नमस्कार , मुंतजिर हुं कि सितारों की जरा सी आंख लगे , चांद को छतपे बुला लुंगा इशारा करके | राहत इंदौरी का sab tv पर वाह वाह क्या बात है के शो में सुना मेरा पहला यही वो शेर है जिसने मुझे उस दौर में राहत साहब का दिवाना बना दिया था और मेरी दिवानगी का आलम यह था कि जब मैं शो देखता था तो पेन और कॉपी लेकर बैठता था राहत साहब को तभी से मैं लगातार पढ़ता सुनता और देखता आ रहा हुं और यदि मैं सच कहुं तो आज जिस तरह भी टूटी फुटी गजल या शेर कह पाता हुं तो उसमें राहत साहब का बडा़ योगदान है क्योंकी उन्हीं की शायरी को सुन सुन कर मुझे शायरी से मोहब्बत हो गयी
राहत साहब के जाने का सबसे बडा़ नुकसान यह हुआ है कि अब आने वाली पीढि़यां हिंदी उर्दु शायरी के इस अजिम जादुगर शायर का लाइव नही सुन पाएंगी मगर मुझे यहा थोडा़ सुकून है कि कम से कम एक बार मैने राहत साहब को लाइव सुना है मैं चाहता था कि जीवन में कम से कम एक बार उनसे मिलुं और उन्हें अपनी गजलें और शेर सुनाउं और उनसे कुछ दाद लूं मगर अब मेरा ये ख्वाब महज एक ख्वाब बनकर रह गया है इसलिए मैने शेर में भी कहा है कि मेरा तो निजी नुकसान हुआ है |
दुनिया के लिए एक शख्स हलाकान हुआ है
मगर मेरा तो निजी नुकसान हुआ है
अब जब राहत साहब हमारे बिच नही रहे तो उनकी तमाम ग़जलें तमाम शेर हमें उनके हमारे बीच होने का आभास कराते रहेंगें मेरी प्रभु श्री राम से प्रर्थना हैं कि दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें ओम शांति 🙏
राहत साहब की शायरी को लेकर लोगों का अक्सर मिला जुला रुप रहा | जब से मैने उन्हें पढ़ना सुनना शुरु किया था तब से मैने यह महसुस किया की उनकी शायरी को लेकर अक्सर ही कुछ लोग नाराज तो कुछ लोग ताराज रहें | उनके कुछ शेरों को लेकर उनसे असहमत था और हमेशा मुझे यह लगता रहा कि राहत साहब ने ये क्यों लिखा और यही तो एक अच्छे पाठक की निशानि है अगर वह रचनाकार की तारिफ कर सकता है तो आलोचना भी कर सकता है | इसी को मन में रखकर मैने एक मुक्तक यू कहा है
अब हो गया मेरे लिए सपना वो
मानता ही नही था मेरा कहना वो
तो क्या हुआ तमाम गिले सिकवे थे
मगर था तो मेरा अपना वो
इन विचारों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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