बुधवार, 14 अगस्त 2019

नज्म, मेरे कश्मीर

      नमस्कार, आप सभी को हमारे भारत देश के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त की हार्दिक शुभकामनाएँ | जैसा की हम सब जानते हैं कि अब जम्मू और कश्मीर से धारा 370 हटा दी गई है और इसके हटते ही जम्मू कश्मीर को दो केन्द्र शासित प्रदेश बना दिया गया है जिसमे से एक लद्दाख और दुसरा जम्मू कश्मीर है | इस सुनहरे बदलाव के साथ ही पिछले 70 सालों में ऐसा पहली बार होगा जब पूरे कश्मीर में पूरे जोश के साथ भारतीय तिरंगा झंडा लहराया जाएगा और हमारे देश की स्वतंत्रता का यह पावन और गौरवमयी पर्व मनाया जाएगा |

नज्म, मेरे कश्मीर
तिरंगा झंडा 
     मगर अगर एक बार दिल में किसी के लिए जहर घोल दिया जाए तो फिर उसे मिटने में वक्त लगता है और कश्मीरी आवाम के मन में तो हिन्दुस्तान के लिए 70 सालों से जहर घोला गया है तो जाहिर सी बात है कि नयी शुरुआत और नयी विचारधारा बनने में वक्त लगेगा | मगर यह समय मिलजुलकर आजादी का जश्न मनाने की है | और कश्मीर के लिए आज पुरा हिन्दुस्तान क्या सोचता है क्या कहना चाहता है मै ने एक छोटी सी नज्म के रुप में लिखने कि कोशिश की है, नज्म का उनवान है
मेरे कश्मीर
शहादत आजाद की गांधी का ईमान बोल रहा हूं
मेरे कश्मीर में तेरा हिंदुस्तान बोल रहा हूं
किसी जन्नत से कम नहीं है तेरी घाटी
अब तक मयस्सर हुई है सिर्फ तुझे बर्बादी
तू भी तो चाहता है अपनी खुशहाली
तुझे भी तो चाहिए आतंक से आजादी
तेरे खातिर ही गई है शहीदों की जान बोल रहा हूं
मेरे कश्मीर में तेरा हिंदुस्तान बोल रहा हूं
तू तो भारत की तरक्की का नया दस्तक है
तू तो भारत का अकेला मस्तक है
तेरे आंचल से निकलती है मेरी मां गंगा
तेरा हिमालय पर्वत तो मेरा रक्षक है
मैं अपने लोकतंत्र की आबादी का अभिमान बोल रहा हूं
मेरे कश्मीर में तेरा हिंदुस्तान बोल रहा हूं
बडी शिद्दत से खुदा ने तुझे सजाया है
बाबा बर्फानी ने तुझे ही घर बनाया है
तेरे आशियाने में मने रमज़ान ईद दिवाली
तेरे मीठे सेबों ने पूरे भारत को ही ललचाया है
मैं गुरुग्रंथ बाइबल गीता कुरान बोल रहा हूं
मेरे कश्मीर में तेरा हिंदुस्तान बोल रहा हूं
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      इस नज्म को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

ग़ज़ल, तनहा उसका जीना हराम करना है मुझे

  नमस्कार, गजलों के इस क्रमागत संयोजन में एक और नयी गजल का एक मतला और कुछ शेर यू देखें कहा है कि

थोडा थोडा हर किसी के नाम करना है मुझे
अपनों की खुशी का इंतजाम करना है मुझे

मुझे प्यार करना हो तो जरा जल्दी आओ
नही तो फिर बहोत काम करना है मुझे

हयात के रेगिस्तान में पानी तलाशकर थक चुका हूँ मैं
एक दिन मां की गोद में सोना है खूब आराम करना है मुझे

धडल्ले से लिखता हूं इस जमाने की आंखों देखी
कुछ सफेदपोशों को बदनाम करना है मुझे

वो क्या उड़ाएगा मैं खुद ही उड़ाता हूं मखौल अपना
अपने हर दुश्मन का काम तमाम करना है मुझे

क्यों खिखता हूं गजलों में अपनी मोहब्बत के फ़लसफ़े
तनहा उसका जीना हराम करना है मुझे

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सोमवार, 12 अगस्त 2019

ग़ज़ल, वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

     नमस्कार, गजलों के इस क्रमागत संयोजन में एक और नयी गजल का एक मतला और कुछ शेर यू देखें कहा है कि

इस कदर दर्दीला इश्क़ मेरा हुआ है
जैसे मेरी नाक पर कोई फोड़ा हुआ है

मेरे रकीब आज जितना भी तेरे नसीब में आया है
वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

आज जिसे तू अपना कहकर खुश होता है
वो जमीन का टुकडा मेरे जिस्म से तोड़ा हुआ है

दुश्मन मेरे जिसे तू अपना रहनुमा समझता है
वो हमारा मुजरिम है हमने अपने घर से खदेड़ा हुआ है

जाे पानी पीकर तू हमे मिटा देने की बचकानी बात करता है
तो तू ये याद रख हमने हिस्से का दरिया तेरी तरफ मोड़ा हुआ है

जो तुम ये पूछते हो के इतना गमगीन होकर भी तनहा खुश कैसे रहते हो
तो हमने अपने दिल का रिश्ता कुछ खुशनुमा लोगो से जोड़ा हुआ है

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ग़ज़ल, जिसने भी उसे एक बार देखा तो फिर मूड मूड कर देखा

  नमस्कार, गजलों के इस क्रमागत संयोजन में एक और नयी गजल का एक मतला और कुछ शेर यू देखें कि

अब तक हजारों ने कामयाबीयों के बादल को छू छू कर देखा
इन थके हुए परिंदों ने आकाश में खूब उड़ उड़ कर देखा

वो सुन्दर थी खुबसुरत थी हूर थी अप्सरा थी या न जाने क्या थी
जिसने भी उसे एक बार देखा तो फिर मूड मूड कर देखा

साथ चलने का वादा करके वो नजाने क्यों नहीं आया
फिर पूरे रास्ते भर मैने उसे रुक रुक कर देखा

मिट्टी अगर बग़ावत पर आमादा हो जाए तो गगन के हाथ पाव सूखने लगते हैं
एक बार जमी हिलने लगी तो सारी इमारतों ने फर्श की तरफ झुक झुक कर देखा

खुदा जाने क्यों कोई राजी ही नहीं होता नफरत की ये दीवार गिराने के लिए
तनहा यहां तो मैने सब से पूछ पूछ कर देखा

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