नमस्कार , आपको एवं सम्पुर्ण भारतवर्ष तथा दुनियाभर के सम्पुर्ण रामभक्तों को श्रीराम मंदिर भुमि पुजन की हार्दीक शुभकामनाएं | आज मैं इस पावन दिन को साकार बनाने में जितने भी लोगों ने संघर्ष किया है उन सभी लोगों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करता हुं | साथ ही हमारे भारतवर्ष में प्रचलित प्रभु श्रीराम के लिए एक संबोधन कहें या शब्द को लेकर मुझे आपत्ति है,वह शब्द है 'इमाम-ए-हिंद' |
'इमाम-ए-हिंद' शब्द के बारे में कहा जाता है की सबसे पहले इसका उपयोग शायर इकबाल ने किया था तभी से यह जनमानस में गाहे ब गाहे इस्तेमाल होता आ रहा है | इस्लाम मजहब में इमाम कौन होता है तथा इमाम का दर्जा क्या होता है आप जानते हैं यदि ना जानते हो तो आप Google पर सर्च करके जान सकते हैं | हमार प्रभु श्रीराम हमारे लिए या यू कहुं तो हिन्दूओ के लिए भगवान हैं और हमारे भगवान प्रभु श्रीराम को एक इंसान के बराबर कहे जाने पर राम भक्त होने के नाते मुझे घोर आपत्ति है | यही वजह है कि मुझे इस लफ्ज 'इमाम-ए-हिंद' से आपत्ति है क्योंकि मेरे लिए खुदा हैं राम मेरे |
इमाम-ए-हिंद' शब्द के प्रति अपनी इसी भावना को दृष्टीगत रखते हुए मैने एक ग़ज़ल लिखी है जिसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं | आप इसके बारे में क्या सोचतें हैं और आपको यह ग़ज़ल कैसी रही अपने विचारों से अवगत कराइएगा |
उनके नाम कि कीर्तन में गुजरते हैं सुबहो साम मेरे
उनकी भक्ति करके पुरे हो जाते हैं चारों धाम मेरे
तुमने कह दिया बस इमाम-ए-हिंद उनको
मेरे लिए तो खुदा हैं राम मेरे
हम भी तुम्हारे अकिदे की इज्जत में साहब कहते हैं
और तुमने जानबूझकर बिगाडे़ हैं नाम मेरे
मेरे खुदा को इंसान के बराबर कह दिया तुमने
और कितना करोगे खुदा को बदनाम मेरे
ये हमदर्दी का दिखावा मत करो खबरों में
वर्ना आजतक तो बस बिगाडे़ हैं तुमने काम मेरे
अपने खुदा की ईवादत का ईवादतखाना बनाने के काबिल हैं हम
तनहा भक्त है राम का और हैं श्रीराम मेरे
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इस ग़ज़ल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
बेहतरीन ग़ज़ल
जवाब देंहटाएंआभार आपका डॉ साहब
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