मंगलवार, 8 मई 2018

प्रेम के दोहे

      नमस्कार ,  दोहे हिंदी कविता की एक ऐसी विधा है जो भक्ति काल से बहुत ही प्रसिद्ध | रहीम दास , तुलसीदास , कबीरदास आदि जैसे महानतम कवियों ने अपनी रचनाएं दोनों में की हैं | अक्सर आपने रहीम के , कबीर के , तुलसी के दोहे पढ़े या सुने होंगे | दोहे अक्सर कई उद्देश्य पूर्ति के लिए लिखे जाते हैं  यह भाव प्रधान या व्यंगात्मक हो सकते हैं |

   प्रेम के दोहे

   आज मैंने भी कुछ दोहे लिखने की कोशिश की है जिन्हें मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -

                      प्रेम के दोहे
            
                           (1)

एकतरफा प्यार में , मत देना आशिकों जान
राष्ट्रहित में जान देना , युग-युग मिले सम्मान

                           (2)

पहले पहले प्यार में , प्रेम सिर चढ़ कर बोले
पहले प्रेमिका कोयल जैसी , फिर कौवे जैसी बोले
                           (3)

प्यार के इस खेल में , कहते हैं सब कुछ माफ
प्रेमी चाहे प्रेम को या फिर करें प्रेमिका को साफ

                           (4)

दुकानदारी खूब हुई , प्रेम के नाम पर
प्रेमियों में झगड़ा दोपहर तक हुआ , एक तोहफे के दाम पर

                          (5)

प्यार के इस खेल में , क्या हुआ परिणाम
श्याम को ना राधा मिली , ना राधा को श्याम

                         (6)

आओ मुझ में विलीन हो जाओ , जैसे पानी में रंग
कुचल कर भी ना मिटे , फूल की सुगंध

     मेरे यह दोहे आप को कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्र के जरिये जरूर बताइएगा |
अगर मेरे विचारों को लिखते वक्त मुझसे  शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो मैं उसके लिए बेहद क्षमा प्रार्थी हूं | नमस्कार |

बोट बरसा देना तू चुनाव आया है

      नमस्कार ,  आज मैं आपका परिचय हिंदी पद्य साहित्य की जिस विधा से कराने जा रहा हूं उसे प्रतिगीत कहते हैं |  प्रतिगीत विधा में  किसी लोकप्रिय गीत का व्यंगात्मक एवं हास्यात्मक रूपांतरण प्रस्तुत किया जाता है | अक्सर प्रतिगीत विधा में फिल्मी गीतों का हास्यात्मक एवं व्यंगात्मक रूपांतरण प्रस्तुत किया जाता है |

    कुछ दिनों पहले मैंने भी एक प्रतिगीत लिखने की कोशिश की है |  आप सबने एक मशहूर फिल्मी गीत 'मोहब्बत बरसा देना तू सावन आया है' सुना होगा | मैंने इस गीत का प्रतिगीत  लिखा है | जिसे मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -

बोट बरसा देना तू चुनाव आया है


बोट बरसा देना तू चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है - (2)

मेरे जितने के बाद महंगाई चली जाएगी
मेरे जीतने के बाद गांव में बिजली हो जाएगी
सच्चे हैं यह मेरे वादे
पूरे करने के हैं इरादे
मौका देकर देखें हमें भी एक बार
कैसे बताऊं सच्ची बात ये मेरी
रातभर सोचकर झूठे वादे लिख कर लाया हूं
मेरे चुनाव चिन्ह पर बटन दबाना तू
चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है

सब कुछ करके बस जनता को मनाना है
वोटों के खातिर हद से गुजर जाना है
विधानसभा का टिकट पहली बार पाया है
बोट बरसा देना तू चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है

बोट बरसा देना तू चुनाव आया है
तेरे चरण छूने का मौका आया है

    मेरी यह प्रतिगीत आप को कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्र के जरिये जरूर बताइएगा |
अगर मेरे विचारों को लिखते वक्त मुझसे  शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो मैं उसके लिए बेहद क्षमा प्रार्थी हूं | नमस्कार |

रविवार, 6 मई 2018

मुझे दिल का मरीज समझ लेने वालों

    नमस्कार , अभी हाल ही में तकरीबन 1 महीने पहले मैंने एक ग़ज़ल लिखी है उसे मैं आप के सामने प्रस्तुत कर रहा हूं -

मुझे दिल का मरीज समझ लेने वालों

बस खेलने की चीज़ समझ लेने वालों
मुझे दिल का मरीज समझ लेने वालों

बस एक दफा आफत से टकराकर टूट जाते हो
शिकस्त को नसीब समझ लेने वालों

अक्सर शख्सियत से काबिलियत का अंदाजा नहीं होता
हर एक चीज को नाचीज समझ लेने वालों

कभी ये बेफिजूली भी आजमा कर देखो
मोहब्बत को बुरी चीज़ समझ लेने वालों

एक बार जो समझ जाओगे तो फिर भुला ना पाओगे
सिर्फ चेहरे से अजीब समझ लेने वालों

किसी हसीना को समझ जाओगे तो समझदार मान लेगा 'हरि'
सुना है हर चीज समझ लेने वालों

    मेरी यह गजल आप को कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्र के जरिये जरूर बताइएगा |
अगर मेरे विचारों को लिखते वक्त मुझसे  शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो मैं उसके लिए बेहद क्षमा प्रार्थी हूं | नमस्कार |

शादियों का दौर है

  शादियों का दौर है मेरी यह हास्य व्यंग कविता शादी के बाद पति पत्नी के खट्टे-मीठे रिश्ते पर  आधारित है | शादी इंसानी जिंदगी का वह रिश्ता है जो जिंदगी को मुकम्मल बनाता है | इस रिश्ते में पति पत्नी के दरमियां हजारों अनबन हजारों , तीखी मीठी नोकझोंक होती रहती हैं | 

शादियों का दौर है

          शादी से पहले और शादी के बाद के विरोधाभास को मैंने अपने कविता में व्यंगात्मक रुप से प्रदर्शित किया है  और उसे हास्य का रूप देने की कोशिश की है | मुझे उम्मीद है मेरी यह कविता आपका मनोरंजन करेगी -
शादियों का दौर है
शादियों का दौर है
आबादियों का दौर है
या बर्बादियों का दौर है
उलझने सिर्फ इतनी नहीं
सवाल अभी और हैं
शादियों का दौर है

शादी के दिन दोस्त  नचाते हैं
फिर जिंदगी भर पत्नी नचाती है
शादी की रात भर सब ढोल बजाते हैं
फिर पत्नी सारी उमर बैंड बजआती है
शादी के दिन और रात राजा जैसे खातिरदारी मिलती है
और सारी जिंदगी गुलाम जैसी हालत रहती है
शादी तो खुशियों का जाना है
और दुखों का घर आना है
गलत समझ रहे हैं आप
मेरे कहने का मतलब कुछ और है
शादियों का दौर है

शादी से पहले पढ़ाई में
गणित को समझना मुश्किल होता है
शादी के बाद जिंदगी में
पत्नी को समझना नामुमकिन होता है
पत्नी अगर बोलती रहे
तो खतरा होती है
पत्नी अगर ना बोले
तो खतरनाक होती है
दूर के ढोल सुहावने लगते हैं
यह कहावत सबसे ज्यादा शादी पर लागू होती है
बस इतनी नहीं शादी की तारीफ अभी और है
शादियों का दौर है

     मेरी यह हास्य व्यंग कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

Trending Posts