नमस्कार , सर्व प्रथम हरिनारायण तनहा की तरफ से आपको एवं आपके परिवार को होली महापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं | अपने बचपन से लेकर अब उम्र के इक्कीसवे साल में त्यौहारों को मनाने में आए बहोत सारे फर्क को देखा है जिसे मैं ने एक कविता में लिखने कि कोशिस की है अगर आपको लगे कि मैने कुछ ठीक ठाक लिख दिया है तो आपका आशीर्वाद चाहूंगा |
होली के सारे रंग नकली हो गए
न जाने कहां से
कैसा ये नयापन आया है
त्योहारों की मस्ती छीनता जा रहा है
मगर सब ने इसे ही अपनाया है
कैसा ये नयापन आया है
त्योहारों की मस्ती छीनता जा रहा है
मगर सब ने इसे ही अपनाया है
इंसानी जज्बात नकली हो गए
हर्ष उल्लास कहीं खो गए
मदहोशी में रहने को आनंद समझने लगे हैं
होली के सारे रंग नकली हो गए
अश्लील संगीत अपना हो गया
होली के लोकगीत नकली हो गए
देखा देखी कि अपनाइस का
ये कैसा अंधकार छाया है
हर्ष उल्लास कहीं खो गए
मदहोशी में रहने को आनंद समझने लगे हैं
होली के सारे रंग नकली हो गए
अश्लील संगीत अपना हो गया
होली के लोकगीत नकली हो गए
देखा देखी कि अपनाइस का
ये कैसा अंधकार छाया है
न जाने कहां से
कैसा ये नयापन आया है
कैसा ये नयापन आया है
राम सिया की होरी खो गई
राधा कृष्ण की जोरा जोरी हो गई
पकवानों की जगह बोतलों ने ले लिया
गोकुल का ग्वाला खो गया
बरसाने की छोरी खो गई
दक्षिण को खोकर हमने
पश्चिम को अपनाया है
राधा कृष्ण की जोरा जोरी हो गई
पकवानों की जगह बोतलों ने ले लिया
गोकुल का ग्वाला खो गया
बरसाने की छोरी खो गई
दक्षिण को खोकर हमने
पश्चिम को अपनाया है
न जाने कहां से
कैसा ये नयापन आया है
कैसा ये नयापन आया है
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इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
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