मंगलवार, 26 नवंबर 2019

कविता, रंडी कहोगे मुझे

       नमस्कार , आज कि मेरी जो कविता है वह हमारे समाज के उस तबके के पर आधारित है जिसे समाज में कोई स्थान नही दिया जाता या यू कहुं तो उन्हे समाज का हिस्सा ही नही माना जाता जबकी सच्चाई ये है कि यही लोग हमारे सभ्य समाज कहने के अनुरुप में खामियों का आईना हैं | ये कविता है देह व्यापार मे लिप्त लोगो की तथा समाज के उनके प्रति रवैये की | मैने कही पढा था की हमारे भारत में करिब 80 लाख से 1 करोड से ज्यादा देह व्यापार मे लिप्त लोग हैं एवं यह आंकडा कम होने के बजाय दिन दुनी रात अठगुनी बढ रहा है जो कि यकिनन सरकारी नाकामयाबी है | मैने इस कविता में कई पहलुओ को लिखने की कोशिश की है मै इसमे कितना कामयाब रहा ये तो आप ही कविता पढकर मुझे बता सकते हैं

रंडी कहोगे मुझे

हां मै देह व्यापार करती हुं
तो क्या कहोगे मुझे ?
रंडी कहोगे
वेश्या कहोगे
तबायब कहोगे
पतुरिया कहोगे
प्रास्टीट्युड या सेक्स वर्कर कहोगे
बोलोना क्या कहोगे मुझे ?

पुछोगे नही मै रंडी कैसे बनी
कैसे करने लगी अपनी कोमल देह का सौदा
कैसे बेचने लगी अपनी चीखो को
कैसे पीने लगी अपनी आंशुओ को
कैसे धोने लगी आचल पर लगे खुन के दागों को
कैसे जश्न मनाने लगी सिने पर मिले जख्मों का
कैसे घोट पाई मै गला
अपने शुखी संसार के सपनों का
कैसे पी लेली हुं जमाने भर कि जील्लत ताने गालीया
मै तम्हारी सभ्य समाज के सिने मे पालने वाली जलन हुं
इस दुनियां के बनाए नियमों से आजाद
तिरस्कार कि गली में रहने वाली घुटन हुं
हां मै बद्चलन हुं
जिसे तुमने बनाया है

याद है तुम्हे
जब पेट की आग जलाती थी
जब मै तुम्हारे पास काम गांगने आती थी
तब तुम मेरी काबिलीयत नही मेरे सिने के उभार देखते थे
कैसे लचकती है मेरी कमर बार बार देखते थे
तो लो मै अब दिखाने लगी हुं
मुझे जन्म देने वाले तुम तो मेरे पिता थे
फिर मात्र कुछ नोंटो के लिए क्यो बेच दिया तुमने मुझे
मै तो यहां बोरे मे कैद लायी गयी थी
तब से कौन आया है यहां मेरी सुध लेने
मै तो शादी के बाद अपने पति को खा गई थी
यही कहा था समाज ने मुझे
जलिल करके ससुराल से निकाली गई थी
ऐसी लाखों कहानीयां है मेरी
बोलो कितनी सुनाउ तुम्हे
कहा कहा के लगे जख्म दिखाउं तुम्हे

आज जो तुम मुझ पर उंगली उठा रहे हो
ये तुम किसे निचा दिखा रहे हो
याद है वो रात जब तुम शराब के नशे मे गुम थे
मेरे जिस्म के पहले खरिदार तो तुम थे
सच सच बोल दुं क्या वो बात
मै नही गई थी तुम्हारा दरबजा खटखटाने
तुम हि आए थे मेरे पास
मुझे गाली देकर तुम किस गफलत में गुम हो
मेरी बर्बादी के जिम्मेदार तुम हो
तुम जरुरत हो इस बाजार की
तुम्हे जरुरत है इस बाजार की
और मै बाजारु हुं

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      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

बुधवार, 20 नवंबर 2019

मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 14

     नमस्कार , पिछले बीते महीने भर में मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हे मै आप के दयार में हाजीर  कर रहा हूं मुझे यकिन है आपको ये मुक्तक यकिनन पसंद आएंगे

अमृत पीने की तमन्ना कौन नही करता
मौत से ज्यादा जीने की तमन्ना कोन नही करता
मेरा उसका वस्ल बहोत मुस्कील है मगर
चांद को छुने की तमन्ना कौन नही करता

इश्वर अल्लाह भगवान गीता बाइबल कुरान मुझमें हैं
सारे हिन्दुस्तान में हुं मै और सारा हिन्दुस्तान मुझमें है
एक तरफ हैं फूलों के खेत खलिहान और पर्वत पहाडियां है
एक तरफ समंदर और सारा रेगिस्तान मुझमें है

जाने क्या इश्क के खेल में क्या अच्छा या बुरा है
आओ जाने तुम्हे मोहब्बत के बारे में कितना पता है
कैसी चलन है वो तुम्हे उसके बारे में क्या पता है
तम्हे उसके बारे में मुझसे ज्यादा पता है

खुशीयां मेरे हिस्से में कम और बहोत ज्यादा गम आते हैं
दिल तो बहोत रोता है मगर आंख में आशु जरा कम आते हैं
मेरी तरफ उंग्ली करके सारे रहनुमाओं ने ये कहा
पहले तुम आगे चलो फिर पिछे पिछे हम आते हैं

वही है हयात की कहानी मगर किरदार बदलते रहते हैं
दुनिया एक किराए का घर है और किराएदार बदलते रहते हैं
कभी मोहब्बत कभी गम कभी खुशी कभी तन्हाई
दिल बीमार भी वही है बस आजार बदलते रहते हैं

मन की सारी सेटिंग डिस्टर्ब हो गयी
जीवन के प्रोग्राम की इंटरप्ट हो गयी
वायरस कि तरह घुस गई हो दिल की हार्डडिस्क मे
मोहब्बत की सारी फाइले करप्ट हो गयी

जहर नहीं बेचता चटपटा चूरमा बेचता हूं मैं
बच्चों के लिए मीठी गोली और खुरमा बेचता हूं मैं
उस मोहल्ले की सारी लड़कियां मेरा इंतजार करती है
नाक की नथनी कान की बाली आंखों के लिए सूरमा बेचता हूं मैं

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रविवार, 10 नवंबर 2019

कविता, गुरु नानक देवजी की वाणी में

        नमस्कार , 9 नवंबर को राम मंदिर विवाद या अयोध्या विवाद पर देश की सर्वोच्च न्यायालय का फैसला आने के अलावा एक बहोत बडी शुरुआत हुई है जिसके बारे मे मैने पिछली वाली पोस्ट में मैने कहा थाकी मै अपनी अगली पोस्ट में उसके बारे में बात करुंगा |

       दरहसल वो बडी और नयी शुरुआत है 'करतारपुर गलियारा' जिसका उदघाटन भारत में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने किया एवं पाकिस्तान में पाकिस्तान के बजिरे आजम जनाब इमरान खान नियाजी ने किया | गुरुनाक देवजी कि 550वी जयंती के मोके पर खुल रहे इस एतिहासिक गलियारे का उपयोग सालभर भारतीय सिख श्रद्धालुओ के द्वारा किया जा सकेगा | करतारपुर गलियारे से 9 नवंबर का 550 श्रद्धालुओ का पहला जत्था दर्शन के लिए गया इसी के साथ एक नयी शुरुआत का आगाज हुआ | बाबा गुरुनानक देवजी की 550वी जयंती पर मैने बाबाजी के चरणो मे मेरी एक छोटी सी कविता रचना रखने कि कोशिश की है

गुरु नानक देवजी की वाणी में

गुरु नानक देवजी की वाणी में
जीवन जीने की शिक्षा
कठिन परिश्रम की इच्छा
सत्य की विजय की दीक्षा
विपरित समय में धैर्य की परीक्षा

गुरु नानक देवजी की वाणी में
आपस में बढता रहे सदा प्यार
एकजुट रहे सदा परिवार
मिलता रहे स्नेह का उपहार
सदा रहो अपनी सुरक्षा के लिए तैयार

गुरु नानक देवजी की वाणी में
प्रतिकुल परिस्थीतियों में धैर्यवान बनो
दुर्बलों की सुरक्षा के लिए बलवान बनो
हर कार्य में गुणवान बनो
अपने कुटुंब का सम्मान बनो

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शनिवार, 9 नवंबर 2019

काव्य , आएंगे सखी अयोध्या में राम

      नमस्कार , आज हमारे देश के इतिहास का सबसे बडा एवं सबसे विवादित मामले पर फैसला मानमीय सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है मै इस फैसले पर अपनी अथाह खुशी जाहिर करते हुए इस फैसले की पुरे देश को बधाई देता हुं साथ हि साथ मै ये भी कहना चाहता हुं की जिस तरह से सभी आसंकाओ को गलत साबित करते हुए पुरे देश ने इस फैसले को दिल से लगाया है मै इसे भी अपने देश के महान लोकतंत्र की विजय मानता हुं | आज का दिन भारत एवं विश्व के इतिहास मे शांति , सौहार्द एवं भाईचारे के प्रतिक के रुप मे स्वर्णिम शब्दों में लिखा जाएगा | आज एक और एतिहासिक शुरुआत हुई पर मै उसके बारे मे अगली आने वाली पोस्ट मे लिखूंगा |

       आज के इस फैसले की प्रसंसा एवं प्रसंन्नता मे मैने एक छोटा सा काव्य रचने की कोशिश की है जिसे मै आपके सामने रख रहा हुं मुझे उम्मीद है की ये आपको पसंद आएगा -

आएंगे सखी अयोध्या में राम

आएंगे सखी अयोध्या में राम
बरसों से रही है तड़पती अयोध्या
सिसकती अयोध्या तरसती अयोध्या
बिरहन बनी है नगरी अयोध्या
अब दर्शन की प्यास बुझाएंगे राम
आंगन में फिर मुस्काएंगे राम
आएंगे सखी अयोध्या में राम

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