शुक्रवार, 8 मार्च 2019

कविता , मां सबसे बड़ी होती है

    नमस्कार , आपको अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं | यूं तो अभी तक नारियों के सम्मान में बहुत सारी कविताएं गीत गजलें आदि बहुत कुछ कहा गया है  और मैंने भी बहुत कुछ लिखा है | यूं तो नारियों के कई किरदार हमारे जीवन में शामिल होते हैं मगर मां का किरदार उन सब में बड़ा है | अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इस अवसर पर आज मेरा मन है कि मैं मां पर लिखी मेरी एक कविता आपके इस आंगन में प्रस्तुत करूं

मां सबसे बड़ी होती है

बस एक शब्द भर नही है
मात्र एक रिश्ता भर नही है
मां
पुरी दुनिया से बड़ी है

सिर्फ़ बच्चे को जन्म भर नही देती
केबल बच्चे को पालकर बड़ा भर नही करती
मां
जीवन को जीवन देती है

लहू दूध बनकर जब छाती से उतरता है
तब कही जाकर बच्चे का पेट भरता है
जब बच्चा अपना पेट भरने के काबिल हो जाता है
तब मां को भूखे पेट रखता है
तब भी मां बच्चे को हाय नही देती
मुस्कुरा देती है

जिस तरह बचपन में आंचल की छांव से
कड़ी धूप में बच्चे को ढकती थी
उस तरह से आज भी उसके सारे पापों को ढकती है
चुपचाप अनाथ आश्रम में रहती है
खुद से खुद के आंसू पोछकर
मेरे बच्चे खुश रहें
मन ही मन यह कहकर दुआ देती है
सच कहता हूं मैं
मां
ईश्वर , अल्लाह , भगवान , खुदा
इस दुनिया का जो भी परमात्मा है
उससे बड़ी होती है

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     इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

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