शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

भोजपुरी लोकगीत, छोट बाडें सईया जी मोट बाडें सईया जी

नमस्कार , मैने एक भोजपुरी लोकगीत लिखी है जिसे मैं आपके सामने हाजिर कर रहा हूं मुझे उम्मीद है कि ये लोकगीत आपको अच्छी लगेगी

का कहीं तोहसे अपना कहनी
सेज पर हमरा रसे ना जवानी
चाहत रहनी ना अईसन मरदा
सौ सौ के खुल्ला नोट बाडें सईया जी
ए भौजी हो
छोट बाडें सईया जी , मोट बाडें सईया जी

पहीला राती हमार नथुनी उतार के
सुत गईले दुनो टगरी पसार के
सब गुन बाटे पियवा में हमरा
बाकी गुन नईखे कउनो भोजपुरीया भतार के
मोहब्बत के खेला में अभोट बाडें सईया जी
ए भौजी हो
छोट बाडें सईया जी , मोट बाडें सईया जी

कईसे होखे सेज पर लडाई
कईसे जवानी के माजा उठाई
कहलें के हमरा निक ना लागता
जब जब हम ठीबरी बुताई
हमरा त लागे डरपोक बाडें सईया जी
ए भौजी हो
छोट बाडें सईया जी , मोट बाडें सईया जी

     मेरी यह भोजपुरी लोकगीत अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस भोजपुरी लोकगीत लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

भोजपुरी लोकगीत, सबर के फल बहुत मिठ लागी रानी

    नमस्कार , मैने एक भोजपुरी लोकगीत लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं मुझे उम्मीद है कि ये लोकगीत आपको पसंद आयेगी

नोकरी के फेरा में शहर घुमतानी
पानी के बीना हमार जरता जवानी
हमरा लागे मोहब्बत के सगरो बतीया
हमसे झूठ कहतानी
तनी धीर त ध र
सबर के फल बहुत मिठ लागी रानी

अठारह के बाटे काचे उमरीया
पोर पोर उठे बदन में लहरिया
बुझी न हमरा दिल के परशानी
जाई न आजु दिल्ली शहरीया
चाहत की अगिया में हम जर तानी
तनी धीर त ध र
सबर के फल बहुत मिठ लागी रानी

चार महिना वियाहे के भईल
तिन महिना से बाड बहरा गईल
सहले सहाई अब इ जुदाई
मिली न जवानी जे एक बेरी गईल
केतना दिने ले पी हम फिरीज के पानी
तनी धीर त ध र
सबर के फल बहुत मिठ लागी रानी

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मंगलवार, 2 अप्रैल 2019

भोजपुरी लोकगीत , आसमानी कलर की ओढ़नीयां

     नमस्कार , मैने एक भोजपुरी लोकगीत लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं मुझे उम्मीद है कि ये लोकगीत आपको पसंद आयेगी

देखी दूध के गोराई आवे मुहँवा में पनिया
आसमानी कलर की ओढ़नीया से रनिया ढाक ल जवनीया

मन के हमार शरधा पुरा द
दिल में अपना हमके बसाल
धडकन के जईसे दिल में बसाईब
देखल सपनवा तोहर पुराईब
मागे सेन्हुरा लगाके बनजा न हमार धनिया
आसमानी कलर की ओढ़नीया से रनिया ढाक ल जवनीया

आसमान से उतरल लागताडू गोरी
जइसे होखी चॉद के चकोरी
हमरा के देखी मंद मुस्का के
दिलवा हमार कर लेलू चोरी
हमारा जिनगी में आजा बनके कनिया
आसमानी कलर की ओढ़नीया से रनिया ढाक ल जवनीया

देखी दूध के गोराई आवे मुहँवा में पनिया
आसमानी कलर की ओढ़नीया से रनिया ढाक ल जवनीया

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भोजपुरी कविता, इ UP के चुनाव ह

      नमस्कार , लोक सभा चुनाव को ध्यान में रखकर एक और भोजपुरी कविता आपके दयार में रख रहा हूं आपके प्यार एवं साथ की आवश्यकता है और मुझे आशा है कि मेरी ये कविता आप के दिल में अपनी जगह बनाने में कामयाब रहेगी

इ UP के चुनाव ह

इ UP के चुनाव ह
अस्सी सीट वाला
सरकार बनावे वाला
प्रधानमंत्री बनावे वाला
इ आम त बाद में
पहीले खास चुनाव ह

इहवा नोट के बदले वोट जायज बा
गाली और गोली जायज बा
प्रचार रैली बाकी सब ठीक ह
बाकी जीती उहे जे हारे के पक्का लायक बा
बहुमत पावेके के बा
त आचार संहिता के उलंघन कर
इहे हर पार्टी के पहीला सुझाव ह
इ UP के चुनाव ह

जेतना चाहे झूठों वादा कर
कम कर या ज्यादा कर
आरोप प्रत्यारोप त चलते रही
गरीबन के हक के बात केहु न कही
इहे त पहीला बचाव ह
इ UP के चुनाव ह

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