मंगलवार, 5 जून 2018

खंडकाव्य , वनवास गमन के पूर्व माता सीता , भगवान राम संवाद

     नमस्कार ,  खंडकाव्य , श्रव्य काव्य के प्रबंधन काव्य का एक रुप है | प्रबंधन काव्य के तीन भेद मे से खंडकाव्य एक है | खंडकाव्य एक छोटे संयोजन का काव्य है | खंड काव्य की विषय वस्तु या कहानी महाकाव्य से या फिर स्वतंत्र रूप से हो सकती है | सुदामा चरित्र , पंचवटी आदि कुछ प्रमुख खंडकाव्य हैं |

    18 मई 2018 को मैंने भी एक खंडकाव्य की रचना करने की कोशिश की थी | मैं उस दिन के संपूर्ण प्रयास को आज आपके सम्मुख प्रस्तुत करने की चेष्टा कर रहा हूं | मुझे ज्ञात है कि मेरी लेखनी अभी छोटी है परंतु यहां मैं केवल अपने प्रयास का प्रदर्शन कर रहा हूं | आपके समर्थन की अपेक्षा करता हूं | खंडकाव्य का शीर्षक है  -

वनवास गमन के पूर्व
माता सीता , भगवान राम संवाद

भगवान श्री राम माता सीता से -

भगवान श्री राम

कंकड़ पत्थर डगर में होंगे
14 वर्ष हम ना नगर में होंगे
कहीं कुटिया बना पाया कहीं वो भी नहीं
मैं अब होने जा रहा हूं वनवासी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

ना ऐश्वर्य होगा ना दास-दासियों
ना ये मखमल होगा ना सोने की थाली कटोरिया
कंद मूल फल खाने पड़ेंगे
ना मिले तो भूखे ही दिन बिताने पड़ेंगे
कभी-कभी तो रह जाओगी तुम प्यासी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

यह वह जीवन नहीं होगा
जिसका तुमने सपना संजोया होगा
अपनी हर पूजा-अर्चना में
कामनाओं का फूल पिरोया होगा
मैंने तुम्हारे शुखों का वचन दिया था
राजा जनक का मैं सामना कैसे कर पाऊंगा
माता सुनैना के सवालों का जवाब कैसे दे पाउंगा
अब वास होगा घनघोर वन में
तुम हो जनक दुलारी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

पिताश्री और माताओं की सेवा करना
मेरे छोटे अनुजो का मार्गदर्शक बनना
अपनी छोटी बहनों की आदर्श बनना
मैं रहूंगा तुम्हारा आभारी रि सीता
मत चलो मेरे साथ रि सीता

माता सीता भगवान श्री राम से -

माता सीता

दीपक के बिन ज्योति कैसी
बिन जल के नदी ही कैसी
बिन नभ के धरती हि कैसी
मेरा जीवन आप से जुड़ा है
आप का सिंदूर है मेरे भाल में स्वामी
वन मैं भी चलूंगी आपके साथ में स्वामी

मैं आपके चरणों की दासी हूं
मुझे ऐश्वर्य की चाहत नहीं
मैं आपके प्रेम की प्यासी हूं
मुझे जेवरों , मखमली से कोई लगाव नहीं
कंकड़ पत्थर में सह लूंगी
भूखी प्यासी मैं रह लूंगी
बस सदा मैं चाहती हूं
आपका हाथ मेरे हाथ में स्वामी
वन मैं भी चलूंगी आपके साथ में स्वामी

आपका साथ ही मेरा शुख है
आपका बिरह ही मेरा दुख है
बिन जल के मछली का जीवन क्या
बिन स्वामी भार्या का जीवन वैसा
मेरे माता पिता मुझ पर गर्व करेंगे
जो मैं गई आपके संग वनवास में स्वामी
वन मैं भी चलूंगी आपके साथ में स्वामी

❇❇❇❇

      मेरा ये खंडकाव्य आपको कैसा लगा मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

पतझड़ का मौसम

नमस्कार , 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का मकसद जनमानस में पर्यावरण के प्रति चेतना जागरूक करना है | बढ़ती जनसंख्या से निरंतर पेड़ों की कटाई एवं जंगल का सफाया हो रहा है जिससे दिन-प्रतिदिन पृथ्वी का तापमान बढ़ रहा है | इसका दुषपरिणाम मौसम में अनिश्चितकालीन परिवर्तन हो रहे हैं , तूफान बाढ़ , भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का आना बढ़ गया है | इन सभी आपदाओं से बचने का एकमात्र तरीका यह है कि पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित किया जाए | यदि पर्याप्त मात्रा में पेड़ लगा दिए जाएं तो पृथ्वी का तापमान नियंत्रित किया जा सकता है | वृक्षारोपण मानव कल्याण की ओर बढ़ता हुआ एक सुनहरा कदम है और इसे हमें निरंतर जारी रखना चाहिए |

     प्रकृति के इसी सौंदर्य का बोध कराती हुई  तकरीबन एक साल पुरानी मेरी एक कविता है , जिसे मैं आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं -

 पतझड़ का मौसम

                 पतझड़ का मौसम

ठंडी हवा
सुहानी धूप
फागुन का महीना
पुराने पत्ते टूट कर
पेड़ों में नए पत्ते उगने का मौसम
दिल के तिल - तिल बढ़ने का मौसम
पतझड़ का मौसम

               पेड़ों की छाया
               प्रियतम की याद आती माया
               फागुन की खूमारियां
               दोस्त - यार , सखियां - सहेलियां
               प्रीत से दूरियों का गम
               कहीं प्यार का मदहोशी भरा आलम
               पतझड़ का मौसम

         मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

गुरुवार, 31 मई 2018

दादरा , सईयां मेरे मोरी याद भुलाई गए

      नमस्कार , दादरा भी ठुमरी की तरह ही भारतीय शास्त्रीय संगीत में गायी जाने वाली एक शैली है | दादरा भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा गाई जाती है | आमतौर पर ठुमरी की तरह ही दादरा भी छोटे बंदों में निहित होती है | दादरा विभिन्न प्रकार के रागो में गाई जाती है | अगर अन्य शब्दों में कहा जाए तो मेरे अनुसार ठुमरी की तरह ही दादरा भी एक लोकगीत है |

     एक से दो सप्ताह पहले भर मैंने एक दादरा लिखने का प्रयास किया था | उस प्रयास को मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं , आपके प्यार की उम्मीद कररहा हूं -

दादरा , सईयां मेरे मोरी याद भुलाई गए

सईयां मेरे मोरी याद भुलाई गए
परदेस में जाकर परदेसी कहाई गए

चार बरस हुए लौट के न आए
केतनी बार हम खबर भिजवाए
कउने कलमूही के फेरा में आई गए
सईयां मेरे मोरी याद भुलाई गए

सात फेरों के सात वचन
जन्म जन्म का यह बंधन
सारा रिश्ता नाता तोड़ाई गया
सईयां मेरे मोरी याद भुलाई गए

सईयां मेरे मोरी याद भुलाई गए
परदेस में जाकर परदेसी कहाई गए

      मेरा ये दादरा आपको कैसा लगा मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

ठुमरी , अंखियों के तीर चलाओ ना सईया

      नमस्कार , ठुमरी भारतीय शास्त्रीय संगीत में गायी जाने वाली एक शैली है | ठुमरी भारतीय शास्त्रीय संगीत के गायकों द्वारा गाई जाती है | आमतौर पर ठुमरी छोटे बंदों में निहित होती है | ठुमरी अमूमन राग भैरवी , तीली आदि रागों में गाई जाती है | अगर अन्य शब्दों में कहा जाए तो मेरे अनुसार ठुमरी एक लोकगीत है |

आज से तकरीबन एक सप्ताह पहले भर मैंने भी एक ठुमरी लिखने का प्रयास किया था | उस प्रयास को मैं आपके सामने हाजिर कर रहा हूं , आपके शुभकामनाओं की उम्मीद करता हूं -

ठुमरी , अंखियों के तीर चलाओ ना सईया

अंखियों के तीर चलाओ ना सईयां
हम बेरी - बेरी परत हैं तोहरी पईयां

मिलने आई चोरी - चोरी से
सईयां तोहरीे जोरा जोरी से
कलाई मुरूक गई , मर गई मईयां
अंखियों के तीर चलाओ ना सईयां

फान के आई हूं मैं अटरिया
कोरी - कोरी मेरी चुनरिया
मेरी फट गई चुनरी , हाय रे दईयां
अंखियों के तीर चलाओ ना सईयां

अंखियों के तीर चलाओ ना सईयां
हम बेरी बेरी परत हैं तोहरी पईयां

      मेरी ये ठुमरी आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |  

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