सोमवार, 14 मई 2018

तीन क्षणिकाएं

     तनमस्कार , क्षणिकाएं हिंदी साहित्य पद्य विधा की ऐसी छोटी रचनाएं हैं जिनका शीर्षक नहीं होता | तथा यह मूलतः छंदमुक्त भी होती हैं | क्षणिकाएं छोटी एवं कम शब्दों में बड़ी बात कहने की एक विधा का नाम है | छड़ी गांव का विषय मुख्यतः वर्तमान परिस्थिति पर आधारित होता है |

     वर्तमान परिस्थितियों को मध्य नजर रखते हुए मैंने भी आजकल में कुछ क्षणिकाएं लिखी है | जिन्हें मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -

हाय , हाय रे गर्मी

हाय , हाय रे गर्मी

1) सूरज चाचा
के पास भी
कहां होगी
इतनी गर्मी
जितनी है
आजकल चुनाव
कि गर्मी

2)  क्या कहूं
क्या बताऊं
लोग अस्त व्यस्त हैं
और हैरान है
दिन के तापमान से
लगता है के
आग बरस रही है
आसमान से

3)  थोड़ा तो दिखाओ
तेवर में नरमी
हाय रे गर्मी
हाय , हाय रे गर्मी

      मेरी ये क्षणिकाएं आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |   

तुझे भुलाने की साजिश कर रहा हूं

नमस्कार , उर्दू शायरी कि ये  खासियत है के  उर्दू शायरी सीधे सीधे दिल में उतरती है और इंसानी जज्बातों की तर्जुमानी करती है | कुछ आसार मैंने भी कहने की कोशिश की है |

एक मतला और एक शेर ये देखे के

एक मतला और एक शेर ये देखे के

क्यों तू मेरी यादों से बेदखल नहीं होता
ये एक ही मसला है जो मुझसे हल नहीं होता

कोई ना कोई फैसला तो उसी सब-ए-मुलाकात में हो जाता
अगर जो तेरी आंख में काजल नहीं होता

मैं ये गुनाह वाजिब कर रहा हूं
तुझे भुलाने की साजिश कर रहा हूं

मुमकिन से मुमकिन तक नामुमकिन से नामुमकिन तक सब आजमा कर देख लिया
मैं बस तुम्हारे होठों पर हंसी लाने की कोशिश कर रहा हूं

यह दो तीन शेर और देखे के

मेरे पास दौलत-ए-मोहब्बत है
वो चाहकर भी मेरे जितना अमीर नहीं हो सकता

उसने ऐसे मांग लिये अपने दिए खत मुझसे
जैसे कर्जदार वसुनिया करते हैं

शक्लो सूरत से जरा सा मैं भी सितारों जैसा हूं
जब चमकूंगा तो देख कर बताना मुझे

मेरी शेरो शायरी कि ये बातें आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |            

रविवार, 13 मई 2018

मां मुझे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं

     नमस्कार , आप को मदर्स डे की हार्दिक शुभकामनाएँ | आज का दिन दुनिया भर की सभी मांओ के लिए सभी बच्चो की तरफ से एक तौफा हैं मगर ये तौफा बेकार चला जायेगा अगर आप की मां आपसे नाराज हैं या आप उनकी खुशी के लिए कुछ भी ना करें | और सिर्फ़ आज के दिन ही नहीं हम बच्चो को ताउम्र ये कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने मां पापा के आदर्श बच्चे बनकर रहें |

mothers day special kavita  मां मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं

      मै ये अपनी कविता मेरी और दुनियां की सभी को समर्पित करता हूं | जैसा की हम सब जानते हैं हर बच्चा ये सोचता है कि उसकी मां उसको उसके दूसरे भाई बहनो से ज्यादा प्यार करती हैं मै भी | इसी जज़्बात को मैने एक कविता लिखी है | कविता का शीर्षक हैं -

मां मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं

मां मुझे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं
भईया से भी ज्यादा
दीदी से भी ज्यादा
प्यार करती हैं
मां मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करत हैं

मेरे लिए ही सुबह सुबह उठकर नाश्ता बनाती हैं
मुझे अपने हाथों से खिलाति हैं
मुझे पापा कि डाट से बचाती हैं
मेरे लिए देवी देवताओ से हजारों दुआए मांगती हैं
मां मुझसे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं

मुझे रोता देखकर वो खुद भी रोने लग जाती हैं
मेरे बीन कहे मेरे मन की बात समझ जाती हैं
मै अगर देर से घर आउ
तो वो मेरा नजाने क्यों इंतजार करती रह जाती हैं
मां मुझे सबसे ज्यादा प्यार करती हैं
.
   मेरी यह प्रतिगीत आप को कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्र के जरिये जरूर बताइएगा |अगर मेरे विचारों को लिखते वक्त मुझसे  शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो मैं उसके लिए बेहद क्षमा प्रार्थी हूं | नमस्कार |

मंगलवार, 8 मई 2018

प्रेम के दोहे

      नमस्कार ,  दोहे हिंदी कविता की एक ऐसी विधा है जो भक्ति काल से बहुत ही प्रसिद्ध | रहीम दास , तुलसीदास , कबीरदास आदि जैसे महानतम कवियों ने अपनी रचनाएं दोनों में की हैं | अक्सर आपने रहीम के , कबीर के , तुलसी के दोहे पढ़े या सुने होंगे | दोहे अक्सर कई उद्देश्य पूर्ति के लिए लिखे जाते हैं  यह भाव प्रधान या व्यंगात्मक हो सकते हैं |

   प्रेम के दोहे

   आज मैंने भी कुछ दोहे लिखने की कोशिश की है जिन्हें मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -

                      प्रेम के दोहे
            
                           (1)

एकतरफा प्यार में , मत देना आशिकों जान
राष्ट्रहित में जान देना , युग-युग मिले सम्मान

                           (2)

पहले पहले प्यार में , प्रेम सिर चढ़ कर बोले
पहले प्रेमिका कोयल जैसी , फिर कौवे जैसी बोले
                           (3)

प्यार के इस खेल में , कहते हैं सब कुछ माफ
प्रेमी चाहे प्रेम को या फिर करें प्रेमिका को साफ

                           (4)

दुकानदारी खूब हुई , प्रेम के नाम पर
प्रेमियों में झगड़ा दोपहर तक हुआ , एक तोहफे के दाम पर

                          (5)

प्यार के इस खेल में , क्या हुआ परिणाम
श्याम को ना राधा मिली , ना राधा को श्याम

                         (6)

आओ मुझ में विलीन हो जाओ , जैसे पानी में रंग
कुचल कर भी ना मिटे , फूल की सुगंध

     मेरे यह दोहे आप को कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्र के जरिये जरूर बताइएगा |
अगर मेरे विचारों को लिखते वक्त मुझसे  शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो मैं उसके लिए बेहद क्षमा प्रार्थी हूं | नमस्कार |

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