शनिवार, 6 अप्रैल 2019

भोजपुरी लोकगीत, तोहके बनाके सांचा तोड़ देले होइहए

     नमस्कार , आज इंटरनेट की क्रांती ने आज हर भषा को लाभ पहुँचाया है यही वजह है की न शिर्फ राष्टीय भाषा बल्कि क्षेत्रीय भाषाओ की पहोच में बहोत इजाफा हुआ है | मैं यहा मेरी लिखी एक नयी भोजपुरी लोकगीत आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं

तोहरा जईसन बनावल अब छोड़ देले होइहए
भगवानजी तोहके बनाके सांचा तोड़ देले होइहए

कान के बाली ओठवा के लाली
काली रे केसिया बिंदीया के लाली
मुस्की बा अइसन जइसे फूलेला गुलाब
जान मारे तोहरे चोलीया के जाली
लागे हमार नसीब तोहसे जोड देले होइहए
भगवानजी तोहके बनाके सांचा तोड़ देले होइहए

सोलह के उमरिया पातर कमरिया
मिलाब न हमरा से अइसे नजरिया
बहिया में आजा करेजा में समाजा
बन गईलु धनिया ए हो रनिया
बस तोहके लिखके पेज मोड देले होइहए
भगवानजी तोहके बनाके सांचा तोड़ देले होइहए

तोहरा जईसन बनावल अब छोड़ देले होइहए
भगवानजी तोहके बनाके सांचा तोड़ देले होइहए

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      इस भोजपुरी लोकगीत को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

ग़ज़ल, हुस्न की रंगत में निखार लाने को

     नमस्कार , एक नयी गजल के साथ मैं फिर हाजिर हूं आपके आंगन में मेरी बाकी सभी गजलों की तरह इसे भी पढीए एवं अपने प्यार से नवाजिए

हुस्न की रंगत में निखार लाने ने को
तरस रहे हैं दिवाने करार पाने को

सुना है के आज वो महफिल में आएगा
सजा दिया है चिराग़ों से शराबखाने को

मेरा दिल भी उल्टी गंगा बहता है
तब तब याद आई है वो जब जब चाहा भुलजाने को

आंख हो खामोश लेकिन लवों पर हंसी हो
रोना कहते हैं ऐसे मुस्कुराने को

ये वो गली है जहाँ रोज तूफान आता है
वो जिद पर अडा है यही घर बनाने को

हयात तो तनहा तमाम हो ही जाएगी
मर जाना कहते हैं मगर डर जाने को

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भोजपुरी भजन , एजी चली न किने आज कलशा बजारे

      नमस्कार , चैत्र नवरात्र के पावन पर्व पर नव देवियो की अराधना आरती वंदना स्वल्प मेरा लिखा एक छोटा सा भजन मां के चरणों में समर्थित करता हूँ

भोजपुरी भजन , एजी चली न किने आज कलशा बजारे
देवी दुर्गा इमेज 

एजी चली न किने आज कलशा बजारे
देवी माई अइहें काल्ह हमरा दुआरे

नव दिन पुजा हाम माई के करेब
माई के मनाईब पइया परेब
बेटी के अपना माई मनता पुरइहे
सरधा पुरा भगती करेब
माई कइसे ना आई जब बेटी पुकारे
देवी माई अइहें काल्ह हमरा दुआरे 

भजन गाईब आरती उतारेब
माई के सेवा में दिन रात गुजारेब
देवी माई के महिमा केहु का जानी
हम त दुर्गा माई के मुरत निहारेब
ई जीवनबा माई के सहारे
देवी माई अइहें काल्ह हमरा दुआरे

एजी चली न किने आज कलशा बजारे
देवी माई अइहें काल्ह हमरा दुआर

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भोजपुरी कविता, इत मोहब्बत के उसूलबा

   नमस्कार, मोहब्बत के अहसास से भरी मैने एक भोजपुरी कविता लिखी है जिसे मैं आपके दयार में रखना चाहता हूं मुझे यकीन है के मोहब्बत करने वालों को मेरी यह कविता जरूर पसंद आएगी

इ त मोहब्बत के उसूलबा

मोहब्बत त हमरा के तोहरे से भईलबा
अगर तोहरा ला इ गुनाह होखे
त हमसे इ गुनाह भईलबा
अब चाहे हमरा के तोहर प्यार नसीब होखे
या तिरस्कार नसीब होखे
ए हो जान हमरा तोहरा मोहब्बत में
सब कुछ कबूलबा
अब चाहे जमाना हमके दिवाना कहे
या आवारा कहे
हमरा के पत्थर मारे या फुल फेके
हर सुलूक चुपचाप हरल मोहब्बत के उसूलबा
काहे की ए हो जान
मोहब्बत त हमरा के तोहरे से भईलबा

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