सोमवार, 12 अगस्त 2019

ग़ज़ल, वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

     नमस्कार, गजलों के इस क्रमागत संयोजन में एक और नयी गजल का एक मतला और कुछ शेर यू देखें कहा है कि

इस कदर दर्दीला इश्क़ मेरा हुआ है
जैसे मेरी नाक पर कोई फोड़ा हुआ है

मेरे रकीब आज जितना भी तेरे नसीब में आया है
वो सब का सब मेरा छोड़ा हुआ है

आज जिसे तू अपना कहकर खुश होता है
वो जमीन का टुकडा मेरे जिस्म से तोड़ा हुआ है

दुश्मन मेरे जिसे तू अपना रहनुमा समझता है
वो हमारा मुजरिम है हमने अपने घर से खदेड़ा हुआ है

जाे पानी पीकर तू हमे मिटा देने की बचकानी बात करता है
तो तू ये याद रख हमने हिस्से का दरिया तेरी तरफ मोड़ा हुआ है

जो तुम ये पूछते हो के इतना गमगीन होकर भी तनहा खुश कैसे रहते हो
तो हमने अपने दिल का रिश्ता कुछ खुशनुमा लोगो से जोड़ा हुआ है

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ग़ज़ल, जिसने भी उसे एक बार देखा तो फिर मूड मूड कर देखा

  नमस्कार, गजलों के इस क्रमागत संयोजन में एक और नयी गजल का एक मतला और कुछ शेर यू देखें कि

अब तक हजारों ने कामयाबीयों के बादल को छू छू कर देखा
इन थके हुए परिंदों ने आकाश में खूब उड़ उड़ कर देखा

वो सुन्दर थी खुबसुरत थी हूर थी अप्सरा थी या न जाने क्या थी
जिसने भी उसे एक बार देखा तो फिर मूड मूड कर देखा

साथ चलने का वादा करके वो नजाने क्यों नहीं आया
फिर पूरे रास्ते भर मैने उसे रुक रुक कर देखा

मिट्टी अगर बग़ावत पर आमादा हो जाए तो गगन के हाथ पाव सूखने लगते हैं
एक बार जमी हिलने लगी तो सारी इमारतों ने फर्श की तरफ झुक झुक कर देखा

खुदा जाने क्यों कोई राजी ही नहीं होता नफरत की ये दीवार गिराने के लिए
तनहा यहां तो मैने सब से पूछ पूछ कर देखा

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ग़ज़ल, फिर भी इस गुनाह से तौबा कौन करेगा

      नमस्कार, गजलों के इस संयोजन में एक और नयी गजल का एक मतला और कुछ शेर यू देखें कि

इतने खसारे का सौदा कौन करेगा
खुद अपनी आबरु को रुसवा कौन करेगा

सब जानते हैं मोहब्बत में हिज्र और गम के सीवा कुछ भी नही मिलता
फिर भी इस गुनाह से तौबा कौन करेगा

मेरे बगैर तेरा निकाह मुकम्मल हो ही नहीं सकता
बाकी सब तो घर से करेंगें तुझे दिल से जुदा कौन करेगा

ये खबर आई है के अर्श हुस्न पर पाबंदीया लगा रहा है
सब सितारों का सवाल है अब जलवा कौन करेगा

वो एक अकेला हुस्न वाला है और बाकी सब उसके दिवाने हैं
वो किसी एक से इश्क़ करे या हजारों से यहां शिकवा कौन करेगा

ज़िन्दगी एक है तनहा और इसके खरीदार कईयों हैं
यहां मेरी तुम्हारी मर्जी पर मसौदा कौन करेगा

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शनिवार, 10 अगस्त 2019

गजल, मुझे मेरी कमीयों के साथ प्यार कर तो जानू

    नमस्कार, एक नयी नयी गजल का एक मतला और दो तीन शेर यू देखे के

तू कुछ मुख्तलिफ रास्ता इख्तियार कर तो जानू
मुझे मेरी कमीयो के साथ प्यार कर तो जानू

घडी दो घडी तो हर कोई हर किसी का कर लेता है
तू सारी उम्र किसी का इंतजार कर तो जानू

निगाहों के इशारे तो अदब वालों की शिनाख़्त नही
तू महफिल में ज़ुबान से इकरार कर तो जानू

कभी तू उसे मोहब्बत का खुदा भी कहता है कभी बेवफा भी कहता है
तू उसकी हर बात का एतबार कर तो जानू

सियारों के चीखने से बब्बर शेर नही डर जाते
हमसे जंग करनी है ना तुझे तो आर पार कर तो जानू

सब्ज जमीन पर सजरकारी करना कोई करिश्माई बात नही
किसी बंजर जमीन को गुलजार कर तो जानु

तजुर्बा लेकर तो कोई ऐरा गैरा भी कर सकता है
तनहा
तू पहली दफा में उफनती दरिया पार कर तो जानू

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