गुरुवार, 22 अगस्त 2019

शेरो शायरी, कुछ रुह की सुना दूं 8

       नमस्कार, शेरो शायरी कुछ रुह की सुना दूं की आठवी कड़ी में मै पिहले एक दो महीनों में जो कुछ टूटा फूटा शेर लिख पाया हूं उन्हें आपके दयार में रख रहा हूँ | कुछ शेर यू देखें के

एक रिश्ता है जो आसमा से बड़ा समंदर से गहरा है
गौर से देखो इसमे कही एक लम्हा सा ठहरा है

तिजारती ना सही पर दिल का वास्ता रहेगा ज़िंदगी भर
इस शहर से मेरा राफ्ता रहेगा ज़िंदगी भर

ओठो पर मुस्कान दिल की खुशी मयस्सर हो
हयात के इस सफर में मेरे यारों को हंसी मयस्सर हो

होली दिवाली तीज मनाऊं मैं
वो लौट आए तो ईद मनाऊं मै

तू कुछ मुख्तलिफ रास्ता इख्तियार कर तो जानू
मुझे मेरी कमीयो के साथ प्यार कर तो जानू

मेरे बगैर तेरा निकाह मुकम्मल हो ही नहीं सकता
बाकी सब तो घर से करेंगें तुझे दिल से जुदा कौन करेगा

वो सुन्दर थी खुबसुरत थी हूर थी अप्सरा थी या न जाने क्या थी
जिसने भी उसे एक बार देखा तो फिर मूड मूड कर देखा

मेरे रकीब आज जितना भी तेरे नसीब में आया है
वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

इनके उनके जैसे तो कई चेहरे बना लिए मैने
मगर तेरे जैसा कुछ नही बना पाया मै

अचानक कल मेरे करीब आकर ये कहा उसने
तुम्हें एक बात बताउ क्या , छोड़ो जाने दो

जमाने भर के लोग गलतफहमी के शिकार है तनहा
अब मैं सब को मोहब्बत समझाउ क्या , छोड़ो जाने दो

मैने पूछा ही था उससे की मेरी शायरी कैसी लगी
तपाक से उसने कहा एक नंबर

तुम क्यों उतावले हुए जा रहे हो पीने पाने के लिए
किसी को नशे में बहकता हुआ देख लिया क्या

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मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 10

     नमस्कार, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे मुक्तको की इस श्रेणी में आज मै आपको पिछले एक महीने के दरमियान में लिखे मेरे कुछ मुक्तक यहां सुना रहा हूँ

अब अमन की आशा की दिखावे की वो आवाज नही आएगी
उनको समझ में ये खरी बात नही आएगी
जिनकी ख्वाहिश है हिन्दुस्तान के टुकडे करना
उनको कश्मीर की खुशहाली कभी राश नही आएगी

अब जाकर खत्म ये महाभारत हुई है
पहले तो केबल तिजारत हुई है
जिस जन्नत को जहन्नुम बनाया गया था
अब वो कश्मीर घाटी भारत हुई है

भक्त सारे कह रहे हैं , सुशासन है सुशासन है
पर मैं ये कहता हूं , कुशासन है कुशासन है
बच्चियों का चीरहरण देखकर आज भी जो चुप है अपने सिंहासनों पर बैठे हुए
वो सब के सब भी , दुशासन हैं दुशासन हैं

मजहब की आड़ में अपने पर हुए जुल्मों का हिसाब दे दिया
एक कानून बनाकर सरकार ने कई प्रयासों को खिताब दे दिया
सही मायने में इंसाफ और बराबरी आज मयस्सर हुई है इन्हें
अब खवातीनो ने मर्दों की गुलामी को तीन तलाक दे दिया

आसमान से जमीन के शफर में नया हौसला ढूँढ रहे हैं
जिंदगानी बदल दे ऐसा कोई फैसला ढूँढ रहे हैं
हम नयी उमर नए परों के परिंदे
अपना पुराना घोंसला छोड़ नया घोंसला ढूँढ रहे हैं

हिंसा और अधर्म का पर्याय देखना हो तो बंगाल आओ कभी
चिलचिलाती धूप में बसंती बयार अनुभव करना हो तो नैनीताल आओ कभी
लगता है एसी कार और पच्चीस मंजिला मकान मे रहकर भरम होने लगा है तुम्हें
सहिष्णुता तुम्हें देखनी ही है अगर तो वक्त निकालकर भोपाल आओ कभी

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मुक्तक, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे 9

  नमस्कार, चार चार लाइनों में बातें करूंगा आपसे मुक्तको की इस श्रेणी में आज मै आपको पिछले एक महीने के दरमियान में लिखे मेरे कुछ मुक्तक यहां सुना रहा हूँ

थोडा थोडा हर किसी के नाम करना है मुझे
अपनों की खुशी का इंतजाम करना है मुझे
मुझे प्यार करना हो तो जरा जल्दी आओ
नही तो फिर बहोत काम करना है मुझे

सोचता है के खून बहाने का इल्जाम नहीं आएगा
गुनहगारों की फ़ेहरिस्त में तेरा नाम नहीं आएगा
ये जो तू रो रहा है दुनिया को दिखाने के लिए
तेरा ये हथकंडा भी तेरे काम नहीं आएगा

अल्लाह का वास्ता और रब के नाम पर
ये सारी शायरी है तेरी तेरे मतलब के नाम पर
सियासत ने सिखाई है ये पैंतरेबाजी तुझको
और कितना भड़काओगे इन्हें मजहब के नाम पर

मोहरे और खानदान का रिश्ता बेमेल देखा है
चारा , कोयला , 2जी , 3जी आदि घोटालो का रेलमरेल देखा है
अबकी सरकार का काम सारे देश को दिखाई दे रहा है
वरना हमने दस सालों तक कठपुतली का खेल देखा है

घनी रात के बाद सहर होने में वक्त लगेगा
जहर को पुरा बेअसर होने में वक्त लगेगा
सत्तर साल पुरानी बिमारी का इलाज हुआ है
दवा का असर होने में थोडा वक्त लगेगा

किसी ने कहा लाचार बेचारा हूं मैं
कोई कहता है नाकाम आवारा हूं मैं
दुनियावालों अब तुम्हें क्या बताउं रंजो गम अपने
बस इसी पीने की लत का मारा हूं मैं

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बुधवार, 21 अगस्त 2019

ग़ज़ल, एक नंबर

   नमस्कार, उर्दू साहित्य की गजल एक मात्र ऐसी विधा है जो बहुतायत मात्रा में हिन्दी में लिखी पढ़ी एवं सुनी जाती रही है और बहुत कामयाब रही है |आइए यहां मै अपनी हाल ही के कुछ दिनों में लिखी मेरी एक नयी गजल यहा लिख रहा हूँ मुझे विश्वास है कि आपको पसंद आएगी

झूठ किसने कहा एक नंबर
क्या सबने कहा एक नंबर

मैने पूछा ही था उससे की मेरी शायरी कैसी लगी
तुरंत उसने कहा एक नंबर

मोहब्बत में नीम का स्वाद कैसा लगता है
ये किसने कहा एक नंबर

नया कानून बना है नफरत के खिलाफ
अब हमने कहा एक नंबर

जब डूबती हुई कई जिंदगीयो को जवानों ने बचाया
तब आसमा से रबने कहा एक नंबर

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