना-


ये सभी नखरे आज कर रही है

चल ना इशारे ये रात कर रही है

मैं कह तो रहा हूँ हां मोहब्बत है

यार तू फिर वही बात कर रही है


वो थोडा़ बहुत घबराई है

फिर तब जरा सा शर्माई है

क्या अदाकारी है रुठने की

फिर वही बात नजरआई है

     मेरे ये मुक्तक आपको कैसे लगे मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

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