शनिवार, 11 मई 2019

ग़ज़ल, एक नाम के दो लफ्ज जब से नारे हो गए हैं

     नमस्कार , आजकल हमारे देश भारत में लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है | चुनाव के समय में राजनीतिक गलियारों में आरोप प्रत्यारोप एवं अपशब्दों का दौर भी खूब चल रहा है | तो जनता अपना कीमती मत ईवीएम में अंकित कर रही है और सियासी पंडित ये अनुमान लगाने में व्यस्त हैं कि अगले पांच साल के लिए सत्ता किसके हिस्से में आएगी | मुझे लगता है कि इन सब रस्सा कसी के मध्य में हम सब को अपना मत देते वक्त यह विचार करना चाहिए कि आखिर इस देश के लिए उत्तम कौन है? नमस्कार वो कौन है जो सामान्य जनता के हक के लिए फैसला लेता है |

    इन्ही सब बातों को लेकर मै ने कल एक गजल लिखी है , गजल तो मैने लिखी है मगर आपको गजल का किरदार पहचानना है

एक नाम के दो लफ्ज जब से नारे हो गए हैं
आपसी दोस्त दुश्मन सारे हमारे हो गए हैं

ये हमारी मेहनत और आवाम की मोहब्बतों का नतीजा है
मुखालफिन भी अब मुरीद हमारे हो गए हैं

तारीफ़ तो वो हमारी कर ही नही सकते पार्टी इजाजत नही देती
और वो बोलें क्या गाली गलौंच के सहारे हो गए हैं

दरियाओं का पानी अब पीने लायक हो गया है
स्वच्छ और साफ सुथरे सारे किनारे हो गए हैं

हमारी जीत का अंदाजा यू लगाया जा सकता है तनहा
खुद की फतेह का अंदाजा लगाने वाले लोग हारे हारे हो गए हैं

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      इन गजल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

ग़ज़ल, इससे भी कम बहोत कम लोग भी जानते हैं मुझे

     नमस्कार , करिबदन हफ्ते भर पहले मै ने एक नयी गजल लिखी है आज वक्त मिला तो ख्याल किया कि आपके साथ साझा कर लिया जाए

इससे भी कम बहोत कम लोग भी जानते हैं मुझे
और कुछ वो बेरहम लोग भी जानते हैं मुझे

मेरे करीबी दोस्तों की ये भी एक शख़्सियत हैं
यानी के कुछ बेशरम लोग भी जानते हैं मुझे

मुझसे जो नफरत करना तो पहले दो तीन बार सोच लेना
बहोत मोहतरम लोग भी जानते हैं मुझे

जब भी कही मेरा जिक्र होता है वो मुस्कुरा देते हैं
यानी कुछ खुशफहम लोग भी जानते हैं मुझे

अरे वो दो तीन गजले मेरी भी तो मशहूर हैं
यानी की कुछ सुखनफहम लोग भी जानते हैं मुझे

शायरी शरहद की बंदिशो में बंधी नही रह सकती
बहोत किसम किसम के लोग भी जानते हैं मुझे

कहीं तुम ये मत समझ लेना के तनहा डिंगे हांक रहा है
हां ये सच है तुम्हारे सनम लोग भी जानते हैं मुझे

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बुधवार, 24 अप्रैल 2019

मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 2

    नमस्कार, कागज पर आडि तिरछी लकीर के समान कुछ पांच छह महीने में जो थोड़े बहोत मुक्तक लिख पाया हूं उन्हें आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं

पढने लायक किताब हो जाओ तो बताना मुझे
कोई नया ख़िताब हो जाओ तो बताना मुझे
क्या कहा तुम मेरी मोहब्बत हो ठीक है
जब मुझसे बेहिसाब हो जाओ तो बताना मुझे

अब अथाह गहराई तक उतरना पड़ेगा तुम्हें
ओंठ से दिल तक का रास्ता बहोत लम्बा है बहोत दुर तक चलना पड़ेगा तुम्हें
इस कमरे के हर कोने को रोशनी की जरुरत है
जुगनूओं अब चिराग बनकर जलना पड़ेगा तुम्हें

इस रात की सहर होगी तो नजर आएगा ये साया कौन है
ये तो वक्त ही बताएग तुम्हारा अपना कौन है पराया कौन है
रुको जरा गौर से सुनने दो ये आहट मुझे
कुछ मालुम तो चले मेरे दिल में आया कौन है

डर दिखाकर प्यार खरीदने आया है
मजहब के नाम पर एतबार खरीदने आया है
ये सोचकर अपने सपने मत बेच देना
बिरादरी का है पहली बार खरीदने आया है

करना ही चाहो अगर इतनी बुरी चीज भी नही है
रसीद नही मिलती इसकी पक्की चीज नही है
दिल विल टूटने का खतरा बना रहता है और क्या
ये मोहब्बत ओहब्बत कोई अच्छी चीज नही है

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मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे

    नमस्कार, कागज पर आडि तिरछी लकीर के समान कुछ पांच छह महीने में जो थोड़े बहोत मुक्तक लिख पाया हूं उन्हें आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं

लोकतंत्र के गाल पर एक और थप्पड अच्छा नही होगा
मां भारती के रखवालो पर अब एक और पत्थर अच्छा नही होगा
हिन्दुस्तान के बाहर भीतर के दुश्मनों गद्दारो कान लगाकर तुम ये सुनलो
भारतीय फौज के सब्र का बांध टूटेगा तो अच्छा नहीं होगा

एक तो सीट हरा के आया है
दुसरा पैसा गवा के आया है
आईना देख लेता चुनाव लड़ने से पहले
अपनी जमानत तक बचा न पाया है

तो फिर जंगे मैदान में आते क्यों हो
अमन की बात करते हो तो फिदायीन हमले करवाते क्यों हो
तुम तो कहते हो के भारतीय वायुसेना ने कुछ दरख़्त मार गिराए हैं बस
तो फिर टूटे दरख्तों का इंतकाम लेने भारतीय सीमा में आते क्यों हो

खुद अपनी शख्सियत मिटाने में डर लगता है
फिर से दिल लगाने में डर लगता है
बड़ी जतन से एक बार जला पाया हूं
अब ये चिराग बुझाने में डर लगता है

यहां हर एक का इमान आजमाकर बैठा हूं
इसलिए बाजार में अपनी कीमत लगाकर बैठा हूं
बो चाहता था के मोहब्बत के बहाने से मेरा सब कुछ लूट ले जाए
इसलिए मै खुद ही सब कुछ गवाकर बैठा हूं

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