सोमवार, 15 अप्रैल 2024

कविता, राम का आधुनिक वनवास भाग २

 भाग २


तब कर्म ने अधिकार लिया

पृथ्वी पर उपकार किया

मर्यादा की स्थापना के लिए

प्रभु ने राम रुप अवतार लिया


जब पुरुषोत्तम ने पुरुषार्थ दिखाया

आतंक को यथार्थ दिखाया

पाप और अत्याचार का दमन कर

विश्व को सत्यार्थ दिखाया 


मर्यादा पुरुषोत्तम को जान लिया

जग ने सत्य को मान लिया

फिर राम राज्य नही होगा

पृथ्वी ने भी पहचान लिया

कविता , राम का आधुनिक वनवास भाग १

 भाग १

एक वनवास तब मिला था

जब लंका में पाप बढ़ा था

धर्म की हानी हो रही थी

चारों दिशाओं में त्राहिमाम मचा था


नारी का सम्मान नही था

मर्यादा का मान नही था

मानवता का ज्ञान नही था

कोई संविधान नही था


नीति नही थी न्याय की

वह प्रतिष्ठा नही थी गाय की

सत्य का आभाव था

रीति चल रही थी अन्याय की

रविवार, 21 जनवरी 2024

गीत , राम आए हैं भाई रे

एक नयी गीत आपके साथ साझा कर रहा हूं आपके प्यार की उम्मीद है 

राम आए हैं भाई रे 


जन्मभूमि में भवन बना है

भारत पर से कष्ट हटा है

सूर्यवंश का सूर्य उगा है

मैं कहता हूं सच्चाई रे

राम आए हैं भाई रे 

राम आए हैं माई रे


बरस पांच सौ वनवास रहे हैं

सारे भक्त उदास रहे हैं

करोड़ो मन निराशा रहे हैं

आज मंगल घड़ियां आई हैं

मैं गाता गीत बधाई रे

राम आए हैं भाई रे

राम आए हैं माई रे


ढोल नगाड़े बाजेंगे

अवध में राम बिराजेंगे

सब हर्षित होकर नाचेंगे

राम राज्य फिर आएगा 

भगवान करेंगे भलाई रे

राम आए हैं भाई रे

राम आए हैं माई रे

मेरी ये रचना आपको कैसी लगी मुझे जरूर बताएं नमस्कार 

शनिवार, 20 जनवरी 2024

कविता , राम तुम्हारे नहीं हैं

एक नयी कविता आपके साथ साझा करना चाहता हूं आशा है आपको अच्छी लगेगी 

 राम तुम्हारे नहीं हैं


तुम तो कहते थे काल्पनिक हैं

अयोध्या जन्मस्थली ही नहीं

रावण कोई था ही नहीं

लंका कभी जाली ही नहीं


तुम्हें विश्वास नहीं है इस नाम पर 

तुम्हें आस्था नहीं है राम पर 

राम गर तुम्हारे मन मंदिर में पधारे नहीं हैं 

तो फिर राम तुम्हारे नहीं हैं


तुमने प्रश्न उठाए थे राम के सेतू पर

तुम्हें अनास्था है राम के हेतु पर

अब कह रहे हो राम सब के हैं

अब तक तो वक्त बेवक्त कहते थे

राम भक्तों को अंधभक्त कहते थे


राम गुणों के सागर हैं , अति उत्तम हैं 

सर्वोत्तम हैं , पुरुषोत्तम हैं 

गर तुमने आदर्श राम के जीवन में उतारे नहीं हैं 

तो फिर राम तुम्हारे नहीं हैं 


कविता कैसी लगी मुझे अपने विचार व्यक्त जरुर बताइएगा , नमस्कार 

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