शनिवार, 4 जुलाई 2020

मुक्तक , हल्दी घाटी के वीरों को गलवान घाटी पर छेडा़ तुमने


  नमस्कार , 15 जुन की रात भारत और चीन की सीमा पर जिसे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) कहा जाता है कि गलवान घाटी में जिस तरह से चीनी सैनिकों ने कायरता पुर्वक हमारे भारतीय सैनिको पर धोखे से हमला किया वह बहोत ही निंदनीय है और हमारी भारतीय सेना के जवानों ने जिस बहादुरी से चीनी सैनिकों का सामना किया और विभिन्न मिडिया रिपोर्ट्स के आधार पर 50 के करीब चीनी सैनिक मार गिराए यह दिखाता है कि भारत की सेना कि बहादुरी का मुकाबला दुनियां की कोई भी सेना नही कर पाएगी | इस दोनों सेनाओं की झड़प में हमारी भारतीय सेना के एक अधिकारी सहीत 20 भारतीय जवान भी शहीद हुए हैं और पुरा देश उनकी वीरगती और सर्वोच्च बलिदान को नमन करता है |

        इस पुरे घटना क्रम पर मैने तीन मुक्तक लिखें हैं जिन्हें मैं आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं उम्मीद है आपको प्रसंद आएंगे

शहीदों के दम पर कायम हमारी आजादी है
भारत के दुश्मनों अब तय तुम्हारी बर्बादी है
मलाल ये के दुश्मन भी दो कौंडी़ के मिले हैं हमें
एक कि नस्ल जेहादी है दुसरे की धोखेबाजी है


कहते हैं रोने से शहीदों की शहादत का मान घटता है
मातृभूमि पर बलिदान होकर ही जीवन का मान बढ़ता है
जिसके घर का चिराग बुझा है अंधेरा तो वही जानेगा
बेटे को तिरंगे में लिपटा देखकर मां का कलेजा फटता है


सारे समझौतें को संबंधों को सीमाओं को जो तोडा़ तुमने
हमे निहत्था जान झुंड बना जो घात लगाकर घेरा तुमने
तबाही का बर्बादी का और मौत का तांडव देख लिया
जो हल्दी घाटी के वीरों को गलवान घाटी पर छेडा़ तुमने

     मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आए है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इन मुक्तकों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

मुक्तक , चार चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 17


  नमस्कार , पिछले कुछ तिन चार हप्ते में मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हे मैं आपके संज्ञान में लाना चाहुंगा यदि मेरे यह मुक्तक आपको पसंद आएं तो मुझे अपने कमेन्ट्स के माध्यम से जरुर अवगत कराए

बाकी है मेरी शान अपने बुजुर्गों पर
मेरी हरेक पहचान अपने बुजुर्गों पर
हजारों वर्ष जुम्ह सहकर भी पंथ नही बदला
ये है मुझे गुमान अपने बुजुर्गों पर


हिंन्द के हिंन्दुस्तानीयों के खातमें की हसरत क्यों
तुमको जय श्री राम के नाम से इतनी दहशत क्यों
अपने आलीशान घरों में कुत्ते पालने बालों
तुम लोगों को गाय से इतनी नफरत क्यों


ये तो है के बहोत कम लिखता हुं
मगर जितना भी लिखता हुं गम लिखता हुं
तनहा होने का ये असर हुआ है मुझ पर
कि अब मैं की जगह हम लिखता हुं


शहीदों के दम पर कायम हमारी आजादी है
भारत के दुश्मनों अब तय तुम्हारी बर्बादी है
मलाल ये के दुश्मन भी दो कौंडी़ के मिले हैं हमें
एक कि नस्ल जेहादी है दुसरे की धोखेबाजी है


कहते हैं रोने से शहीदों की शहादत का मान घटता है
मातृभूमि पर बलिदान होकर ही जीवन का मान बढ़ता है
जिसके घर का चिराग बुझा है अंधेरा तो वही जानेगा
बेटे को तिरंगे में लिपटा देखकर मां का कलेजा फटता है

    मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इन मुक्तकों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

शनिवार, 23 मई 2020

मुक्तक . चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 16

      नमस्कार , पिछले एक महीने में मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हें मैं आपके साथ साझा कर रहा हुं

धुतकारते क्यो हैं आने जाने वाले
क्या चाहते हैं ये जमाने वाले
वो दिल दुखाएं और हम रोए भी नही
क्या चाहते हैं ये चाहने वाले


बिगडी़ दोस्ती और खराब कर लेते हैं
आ पुराना हिसाब किताब कर लेते हैं
मेरे जयाति ताल्लुकात नही हैं उनसे
हां कहीं मिले तो अदबो आदाब कर लेले हैं


डर की सल्तनत को सरकार नही मानेगा
किसी गैर का अपनी रुह पर अधिकार नही मानेगा
हमारे हौसले के जद में आती है पुरी दुनियां
हिन्दूस्तान कोरोना से हार नही मानेगा


उसकी खुशीयां अंजाने के साथ भग गई
घर कि इज्जत जमाने के साथ भग गई
खबर छपी थी कल के अखबार में
फलाने कि बीबी फलाने के साथ भग गई


वाक्ये गिनने पे आया तो पैंतिश छत्तीश निकले
जिन्हे खुदा समझता था मै वो इबलीश निकले
कितनी गलतफहमीयां होती हैं हसीनाओं को लेकर
उनके एक दो आशिक नही पुरे इक्कीश निकले

      मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इन मुक्तक को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार | 

मुक्तक . चार लाइनों में बातें करुंगा आपसे 15

       नमस्कार , पिछले एक महीने में मैने कुछ मुक्तक लिखें हैं जिन्हें मैं आपके साथ साझा कर रहा हुं

ये आधा गिलास अॉशु है जिसे शराब कहती है ये दुनियां
हम लोग हि तो सच कहते है हम्हीं को खराब कहती है ये दुनियां
सब कहते हैं जहा पड़ता है सब जलाकर राख कर देता है
यानि के मोहब्बत को तेजाब कहती है ये दुनियां


सपनों कि हिफाजत नही करता मै
यानि कि मोहब्बत में सियासत नही करता मै
मै जानता हुं तेरे विचार मु्क्तलिफ हैं मुझसे
मगर तेरी खिलाफत नही करता मै


पार्टी मालिक के दरबार में हमाली मत करो इमरान
झुठ बोलकर दुआओ से हाथ खाली मत करो इमरान
तुम्हारी हकिकत क्या है जान ही गया है पुरा भारत
बस यही मसवरा है इमान कि दलाली मत करो इमरान


जवानी पर लगी कालिख बन के रह जाओगे
मासुका नही मिली तो नाबालिग बन के रह जाओगे
ऐ खुदा तुझे मालिक कहती है ये दुनियां
इसी गुमा में रहे तो मालिक बन के रह जाओगे


दिल कि दूरीयें में तरक्की चाहता हुं मैं
दुश्मनी भी पक्की चाहता हुं मैं
थोडा़ और थोडा़ और नफरत कर मुझसे
बेवफाई मी सच्ची चाहता हुं मैं

      मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इन मुक्तक को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |
 

Trending Posts