शनिवार, 8 दिसंबर 2018

हाइकु, मोहब्ब

   नमस्कार , जापानी कविता की यह विधा जिसमे तिन पंक्तियों की प्रधानता होती है बेहद सरल और मजेदार और पढ़ने एवं समझने में आसान है | प्यार को केन्द्र में रखकर मैने एक हाइकु लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं -

मोहब्बत

यह एक शब्द
दो दिल की भावनाएं
खुशी

एक एक करके
दो जीवन
एक रास्ता

एक मंजिल
क्रमशः

दो जिस्म
दो सास
दो दिल

एक धड़कन
एक जीना मरना और
यह एक शब्द

मोहब्ब कहो
प्यार कहो या
चाहत कहो

    मेरी हाइकु के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

हास्य कविता, जंगल का रास्ता

   नमस्कार , जंगल का रास्ता एक थोड़े से डरावने माहौल को जन्म देती हुई नजर आती है |मेरी ये तकरीबन दो बरस पहले लिखी हास्य व्यंग कविता आपको कितना डराती है या हसाती तो मुझे जरूर बताइएगा |

जंगल का रास्ता

सुनसान अंधेरे में
काली अमावस की रात
पत्तों का सरसाराना
चमगादड़ों का फड़फड़ाना
उल्लू की आवाज
निशाचरों की खटपट
चारों ओर सन्नाटा
मच्छरों का गुनगुनाना
बिल्ली की म्याऊं म्याऊं
हवा के झोंकों से पेड़ों का लहराना
घबराते , सकपकाते
एक एक कदम बढ़ाता
फिर यह सोच कर डर जाता
जाने किधर से क्या आ जाए
एक आहट होते ही
होश हो गए फाकता
जंगल का रास्ता
एकदम ऐसा ही है
जिंदगी का रास्ता

    मेरी हास्य व्यंग कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

कविता, जब मैं इसआंगन में आई थी

नमस्कार , नारी दुनिया में उपस्थित हर भावना का केन्द्र होती है | नारी मन की एक कोमल भावना से भरी ये कविता जिसे लिख लेने के बाद मै स्वयं आश्चर्यचकित था के ये भावना मेरे मन में कैसे आई , फिर लगा के ये उस भगवान का आशीर्वाद है जो मैने लिखा है | एक नव युवती जिसका विवाह होने वाला हो और वह विवाह के बाद आने वाली ज़िन्दगी को सोचकर व्याकुल हो तो उसकी मां के द्वारा कि गई समझाने की कोशिश इस कविता की विषय है | मां बेटी को समझाते हुए कुछ यू कहती है की -

जब मैं इस आंगन में आई थी

जब मैं इस आंगन में आई थी
तो खूब रोई थी 

सोचा था यह कहा आ गई मैं
पराए देश में ,अनजाने घर में
अजनबी लोगों के बीच
मुंह में सिसकियां ,आंखों में आंसू ,दिल में डर था
मन में बस एक ही सवाल था
मां-बाबा आपने मुझे पराया क्यों किया
इसलिए कि मैं बेटी थी

सुबह से दोपहर ,दोपहर से जब शाम हुई
मैं थोड़ा शरमाई ,थोड़ा घबराई
और शाम से सुहानी सुबह हुई
एक ऐसा जीवनसाथी मिला जिसके संग चलते-चलते जिंदगी अब आसान हुई
माा  सा  प्यार सासूमां से मिला
बाबा का दुलार ससुरजी ने दिया
और छोटी ननद मेरी सहेली थी

इस परिवार से मिली तो जाना
ना यह देश पराया था ,ना यह घर अनजाना था
ना यह  लोग अजनबी थे
यह तो मेरा घर था जिससे मैं अनजानी थी
मैं अधूरी थी इस घर के बिना
यह जान मैंने मां-बाबा का शुक्रिया किया
आपने मुझे मेरा घर दिया
अब मैं इन्हीं रिश्ते में खोई थी

जब मैं इस आंगन में आई थी
तो खूब रोई थी 

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

नवगीत, मै क्या कहके बुलाऊं तुझे

    नमस्कार , नवगीत की यही खासियत होती है कि उसमे नवीन और विभिन्न तरह के प्रतीकों का प्रयोग होता है | आज से तिन चार दिन पहले मै ने एक नवगीत लिखी है जिसे मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं , आपके अपनाव की चाहत है | यह नवगीत मोहब्बत के एक छोटे से मगर बेहद खूबसूरत और महत्वपूर्ण एहसास और सवाल पर आधारित है |

अप्सरा कहूं या कोई परी
या कहूं गुलाब खुशबू भरी
महताब कह दूं रातों की या
या कह दूं तुझे महजबी
मैं कैसे मोहब्बत जताऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

तेरी रूह मुझ में समाए ऐसे
जैसे नदियां मिलती है सागर में
तेरा मेरा मिलना हो ऐसे
जैसे सुखी नदियां भरती है बरसते बादल से
मुझ पर मोहब्बत का साया कर ऐसे
जैसे खुद को तू ढकती है आंचल से
मैं कैसे चाहत बताऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

तुझको अपना शिवाला माना
प्यार का ईश्वर तुझको जाना
गीता का ज्ञान तुझको जाना
कुबेर का तुम सारा खजाना
जमाना कहे मुझको दीवाना
दिल चाहे तुझको अपना बनाना
मैं कैसे प्यार दिखाऊं तुझे
मैं क्या कहके बुलाऊं तुझे

    मेरी नवगीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा | एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें , अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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