रविवार, 8 सितंबर 2019

मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 12

     नमस्कार, पिछले एक महीने के दरमिया में लिखे गए अपने कुछ मुक्तक आपकी महफिल में रख रहा हूँ मुझे उम्मीद है कि आपको मेरे यह मुक्तक अच्छे लगेंगे

अब के तैयार हो के आया हूं नुमाइश में तेरी
देखना हैं कितनी आग है ख्वाइश में तेरी
देखना कोई आसान सा इंतहान न ले ले ना
मैं तो जान भी देने आया हूं आज़माइश में तेरी

तिरयात हर जहर का नही होता
एक मुसाफिर हर सफर का नही होता
कश्मीर हिंदुस्तान का हिस्सा ही नहीं मस्तक है
जीते जी धड कभी सर से अलग नही होता

ये खुदा की लाठी का असर लगता है
तुम्हार फैलाया हुआ ही जहर लगता है
ये जो उड़ी है तुम्हारे चेहरे की हवाईया
ये तो मेरी शख्सियत का असर लगता है

आ अब आशुओ से कहें अब ये बहेंगे नही
वो तो गैर हैं तुझसे सच्ची बात कहेंगे नही
आज हम दोनों तो लड़ते रहेंगे सरहदों के लिए
कल ये सरहदें रहेंगी हम दोनों तो रहेंगे नही


उसका यही बचकाना रवैया तो हैरान कर रहा है
जिसे जंग से बचना चाहिए वही ऐलान कर रहा है
खुद उसके घर में पीने के लिए पानी नही है
हमे समंदर दिखा दिखा के परेशान कर रहा है

इस तरह से कहा कोई कहानी मुकम्मल होती है
दो जिस्म मिलाकर एक जवानी मुकम्मल होती है
जब जरा जरा सी लहरे ज्यादा लहराती हैं
दो नदियों के संगम से एक रवानी मुकम्मल होती है

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मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 11

     नमस्कार, पिछले एक महीने के दरमिया में लिखे गए अपने कुछ मुक्तक आपकी महफिल में रख रहा हूँ मुझे उम्मीद है कि आपको मेरे यह मुक्तक अच्छे लगेंगे

सिर्फ तुझी से मोहब्बत करने का वादा दे दूं
जिंदगी कोई बर्फी नहीं है के तुझे आधा दे दूं
खुश रहने का बस इतना ही वक्त मयस्सर हुआ है मुझे
कम मेरे पास ही है तुझे ज्यादा दे दूं

एक चहचहाता हुआ परिंदा मरा बैठा है
उधर से मत जाना एक दिलजला बैठा है
मसला ये है के महफिल में शेर पढ़ना है मुझे
और आज ही के दिन मेरा गला बैठा है

कभी दिवार , कभी छत , कभी मका बनी रही
खुद में कैद होकर सबके लिए जहां बनी रही
हजारों दर्द सहती रही चुप रहकर
एक मां बच्चों के लिए बस मां बनी रही

वो कहते हैं के बजन नहीं है तुम्हारे शेर कहने में
यार मजा तो है बजन के बगैर कहने में
हमारे दरमियां तालुकात अपनों से भी गहरे हैं
मगर वो लगते हैं मेरे गैर कहने में

कुछ तुम्हारी सुनेंगे कुछ अपनी सुनाएंगे
चांद पर जाने का सपना देखेग दिखाएंगे
हमारी कामयाबी ये है कि हमने नया रास्ता बनाया है
जिस पर चलकर लोग अपनी मंजिल तक जाएंगे आएंगे

हर सहर आफताब का निकलना तय है
हर साख ए गुल का लचकना तय है
मुझे तुझसे क्या जुदा करेगी ये दुनिया
हर दरिया का समंदर में मिलना तय है

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गुरुवार, 5 सितंबर 2019

कविता, गुरू का है प्रथम स्थान

      नमस्कार, शिक्षक दिवस की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ | भारत के सबसे उज्जवल एवं सबसे लोकप्रिय शिक्षक एवं हमारे देश के पूर्व उप राष्ट्रपति ,राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस पर मेरे सभी गुरुजनों एवं दुनिया के समस्त गुरुजनों को समर्पित करते हुए मैने एक कविता लिखी है जिसे मैं यहां प्रकाशित कर रहा हूं

गुरू का है प्रथम स्थान

शब्द आपके दिए मुझे
विद्या आपने दी मुझे
उच्चारण आपने सिखाया मुझे
हर विषय आपने पढाया मुझे

मेरे मुख पर लफ्ज लफ्ज आपका है
मेरी हर कविता का शब्द शब्द आपका है
अच्छे बुरे में फर्क समझाया आपने
मै लिख सका, मै पढ सका, मै बोल सका
वो भाषा सिखाया आपने

मेरी कड़ी परीक्षाए लेकर
मेरी हर खूबी को निखारा आपने
जब मैने कड़ी मेहनत करने से बचना चाहा
तो डराने के लिए मारा आपने
आपकी हर डाट का आभार
हर छड़ीमार का आभार
प्रभु गोविंद ने दिया बता
गुरू का है प्रथम स्थान
आपको मेरा नतमस्तक प्रणाम

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मंगलवार, 3 सितंबर 2019

कविता, गणपति गजमुख गौरीनंदन गणेश

     नमस्कार, आप सब को गणेश चतुर्थी कि हार्दिक शुभकामनाएँ | देवो के देव महादेव के बड़े सुपुत्र प्रथम पूज्य गणपति गजमुख गणेश अब से ग्यारह दिनों तक हमारे घरों में विराजेंगे हम उनकी पुजा अर्चना करेंगे और मुझे आशा है कि वो हमारी सारी मनोकामनाों को पुरा करेंगे | मैं ने आज एक नयी कविता गणपति बप्पा के चरणों में चढ़ावन स्वरूप लिखी है जिसे यहां आपका प्यार पाने के लिए प्रस्तुत कर रहा हूँ

गणपति गजमुख गौरीनंदन गणेश

गणपति गजमुख गौरीनंदन गणेश
लंबोदर एकदंत विनायक प्रथमेश
विघ्नहर्ता सब सुख करता
पाप नाशक सब दुख हरता
सिद्धी बुद्धि संग विराजे
सर्प मयूर मूषक तीन सवारी
मेवा मोदक भोग लागे
एक विनती लाया हूं दरबार तुम्हारी
देवा सूनलो अरज हमारी
प्रथम आरती तुम्हारी

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