बुधवार, 5 मई 2021

कविता , रोजगार का बंटाधार

        नमस्कार  🙏विषय - रोजगार पर विधा - कविता में दिनांक - 01/05/2021 को मैने एक रचना की थी जिसे आपके समक्ष रख रहा हूं 

रोजगार का बंटाधार 


कोरोना का काला जाल 

चली कैसी इसने चाल 

बुरा किया सब का हाल 

हो मालामाल या कोई कंगाल 

रोटी दाल के लाले पड़ गए 

चलते चलते पांव में छाले पड़ गए 

रोजगार का बंटाधार 

कर दिया कोरोना ने 

    मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

शनिवार, 1 मई 2021

ग़ज़ल, कोई आसान नहीं है दोस्ती

      नमस्कार , साहित्य संगम संस्थान मध्यप्रदेश इकाई पटल पर विषय - दोस्ती विधा - ग़ज़ल पर मैने दिनांक - 30/4/2021 को यह रचना की थी जिसे आपके समक्ष रख रहा हूं |

कोई आसान नहीं है दोस्ती 

कैसे आसमान नहीं है दोस्ती 


घर से कम नही है मेरा यार

मगर मकान नही है दोस्ती 


गैर जरुरी कानून है हैसियत 

कोई अपमान नहीं है दोस्ती 


गाढ़ा वक्त गुजर जाए तो कन्नी 

कोई सामान नही है दोस्ती 


घाटा मुनाफा देखते रहें तनहा 

कोई दुकान नही है दोस्ती

    मेरी ये ग़ज़ल आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

शुक्रवार, 30 अप्रैल 2021

English Poetry ,One Remembrance

      Good Evening,  few days ago I was wrote a poetry and now I'm sharing with you hope you like it 

One Remembrance


One Remembrance

First Entry in my Collage Gate 

I was Feeling Like all set 

When i was just sixteen 

When i was just wondering 

About my up coming collage life 

At the one moment i thought 

Can this will same like movies 

At another moment i thought 

No , it will just Like Remontic Noble series 

But , but , but in reality there was nothing like movies 

My dream came broken after entering collage Gate 

     How is poetry please let me know , comment your thought and please share also | Good Evening |



बुधवार, 28 अप्रैल 2021

कविता , सफरनामा है ज़िन्दगी

       नमन मंच  🙏 विषय - ज़िन्दगी विधा - कविता दिनांक - 23/4/2021 को मैने एक कविता की रचना की जिसे मैं आपके साथ साझा करना चाहूंगा | 

सफरनामा है ज़िन्दगी 


पहले रोने से लेकर 

अंतिम सांस तक का 

सफरनामा है ज़िन्दगी 


जिल्द पर माता पिता का 

दिया नाम लिखा है 

पहले पेज पर भूमिका में 

परिचय तमाम लिखा है 


दूसरे पन्ने पर हासिल की गई डिग्रीयां लिखी है 

अगले पन्ने पर महबूबा कि चिट्ठीयां लिखी है 


ये जो एक सादा पन्ना है 

वो टूटा हुआ सपना है 

एक भरे हुए पन्ने पर तमाम उम्र कमाई दौलत का हिसाब लिखा है 


अभी कुछ और पन्ने जोड़ने है सफरनामे में 

अरे याद आया कविता के चक्कर में नाड़ा डालना रह गया पैजामे  में 


अभी सफरनामे का लेखन कार्य बाकी है 

जब तक ये ज़िन्दगी है 

     मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |


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