मंगलवार, 4 अक्टूबर 2022

कविता , शस्त्र

      नमस्कार , सर्वप्रथम आपको नवरात्रि एवं विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ | जैसा की हम सब जानते हैं विजयादशमी के दिन शस्त्र पुजा होती है उसी को मध्य में रखकर मैने एक कविता लिखने का प्रयास किया है और बहुत हौसला जुटाकर आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं |


शस्त्र 

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वीर का अधिकार है 

शौर्य का आधार है 

अधर्म का उपचार है 

                          शस्त्र 


शांति का विकल्प है 

स्वधर्म की ढाल है 

अधर्मी पर काल है 

                        शस्त्र 


मां दुर्गा का श्रृंगार है 

आत्मरक्षा का विचार है 

प्रकृति का उपहार है 

                         शस्त्र 


मां काली की कटार है

श्री राम का धनुष है 

महादेव का त्रिशूल है 

                           शस्त्र 


     मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


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