गुरुवार, 31 जनवरी 2019

इंग्लिश कविता , Shut up

  नमस्कार ,  इंग्लिश कविता लिखने की मेरी एक छोटी सी कोशिश है मुझे आपके आशीर्वाद और साथ की जरूरत है |

shut up

Everyone say me
everytime say me
shut up
when I try to say
any new thing
and I ask everyone
why ?

    मेरी यह इंग्लिश कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

    इस इंग्लिश कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

गुरुवार, 10 जनवरी 2019

कविता, हिन्दी हमारी ज़िन्दगी है

    नमस्कार ,आपको विश्व हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं | आज विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर मैने एक कविता लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं |

हिन्दी हमारी ज़िन्दगी है
एक ये सच भी है साहब
जिस भाषा को बोलने में
जिस भाषा को लिखने में
जिस भाषा को सिखने में
हमारे देश के हमारे समाज के
अत्याधिक पढ़े लिखे लोगों को
अघोषित शर्मिंदगी है
वह मातृभाषा राष्ट्र स्तरीय भाषा
हिन्दी हमारी ज़िन्दगी है

    मेरी यह कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

    इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

रविवार, 6 जनवरी 2019

कविता, एक सनसनी है फैली हुई

   नमस्कार , ये कविता मैने 2013 में लिखी है |किस महीने में लिखी है ये मुझे याद नही है | सनसनी कविता शीर्षक है | इस नाम का एक लोकप्रिय न्यूज चैनल पर एक लोकप्रिय धारावाहिक भी प्रसारित होता है | मुझे यकीन है कि मेरी यह कविता आपको पसंद आयेगी \

आज हर वक्त हर ओर
एक सनसनी है फैली हुई

कोई कहीं बेचैन है
कोई है जो मौन है
कही हुआ है कोई हाका
कहीं पड़ गया देखो डाका
हर ओर देख लो डरडरी है फैली हुई

कहे लुट गई कोई बेचारी
गई आज कही ममता मारी
कहीं जीत गया फरेब
कहीं सच्चाई है हरी हुई

टूट गया कहीं घर किसी का
छूट गया है साथ किसी का
नकली है जमाना ऐसा
हकीकत फिर है छीपी हुई

धोखे से सब मिलता है
पैसे से सब बिकता है
बाजार सजा है फिर से ऐसा कि
इमान की नीलामी खूब हुई

गांव हो या हो शहर
दिन रात चारों पहर
इस तरह उस तरफ
दिशाओं में फिजाओं में
है पूरी घुली हुई

आज हर वक्त हर ओर
एक सनसनी है फैली हुई

    मेरी यह कविता अगर अपनी पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

    इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |  द्वारा भीम

शनिवार, 5 जनवरी 2019

ग़ज़ल, जख्म ए दर्प बरदाश्त की जरुरत है

    नमस्कार , एक और गजल कुछ यू हुई है कि बहुत कोशिश करने के बाद भी मै इस गजल का मख्ता नही लिख पा रहा हूं | छोटी सी खुदरंग मिजाज की ये गजल आपको भी अच्छी लगेगी मुझे ऐसा लगता है |

जख्म ए दर्द बरदाश्त की जरुरत है
अभी जख्म भर रहा है एहतियात की जरुरत है

अभी मेरा मनाना बाकी है
अभी तेरे एतराज की जरुरत है

अब तो मै यकीनन मर चुका हूँ
अब मुझे इंसानी एहसास की जरुरत है

यही के उसे छोडने वाला हूं
अब दिल के ऐतबार की जरुरत है

      मेरी गजल के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

Trending Posts