शुक्रवार, 9 फ़रवरी 2018

हजल ( हास्य गजल )

नमस्कार , आज की इस बतचीत मै एक थोडी सी नयी विधा के बारे में बात करने बाला हूं , ये विधा नयी है आम सुनने या पढने वाले लोगों के लिए , नाम है ' हजल ' | हजल आमतौर पर गजल कि तरह ही लिखी जाती है मगर हजल और गजल में सबसे बड़ा अंतर ये है के हजल में हास्य का बोध होता है और गजल में मोहव्बत का |

कुछ दिनों पहले मेरी लिखी एक हास्य गजल यानी हजल प्रस्तुत है , आप सभी मित्रों की दुआए चाहूंगा

हजल ( हास्य गजल )
हजल ( हास्य गजल )
हजल ( हास्य गजल )

मुझे आती है उनकी याद ,बहोतत
जब कभी होती है बरसात , बहोत

कराती हो खर्चे हजारों में जब प्रेमिका
तब होती है एक मुलाकात , बहोत

उन्हें किससे मोहब्बत है किसी दिन पूछ लेना
वरना होती है तकरार , बहोत

अगर हमारे लिए कुछ कर सकते हैं तो करके दिखाइए ना हुजूर
हमने कर लिया है अच्छे दिनों का इंतजार , बहोत

वह सैर कर रहे हैं वादियों में महबूबा के संग
दफ्तर में खबर है वो है बीमार , बहोत

इस जहर से तो एक चींटी तक नहीं मरती
बताया गया था यह है असरदार , बहोत

महफूज हो अब तक जो किसी से मोहब्बत नहीं हुई
मालूम होते हो , हो समझदार , बहोत

   मेरी हजल कि ये छोटी सी पेशकश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |                                       

शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

शेरो शायरी

    नमस्कार , शेरो शायरी पसंद करने वाले , पढने वाले लोगों के लिए पेश है मेरी तरफ से मेरे हाल ही में मेरे लिखे चंद असार

शेरो शायरी
शेरो शायरी 
एक मतला और एक शेर देखें के

प्यार करना , मगर जबरन हक मत जताना
उनका प्यार फूल है , फूलों को जरा आहिस्ता सहलाना

वह अगर तुमसे रूठ जाए , यह हक है उनका
तो तुम उन्हें मनाना , तुम भी उनसे मत रुठ जाना

और कुछ शेर देखें के

हां यह सच है मैं टूटा जरूर हूं
मगर मुझे कांच सा बिखरना नहीं आता

वह और लोग होंगे जो अपने रुख से पलट जाते हैं
सच बात कह कर मुझे मुंकरना नहीं आता

और एक ये मतला और ये शेर समात फर्माये के

अगर कहीं पर्दा है तो रहना जरूरी है
इंसान को इंसान बना रहना जरूरी है

नाजुक गुलाब की पंखुड़ियों को नोचकर इधर-उधर फेका जाता है
नाराजगी कभी-कभार यूं भी जताई जाती है

और मख्ते का शेर यू होता है के

अगर ' हरि ' को भी हुनर होता हमलो से बच निकलने का
तो यकीनन वो निगाहो के इन तीरों से घायल नही होता

     मेरी शेरो शायरी कि ये छोटी सी पेशकश आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार नयी रचनाओं के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

गुरुवार, 25 जनवरी 2018

हमारा भारत अमर रहे

     आज हम सभी भारतीयों के लिए गौरव और अपने देश पर गर्व करने का दिन है , हम दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और हमारा संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित एवं निर्मित संविधान है | और आज मै लोकतंत्र के इसी पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ आप सब को देता हूँ  | आज गणतंत्र दिवस के इस पावन पर्व पर मै सभी बलिदानीयो एवं वीर जवानो को नमन करता हूं और हमारे देश के शुखद भविष्य की कामना करता हूं |

हमारा भारत अमर रहे
हमारा भारत अमर रहे
   गणतंत्र दिवस के इस गौरवशाली मौके पर देश को समर्पित मेरी एक कविता -

हमारा भारत अमर रहे

लोकतंत्र का विसाल मन्दिर
हजारो  संस्कृतियों का मेला है
तरह के लोग है यहां
दुनिया में ऐसा देश अकेला है
आओ हम सब मिलकर एक साथ कहें
हमारा भारत अमर रहे

उत्तर मे खड़ा हिमालय जिसकी पहरेदारी करता है
दक्षिण मैं हिंद महासागर जिसके पाव खाता रहता है
जिसका राष्ट्र दोस्ती रंगों का है
जहां गंगा , यमुना , सरस्वती जैसी नदीयॉ बहे है
तो आओ हम सब मिलकर एक साथ कहें
हमारा भारत अमर रहे

आओ हम नमन करें अमर शहीद के  बलिदान को
हम नमन करें सीमा पर तैनात भी जवानों को
आज हमें प्रतिज्ञा करें
एक रहकर एक लय में विकास के पथ पर बड़े
आओ हम सब मिलकर एक साथ हैं
हमारा भारत अमर रहे

- हरिनारायण साहू

    मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

मंगलवार, 23 जनवरी 2018

मां पद्मावती की ओर से

   मैं अपने सभी देशवासियों एवं भारत सरकार से एक बात पूछना चाहता हूं की यदि भारत की सभी नारियों के सम्मान की रक्षा करना अगर हम सभी देशवासियों एवं भारत सरकार का कर्तव्य है तो क्या भारत की वीरांगनाओं जिन्हें इतिहास में एक गौरवशाली स्थान प्राप्त है उनके सम्मान की रक्षा करना भारत सरकार एवं  भारत के लोगों का कर्तव्य नहीं है , अगर कर्तव्य है तो फिर क्यों मां पद्मावती के सम्मान को इस तरह नीलाम किया जा रहा है |

मां पद्म

. आप मेरे इस विचार से सहमत हो या ना हो  मगर फिर भी मेरा एक विनम्र निवेदन है कि कृपया एक बार मेरी इस कविता ' मां पद्मावती की ओर से ' को जरूर पढ़ें -

13/01/2018

मां पद्मावती की ओर से

जरा सोचो तो भारत के लोगों
कैसे मुंह दीखाओ गे
जिस मेवाड के गौरव को
तुम ने मां पद्मावती माना है
उस मां का परिहास चलचित्र पटल पर
क्या तुम सहन कर पाओगे

कब तक सांत रहेगी जौहर की ज्वाला
क्या अब तुम्हारे रगो में खून नही बचा है खौलने वाला
मां को अम्मा कह देने से क्या मां की महानता ख़त्म हो जाती है
क्या चोरो को लुटेरा कह देने से चोरी की गलती कम हो जाती है
अगर तुम ने सिनेमाघरो मे जाकर इस चलचित्र का प्रसारण देखा तो
सिर तो रहेगा मगर सिर उठाकर चल नही पाओगे
भारतीयो की मातृभक्ती को सदा के लिए कलंकीत कर आओगे

    मेरी यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | अगर अपने  विचार को बयां  करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |.

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