रविवार, 7 जुलाई 2019

ग़ज़ल, बुराई है बहोत अच्छा होना

     नमस्कार, ये गजल आज लिखा है मैने |आप पढ़े और पढकर बताए की कैसी रही

मन से मासूम दिल का सच्चा होना
इतना आसान भी नहीं है बुढ़ापे मे बच्चा होना

अब ये काबिलियत भी कमजोरीयों के दायरे में आती है
आजकल बुराई है बहोत अच्छा होना

अपने क़ातिल की आह सुनकर भी घबराहट होने लगे
इसी को कहते है दिल का कच्चा होना

इंसाफ़ का वादा किया था सो खुद के साथ इंसाफ़ किया
इसे को कहते है वादे का पक्का होना

वो मुझे आशुओ से तर देखना चाहता था तनहा मुस्कुराता रहा
उसका लाजिम था हक्का बक्का होना

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        इस गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

शुक्रवार, 5 जुलाई 2019

ग़ज़ल, कैद हूं मैं

नमस्कार, अभी मैने एक गजल लिखी है जिसे मैं आब आपके साथ साझा करने जा रहा हूं | मुझे यकीन है की मेरी ये गजल आपको अच्छी लगेगी

किसी बियाबान में कैद हूं मैं
जिस्मे इंसान में कैद हूं मैं

मजबूरन परिंदों की तरह आजाद उड़ भी नही सकता
अपने मकान में कैद हूं मैं

मै चाहूं भी तो मैं से आगे नही निकल सकता
अपनी पहचान में कैद हूं मैं

किसी कि ख्वाहिशों का गला घोटना रिवाज है यहां
कैसे खानदान में कैद हूं मैं

जिसकी मर्जी के बीना एक पत्ता तक नही हिलता
ऐसे भगवान में कैद हूं मैं

यहां लोग जहन से बहरे हैं कोई चीखे भी तो कैसे
कितने सुनसान में कैद हूं मैं

खुशबूदार फूल होना भी कितना बडा गुनाह है
किसी फूलदान में कैद हूं मैं

अपने काम से काम इस्तेमाल करती है दुनिया मुझको
तनहा किसी सामान में कैद हूं मैं

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गीत, एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

    नमस्कार, मै जो गीत आज आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं उसे मै ने तकरीबन डेढ़ वर्ष पूर्व लिखना शुरु किया था और आज वो गीत पूर्ण हो गई तो मैने ये तय किया कि इस गीत को आपके सामने प्रस्तुत कर देना चाहिए | इस गीत का भाव हमारे देश में लड़कियों के प्रति हो ने वाली हिंसा की दर्दनाक और शर्मनाक ऐसी घटनाएं है जो किसी भी सभ्य समाज के लिए कलंक हैं | मैं चाहता हूँ कि आप इस गीत को एक बार जरूर पढे और अगर आपके दिल को छू जाए तो औरों के साथ भी साझा करें |

सुनना जरूर तुमको रब का वास्ता
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

उड उड कर रोज दाने खाती थी चुगकर
कभी हंसती थी जोर से कभी शर्माती छुपकर
घुमना चाहती थी वो सारा गगन
रहती थी बस अपनी धुन में मगन
एक दिन भटक गई घर का रास्ता
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

आने वाले खतरे से चिड़िया अनजान थी
चेहरे पर मुस्कान और घोसले की जान थी
कितनी मासूम, कितनी थी भोली
उसकी सुंदरता देख दुनिया हैरान थी
बस दाल के दो दाने थे उसका नाश्ता
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

एक चिडा रोज उसका करता था पीछा
कहता था चिडिया से प्यार है तुमसे
तुम भी करो प्यार कहता था हमसे
जब मानी नही चिडिया तो कर्म किया निचा
अपना लिया उसने जुर्म का रास्ता
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

सुनना जरूर तुमको रब का वास्ता
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

एक दिन वो भी आया जब हैवानीयत की हद हो गई
ज़िन्दगी शर्मिंदा थी, इंसानियत मरगई
चिडे ने उस दिन जब जबरन मरोडी कलाई
और चिडिया के तन से खिचा दुपट्टा
तब चिडिया ने किया विरोध वो नही मानी
तो चिडे ने फेंका चिडिया के चेहरे पर तेजाब वाला पानी
पल में चिडिया का जीवन जलकर खॉख था
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

दुनिया जिसे पहले कहती थी खुबसुरत
अब देखती भी नही समझकर बदसूरत
जीत गया चिडा चिडिया को जलाकर
आजाद उड रहा है कानून को कुछ बोटियां खिलाकर
और चिडिया का हर सपना जलकर राख था
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

सुनना जरूर तुमको रब का वास्ता
एक चिडिया सुना रही है अपनी दास्तॉ

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गुरुवार, 4 जुलाई 2019

गजल, मोहब्बत के हाथों मजबूर होने की

    नमस्कार, हफ्ते भर पहले मैने एक गजल लिखी है जिसे मैं आज आपके साथ साझा करने जा रहा हूं

मोहब्बत के हाथों मजबूर होने की
सजा मिल रही है बेकसूर होने की

खुद को जमाने भर का बादशाह समझ लेना
यही तो निशानी है गुरुर होने की

किसी के दिल पर बादशाहत चाहते हो
यही वो उमर है फ़ितूर होने की

मुझे लगता है वो मेरी जिस्म का आधा हिस्सा है
उसे शिकायत है मुझसे दूर होने की

सजा बगैर गुनाह किए भी मिल सकती है
हर बार जरूरी नहीं कसूर होने की

शर्त रखकर मोहब्बत हो नहीं सकती
मोहब्बत में हर बात होती है मंजूर होने की

दुनिया चाहती ही यही है कि तन्हा गुमनाम हो जाए
मगर मुझे जिद है मशहूर होने की

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