मंगलवार, 22 अक्टूबर 2019

हास्य व्यंग कविता, बंगाल की दीदी

     नमस्कार , मेरा मानना ये है की एक कवी एक शायर को हर किमत पर सच कहने एवं लिखने के लिए तैयार रहना चाहिए ताकी आम जन को सत्य का बोध हर पीढी हर दौर में होता रहे |  मेरी बाकी सभी कोशिशो की तरह यह हास्य व्यंग कविता भी एक कोशिश है मेरा इस कविता को लिखने का मक्सद किसी की छवी को आधात पहुचाना नही है और ना ही किसी की भावनाओ को आघात पहुचाना है |

बंगाल की दीदी

राजनीतिक चाह के बबाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी

सत्ता कि शक्ति का दुरउपयोग
बीना काम का बल प्रयोग
अहिंसको की भक्षक
और हिंसकों कि रक्षक
विरोधियों के मौतों का सबाल की दीदी

हैं बहोत ही कमाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी

न जनता का मोह न जनता की ममता
यह अविश्वास कब तक जमता
नयी हवा से जो कर्सी हिली है
रानी का गुस्सा भला कैसे थमता
हार जीत के माया जाल की दीदी

राहुल और केजरीबाल की दीदी
बंगाल की दीदी , बंगाल की दीदी

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      इस हास्य व्यंग कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

गुरुवार, 17 अक्टूबर 2019

कविता, पहला करवा चौथ

      नमस्कार , आपको करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएं | पति पत्नी के मध्य प्यार का यह अभुतपुर्व जिसका संकेत चांद बनता है | यह पर्व रिश्ते को किसी बोझ की तरह नही बल्की जिम्मेदारी एवं आपसी सहयोग से जीवन को गुणवान बनाने का सुचक है | मै इस बार नया नया करवा चौथ मना रहे जोडो को अतिरिक्त बधाई देता हुं | इसी विषय पर मेरी एक नयी कविता साझा कर रहा हुं |

पहला करवा चौथ

करवा में जल भरकर
चलनी में दीप रखकर
सोलह श्रृंगार कर
दिन भर का उपवास कर
सुहागन सुहाग के साथ कर रही है
चौथ के चांद की प्रतीक्षा
सदा प्रेम इसी तरह बना रहे
यही है मन की इच्छा
दिन भर की भूखी प्यासी
सुहागन की मनोकामना
इतनी कठिन तपस्या के बाद
अब और न लो सबर की परीक्षा
गगन में निकल आओ चौथ के चांद

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ग़ज़ल, मोहब्बत की किताब है चौथ का चांद है

    नमस्कार , यहा मै अपनी नयी गजल आपकी जानीब में रख रहा हुं मेरी दिली तमन्ना है कि मेरी ये नयी गजल आपको बेहद पसंद आएगी

खूबसूरत बेहिसाब है चौथ का चांद है
मोहब्बत की किताब है चौथ का चांद है

माशूक ने माशूका को देखा तो ये कहा
जीता जागता महताब है चौथ का चांद है

शायर ने शायरा को देखा तो ये कहा
हुस्न लाजवाब है चौथ का चांद है

जीजा ने साली को देखा तो ये कहा
नई नई गुलाब है चौथ का चांद है

मयकदे में शराबी ने मय देखा तो ये कहा
भरी हुई तालाब है चौथ का चांद है

सौहर ने बेगम को देखा तो ये कहा
मेरा जीना आजाब है चौथ का चांद है

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ग़ज़ल, जिंदगी की जरा सी निगरानी है

      नमस्कार , यहा मै अपनी नयी गजल आपकी जानीब में रख रहा हुं मेरी दिली तमन्ना है कि मेरी ये नयी गजल आपको बेहद पसंद आएगी

जिंदगी की जरा सी निशानी है
उस गड्ढे में थोड़ा सा पानी है

ये कहके बढ़ा दी मेरी धड़कने उसने
इधर आओ तुम्हें एक चीज बतानी है

यही दो गज जमीन है सल्तनत मेरी
यही कब्र मेरी राजधानी है

निजाम ने कहा है तारीफ करो या चुप रहो
सच बोलना हुकुम की नाफरमानी है

जंग लगी है सिर्फ मियान में धार में नही
है वही तलवार थोड़ी पुरानी है

दर्द ने टटोल टटोल कर तप्सील किया
मेरा आशु , आशु है या पानी है

अजीब सवाल पूछा है मूनशफ ने चोर से
चोर में चोरी का हुनर खानदानी है

दुश्मनी नई-नई है तनहा मेरी उनसे
वरना दोस्ती तो बहुत पुरानी है

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