गुरुवार, 13 अक्तूबर 2022

ग़ज़ल , नयी पुरानी उजरत में मारा जाएगा

      नमस्कार , एक नयी ग़ज़ल के कुछ शेर यू देखें 


नयी पुरानी उजरत में मारा जाएगा 

नही तो बुरी नियत में मारा जाएगा 


झूठ ने बलवा मचा रखा है दुनियां में 

सच तो इसी दहशत में मारा जाएगा 


ज़िंदा रहने की तमन्ना जिस कदर है 

आदमी अपनी वहशत में मारा जाएगा 


उसकी मुहब्बत इतनी करीब है उसके 

दिवाना आज कुर्वत में मारा जाएगा 


मैं मासूम हूं किसी परिंदे की तरह 

मगर मुझको भी नफरत में मारा जाएगा 


जंग के नतीजे पे सब की नजर है 

मगर दुधमुंहा बच्चा गुर्बत में मारा जाएगा 


ये सोचकर नही दिया मेरे डीएम का जवाब उसने 

तनहा को किसी दिन फुर्सत में मारा जाएगा 


     मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


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