शनिवार, 21 सितंबर 2019

कविता, कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

     नमस्कार, धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ऐसा हम दिन रात टीवी और अखबार में पढ़ते एवं सुनते रहते हैं लेकिन फिर भी बहोत बड़ी संख्या में आज हमारे देश में धूम्रपान करने वालों की संख्या है और यह संख्या निरंतर बढती जा रही है | बीडी सिगरेट को जलाने वाला हर व्यक्ति यह जानता है कि यह उसके लिए खतरनाक है लेकिन फिर भी वह इनका सेवन करता है आखिर ऐसा क्यों |धुम्रपान कई तरह के कैसर एवं मुंह तथा फेफडे में गोनी वाली बीमारीयों की वजह बनता है लेकिन फिर भी यह देश की हर गली हर शहर हर गांव हर मोहल्ले हर चौराहे बाजार बड़े बड़े होटलों में विकता है | जिस तरह से अब देश की सरकार ने ई सिगरेट बैन किया है यह बहोत सराहनीय कदम है सरकार का उसी तरह से अब समय आ गया है कि पूरे देश में हर तरह की सिगरेट बीडी बैन कर दी जाए |

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कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

धूआ उड़ाना दिलकश नहीं है
इसमें कोई इज्जत नहीं है
ये आफत है , राहत नहीं है
ये कोई अच्छी आदत नहीं है
मुंह में कैंसर , गले में कैंसर , फेफड़े में कैंसर
यही नजारा तुम्हारा भी होगा
उसको मरता हुआ आज पूरा शहर देख रहा है
याद रखो कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

जब सिगरेट हाथ में पकड़ता था वो
उसे छोड़ने के लिए किसी ने नहीं कहा था शायद
पर तुम्हें अभी समय है , मैं कह रहा हूं
यह आदत तुम्हारी प्रयास से छूट जाएगी एक दिन
यकीन मानो मैं कह रहा हूं
बुझा कर फेंक दो सिगरेट को
ये सारा जहां तुम्हारा भी होगा
अगर जो घूए को पीना छोड़ोगे नहीं
तो याद रखो कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

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कविता, मै मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की बात कर रहा हूं

     नमस्कार, आज जो मै बात कहने जा रहा हूँ वो पढकर हो सकता है आप मुझसे सहमत ना हो या हो कुछ भी हो सकता है और आप इस कविता को पुरी ना पढ़े ये भी हो सकता है मगर मेरी आपसे गुजारीस है कि एक बार जरूर पढ़े |  समय के साथ साथ हर चीज प्रासंगिक नही रह जाती है ऐसा हमारे धार्मिक किताबों के साथ भी होता है हां ये जरुरी नही है कि ऐसा हर किताब के साथ हो मगर कुछ किताबों के साथ ऐसा जरूर होता है उसी तरह की एक किताब है , मनुस्मृति | हमारे भारत देश के महान संविधान की मूल भावना सभी देशवासीयो की संविधान के समक्ष समानता और स्वतंत्रता है और हमारे देश का संविधान हम सभी देशवासीयो के लिए वरदान स्वरुप है | मगर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जातिवाद, छुआ छुत और कहीं न कही मनुवाद भी हमारे देश के लोकतंत्र की सफलता और संविधान की सफलता में भी बाधक तत्व हैं |

मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की बात कर रहा हूं

समाज में खाई तुम्हारी ही बनाई हुई है
इसमें गिर भी तुम्हेी रहे हो
रिश्तो में ये आग भी तुम्हारी ही लगाई हुई है
इसमें जल भी तुम्हीं रहे हो
अपनों के बीच यह दीवार भी तुम्हारी ही बनाई हुई है
सिर भी इस पर तुम्हें पटक रहे हो
क्या रामायण नहीं पढा तुमने ?
क्यों श्रीराम को भुला दिया तुमने ?
क्यों गीता नहीं पढी तुमने ?
भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को ठीक से सुना नहीं तुमने
एक ने शबरी के जूठे बैर खाए
तो दूसरे ने ग्वालों संग माखन खायी
तुम तो उनके हाथ का पानी तक नहीं पीते
जिन्होंने तुम्हें रामायण बताई
स्नातन है वसुधैव कुटुंबकम मानने वाला
तुम किस किताब की बात मान रहे हो
कौन मनु ?, किसकी स्मृति ?
मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की बात कर रहा हूं
तुम किसकी बात कर रहे हो ?

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कविता, क्या है भारत की सेना दुनिया वालों देखो तुम

     नमस्कार, ये तो पुरी दुनिया जानती है कि हमारे देश भारत में आतंकवाद फैलाने वाला बढाने वाला एक ही देश है और वो है पाकिस्तान और पाकिस्तान केवल भारत के लिए ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा है | पाकिस्तान और उसके प्रायोजीत आतंकवाद से हमारे देश भारत की सेना लड़ाने मे सक्षम है और लड ही रही है मगर यदि हमारे देश में ही रहकर हमारे देश के कुछ नेता हमारे देश का ही खाकर हमारे ही देश कि सेना का अपमान करते हैं और राष्ट की एकता को आघात पहुंचाते हैं तो एक कवि एक शायर को इस तरह कि कविता लिखने के लिए विवश कर देते हैं

क्या है भारत की सेना दुनिया वालों देखो तुम

बाढ़ से हाहाकार मची है
हर ओर छींक पुकार मची है
आशियाने बह रहे हैं सैलाबों उनके रेल में
जान बचाओ जान बचाओ धरती मां भी पुकार उठी है
जब जान बचाई एक बच्चे की सेना के जलदूतों ने
सलाम किया था बच्चे ने सैनिक को मन से सोचो तुम
क्या है भारत की सेना दुनिया वालों देखो तुम

यह भारत मां के बब्बर शेर गीदड़रों से नहीं डरते हैं
मातृभूमि के खातिर यह भूखों पेट लड़ते हैं
लोगों कि जान बचाने की खातिर जब भी भीषण बाढ में उतरते हैं
कंधो पर कई जिंदगियां बैठाकर पानी में मिलो पैदल चलते हैं
जबान ने जब जान बचाई एक मां की तो चरण स्पर्श कर लिए मां ने समझो तुम
क्या है भारत की सेना दुनिया वालों देखो तुम

ये वंशज है राणा के , पृथ्वी के , सुभाष के
इन सब के तेवर हैं जैसे भगत सिंह , आजाद के
मंगल पांडे , टाटा टोपे की बलिदानी इनको याद है
झांसी वाली रानी की कहानी इनको याद है
आतंकी धूर्त मूर्ख पड़ोसी को हमने चार बार हराया है
अब एक बार फिर लड़ने को वह हमसे अकुताया है
इस बार क्या होगा अंजाम तुम्हारा दुश्मन मेरे मत पूछो तुम
क्या है भारत की सेना दुनिया वालों देखो तुम

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नज्म, बोलो क्यों लाज नही आयी तुमको

      नमस्कार, ये तो पुरी दुनिया जानती है कि हमारे देश भारत में आतंकवाद फैलाने वाला बढाने वाला एक ही देश है और वो है पाकिस्तान और पाकिस्तान केवल भारत के लिए ही नही बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए खतरा है | पाकिस्तान और उसके प्रयोजतीत आतंकवाद से हमारे देश भारत की सेना लड़ाने मे सक्षम है और लड ही रही है मगर यदि हमारे देश में ही रहकर हमारे देश के कुछ नेता हमारे देश का ही खाकर हमारे ही देश कि सेना का अपमान करते हैं और राष्ट की एकता को आघात पहुंचाते हैं तो एक कवि एक शायर को इस तरह कि नज्म कहने के लिए विवश कर देते हैं

बोलो क्यों लाज नहीं आयी तुमको

दशकों से कश्मीर को धू धू के जलाया तुमने
कश्मीरी पंडितों को उनके घर से भगाया तुमने
मारे हैं सैनिकों के गालों पर जो तमाचे तुमने
कश्मीर में सेना पर पत्थर भी फेकवाया तुमने
तिरंगे से लिपटे हुए वीर सपूतों को भ्रष्टाचारी कहके
शहीदों की शहादत का भी अपमान किया है तुमने
तुम्हारे ऐसे देशप्रेम की हो ढेरों बधाई तुमको
बोलो क्यों लाज नहीं आयी तुमको

कभी कहते हो आतंकवाद का मजहब नहीं होता है
लेकिन फिर भी दुनिया को हिंदू आतंकवाद तुम ही बताते हो
जिस राम का नाम बसता है भारत के हरेक कण-कण में
उस राम के एक नाम को युद्धघोष तुम बताते हो
असली आतंकवाद देख चुकी है पूरी दुनिया की नजरें
क्या नहीं देता है दिखाई तुमको
बोलो क्यों लाज नहीं आयी तुमको

हरेक रंग का फूल इस गुलिस्तान में शामिल है
जिस एक रंग से नफरत है तुम्हें कयामत तक
वह एक रंग भी मेरे तिरंगे की पहचान में शामिल है
जब भी कुछ कहते हो नफरत से ही कहते हो तुम मेरे लिए
यह जहरीली भाषा बोलो किसने है सिखाई तुमको
बोलो क्यों लाज नहीं आयी तुमको

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