शनिवार, 21 सितंबर 2019

कविता, चेतना के वेद मंत्र

     नमस्कार, मैने कल रात को एक नयी कविता लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख हाजिर कर रहा हूँ

चेतना के वेद मंत्र

चेतना के वेद मंत्र
चिंतन के प्रथम यंत्र
समस्या है भीड़ तंत्र
समाधान है लोकतंत्र

चेतना के वेद मंत्र
विरोध के लिए हो स्वतंत्रत
मत बनाओ विरोध के अधिकार को
संपूर्ण राष्ट्र के लिए षड्यंत्र

चेतना के वेद मंत्र
यहॉ कोई नही है महंत
हर आत्मा हो सकती है संत
दुर विकारों का होगा अंत

चेतना के वेद मंत्र

       मेरी ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कविता, तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

     नमस्कार, एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर वर्ष एक लाख से ज्यादा लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं इसकी बजह है आम जन में सड़क यातायात नियमों के प्रति जागरूकता की कमी एवं नियम तोड़ने पर दंड का मामुली प्रावधान | यही बजय है कि जब केन्द्र सरकार ने एक सितंबर से नए नियम लागू किए तो बडी मात्रा में लोगों के चालान काटे गए और कुछ लोगों में नए नियमों को लेकर असंतोष भी देखने को मिला | आगामी चुनावों को देखते हुए कुछ राज्य की सरकारों ने इस नए नियम को लागू ही नहीं किया या लागू भी किया तो चालान की राशि बहोत कम करदी | देश का एक जिम्मेदार नागरीक एवं जिम्मेदार शायर होने के नाते मेरा ये मानना है की राज्य की सरकारों को स्वयं की राजनीति से उपर उठकर लोगों के हित में इन नए नियमों को लागू करना चाहिए | इसी विषय पर मेरी ये छोटी सी नयी कविता देखें

तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

चाहो तो जेवर समझकर पहन लो
या इसे फैशन कहकर पहन लो
मगर तुम्हें कसम है इनकी
तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

ये सड़क केवल तुम्हारी नहीं है
पर जान तुम्हारी अपनी है
यह नियम यह कानून सब तुम्हारे लिए हैं
पहचान तुम्हारी अपनी है
याद रखो घर पर कोई तुम्हारा इंतजार कर रहा है
शराब पीकर वाहन चलाने को कह दो नो
तुम अपने अपनों के लिए हेलमेट पहन लो

       मेरी ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कविता, कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

     नमस्कार, धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ऐसा हम दिन रात टीवी और अखबार में पढ़ते एवं सुनते रहते हैं लेकिन फिर भी बहोत बड़ी संख्या में आज हमारे देश में धूम्रपान करने वालों की संख्या है और यह संख्या निरंतर बढती जा रही है | बीडी सिगरेट को जलाने वाला हर व्यक्ति यह जानता है कि यह उसके लिए खतरनाक है लेकिन फिर भी वह इनका सेवन करता है आखिर ऐसा क्यों |धुम्रपान कई तरह के कैसर एवं मुंह तथा फेफडे में गोनी वाली बीमारीयों की वजह बनता है लेकिन फिर भी यह देश की हर गली हर शहर हर गांव हर मोहल्ले हर चौराहे बाजार बड़े बड़े होटलों में विकता है | जिस तरह से अब देश की सरकार ने ई सिगरेट बैन किया है यह बहोत सराहनीय कदम है सरकार का उसी तरह से अब समय आ गया है कि पूरे देश में हर तरह की सिगरेट बीडी बैन कर दी जाए |

    अगर आप मेरे विचारों से सहमत हो तो इस पोस्ट एवं इस कविता को देश के जन जन तक पहुंचाने में मेरी मदद करे, एवं इसे अपने दोस्तों एवं परिवार जनों खासकर वो जो धूम्रपान करते हो के साथ साझा करें |

कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

धूआ उड़ाना दिलकश नहीं है
इसमें कोई इज्जत नहीं है
ये आफत है , राहत नहीं है
ये कोई अच्छी आदत नहीं है
मुंह में कैंसर , गले में कैंसर , फेफड़े में कैंसर
यही नजारा तुम्हारा भी होगा
उसको मरता हुआ आज पूरा शहर देख रहा है
याद रखो कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

जब सिगरेट हाथ में पकड़ता था वो
उसे छोड़ने के लिए किसी ने नहीं कहा था शायद
पर तुम्हें अभी समय है , मैं कह रहा हूं
यह आदत तुम्हारी प्रयास से छूट जाएगी एक दिन
यकीन मानो मैं कह रहा हूं
बुझा कर फेंक दो सिगरेट को
ये सारा जहां तुम्हारा भी होगा
अगर जो घूए को पीना छोड़ोगे नहीं
तो याद रखो कल यही हाल तुम्हारा भी होगा

       मेरी ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कविता, मै मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की बात कर रहा हूं

     नमस्कार, आज जो मै बात कहने जा रहा हूँ वो पढकर हो सकता है आप मुझसे सहमत ना हो या हो कुछ भी हो सकता है और आप इस कविता को पुरी ना पढ़े ये भी हो सकता है मगर मेरी आपसे गुजारीस है कि एक बार जरूर पढ़े |  समय के साथ साथ हर चीज प्रासंगिक नही रह जाती है ऐसा हमारे धार्मिक किताबों के साथ भी होता है हां ये जरुरी नही है कि ऐसा हर किताब के साथ हो मगर कुछ किताबों के साथ ऐसा जरूर होता है उसी तरह की एक किताब है , मनुस्मृति | हमारे भारत देश के महान संविधान की मूल भावना सभी देशवासीयो की संविधान के समक्ष समानता और स्वतंत्रता है और हमारे देश का संविधान हम सभी देशवासीयो के लिए वरदान स्वरुप है | मगर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जातिवाद, छुआ छुत और कहीं न कही मनुवाद भी हमारे देश के लोकतंत्र की सफलता और संविधान की सफलता में भी बाधक तत्व हैं |

मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की बात कर रहा हूं

समाज में खाई तुम्हारी ही बनाई हुई है
इसमें गिर भी तुम्हेी रहे हो
रिश्तो में ये आग भी तुम्हारी ही लगाई हुई है
इसमें जल भी तुम्हीं रहे हो
अपनों के बीच यह दीवार भी तुम्हारी ही बनाई हुई है
सिर भी इस पर तुम्हें पटक रहे हो
क्या रामायण नहीं पढा तुमने ?
क्यों श्रीराम को भुला दिया तुमने ?
क्यों गीता नहीं पढी तुमने ?
भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों को ठीक से सुना नहीं तुमने
एक ने शबरी के जूठे बैर खाए
तो दूसरे ने ग्वालों संग माखन खायी
तुम तो उनके हाथ का पानी तक नहीं पीते
जिन्होंने तुम्हें रामायण बताई
स्नातन है वसुधैव कुटुंबकम मानने वाला
तुम किस किताब की बात मान रहे हो
कौन मनु ?, किसकी स्मृति ?
मैं मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की बात कर रहा हूं
तुम किसकी बात कर रहे हो ?

       मेरी ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

Trending Posts