शनिवार, 30 नवंबर 2019

कविता, अंगीठी , चमगादड

     नमस्कार , अभी तक मैने अपनी हिन्दी मे जो सभी पोस्ट की है उनमें केवल एक रचना पोस्ट कि है पर आज दुसरी बार दो कविता रचनाएं पोस्ट कर रहा हुं मुझे उम्मीद है कि आपको अच्छा लगेगा |

अगीठी

कुडकुडाती ठंड में
रात कि गिरती ओश में
सूबह के जाडे में
हाथों को जमने से
पुरे बदन को ठीठुरने से
कानों को गलने से
कौन बचाती है
अंगीठी

चमगादड

उल्टी फितरत
टेढी नियत
आवाज की तेजी
पंखो की ताकत
डरावनी सुरत
नाम जरुरत
दुश्मनों मे दहशत

      मेरीे ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कविता, कल कि रात , तलाक बीच में

      नमस्कार , अभी तक मैने अपनी हिन्दी मे जो सभी पोस्ट की है उनमें केवल एक रचना पोस्ट कि है पर आज पहली बार प्रयोग के तौर पर दो कविता रचनाएं पोस्ट कर रहा हुं मुझे उम्मीद है कि आपको अच्छा लगेगा |

कल कि रात याद रहेगी

जब तुमने मुझे गहरी नींद से उठाया था
कुछ कहना है कहके बालों को सहलाया था
मुंह से चुप रहकर आखों से सब बताय था
मेरे हाथ मे अपना हाथ रखकर पलकों को
मुस्कुराकर शर्माकर झुकाया थां
तेरी मिठी सिसकीयों शदा सदा रहेगी
कल कि रात याद रहेगी

तलाक बीच में कहां से आया

प्यार हमारा , तकरार हमारी
रिश्ता हमारा , तफरत हमारी
सफर हमारा , मंजील हमारी
शेर हमारा , महफिल हमारी
ये हीज्र बीच में कहां से आया
तलाक बीच में कहां से आया

माना के सब ठीक आजकल नही है
पर ये रिश्ता अभी विफल नही है
क्या हुआ गर हम अभी सफल नही हैं
मगर अलगाव मुश्किलों का हल नही है
हमारे दरमियान ये दखल कहां से आया
तलाक बीच में कहां से आया

      मेरीे ये कविताएं अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविताएं को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

मंगलवार, 26 नवंबर 2019

कविता, भारत का संविधान

      नमस्कार , आज यानि 26 नवंबर को हमारे सबसे प्राचिन महान विविधता से परिपुर्ण देश भारत का संविधान दिवस है इसकी आपको ठेर सारी शुभकामनाए एवं बधाई | जैसा कि हम सब जानते है भारत दुनियां का सबसे बडा  लोकतांत्रिक देश है साथ ही साध हमारे भारत देश का संविधान दुनियां का सबसे सडा लिखित एवं निर्मित संविधान है और हम सभी देश वासियों को इस पर गर्व है |

       हमारे देश का संविधान इतना बहा एवं महान है कि इसके बारे मे मै कुछ भी लिखु कम ही रहेगा मगर फिर भी मैने एक छोटी सी कविता लिखी है जो यहां उपस्थित है जिसे आपके प्यार कि जरुरत है

भारत का संविधान

एक किताब जो न्याय है
नियम है , विधी है
जो दंण्ड है , क्षमा है
स्पष्ट है , निरपेक्ष है
जो कर्तव्य है , अधिकार है
विचार है , आधार है
जो समान है , सम्मान है
साधन है , समाधान है
जो प्रतीक है , पवित्र है
प्रधान है , विधान है
जो सत्य है , महान है
वो भारत का संविधान है

      मेरीे ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

कविता, डर कभी नही जीतेगा

      नमस्कार , आज का दिन कही न कही इंसानीयत के लिए खतरो के प्रति विचार विमर्श एवं मानवता पर लगे एक काले धब्बे का प्रतिक है न शिर्फ भारत के लिए अपितु पुरी दुनिया के लिए | आज 26 नवंबर है जिसे 26 /11 भी कहा जाता है | आज ही के दिन हमारे भारत के महाराष्ट प्रांत के मुम्बई शहर के ताज होटल मे 2008 में पाकिस्तान से आए आतंकियों ने हमला किया था जिसमे सैकडों लोगों की जान गई थी | जैसा कि हम जानते है आतंकबाद आज दुनियी के लिए बहोत बडी चुनैती भी है और खतरा भी जिससे आज भारत समेत दुनिया के सैकडों देश पीडित है लेकिन फिर भी आतंकबाद के इस मुद्दे पर पुरी दुनिया एक टेबल पर नही आ पा रही है | ऐसे वक्त में मै मानता हुं कि हमारे प्रधानमेत्री जी का आतंकबाद के खिलाफ दुनियां के हर बडे म्च पर बोलना पहोत ही प्रभावी एवं साहसिक कदम है

       आज के दिन को याद करते हुए उस हमले में अपनी जान गवाले वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि स्वरुप मैने एक छोटी सी कविता लिखी है जिसे आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हुं

डर कभी नही जितेगा

सच कभी नही हारेगा
डर कभी नही जितेगा
मानवता कभी मिटेगी नही
किसी हाल में झुकेगी नही
दहसत का विनाश होगा
आतंक का सर्वनाश निश्चित है
तफरत का विनाश निश्चित है
प्रेम हमारा सुनहरा कल होगा
ज्यो गंगा का निर्मल जल है
प्रेम की सदा विजय होगी

      मेरीे ये कविता अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस कविता को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

Trending Posts