शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

कविता , बिछड़ने का गम जरा कम होता है

    नमस्कार , एक सप्ताह की दिवाली कि छुट्टी पर हूं तो कोशिश कर रहा हूं कि अपनी जितनी रचनाएं अभी तक आप तक नही पहुंचापाया हूं उन्हें आपके सम्मुख प्रस्तुत करूं | इसी सिलसिले में पहली कविता आपको समर्पित कर रहा हूं |
कविता , बिछड़ने का गम जरा कम होता है
बिछड़ने का गम जरा कम होता है

वो बन गई थी जिंदगी मेरी
मै था धड़कन उसकी
उनके मुंह मोड़ने के बाद से
खत्म ये भरम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

किसी के इंतजार में
किसी के बेसब्र प्यार में
फलक से दूर तन्हा
कोई दिवाना, सनम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

ऐ खुदा बता तू
जिसे मैं जा देता हूँ
अगर वो मुझे बेसहार कर दे तो
फिर क्यों कहते वो, पागल हरदम रोता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है

जब जिंदगी साथ छोड़ जाती है
खामोशियां तन्हाइयाँं दिल को घर बनाती हैं
नैनों की निदे टकराती हैं
तब यादो का ही तो मरहम होता है
बिछड़ने का गम, जरा कम होता है |

     मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

शनिवार, 27 अक्टूबर 2018

गीत , आज की रात ना आयेगी फिर से

    नमस्कार , प्रेम के प्रतीक पर्व करवाचौथ की आप को बहोत सारी शुभकामनाए | करवाचौथ का ये पर्व आप के प्यार को दोगुना बढा दे यह मेरी आप के लिए तहे दिल से मनोकामना है | प्यार के इस उत्सव के लिए मैने एक गीत लिखने कि कोशिस की है | इस उम्मीद के साथ कि ये गीत आपको पसंद आयेगा में इसे आपके साहित्यमठ के इस आंगन में रखने की हिम्मत कर रहा हूं |

गीत , आज की रात ना आयेगी फिर से

चांद की शीतल रोशनी
दो दिलों में प्यार की आग
ना लगाएगी फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

आज एक दिवस का तुम्हारा उपवास
उस पर तुम्हारा अटूट विश्वास
संपूर्ण आयु तुम मेरी अर्धांगिनी रहो
ये तुम्हें मेरा आशीर्वाद
तुम्हारे रूप की कामुक माया
यूं ना मुझे रिहाई की फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

तुमसे बस है इतना कहना
मैं तुम्हारा राम बन कर रहूंगा
तुम मेरी सीता बनकर रहना
तुमसे प्रेम है मुझको प्रिये
इतनी सी यह बात है मगर
मगर कह रहा हूं बड़ी मुश्किल से
आज की रात ना आएगी फिर से

चांद की शीतल रोशनी
दो दिलों में प्यार की आग
ना लगाएगी फिर से
आज की रात ना आएगी फिर से

     मेरी गीत के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

गुरुवार, 18 अक्टूबर 2018

कविता, राम की मनोकामना

   नमस्कार , विजयादशमी की आप को बहोत बहोत शुभकामनाएं | दशमी का यह दिन अधर्म पर धर्म की असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय का दिन है | आज के दिन भारत और पुरी दुनिया में जहां भी हिन्दू धर्म को माना जाता है या फिर हिन्दू धर्म को मानने वाले रहते है अधर्म एवं पाप के प्रतिक रावण के पुतले का दहन किया जाता है | मगर क्या शिर्फ रावण के पुतले का दहन कर देने से हमारे भीतर की सारी बुराई सारे दोषों का नाश हो जाता है ? , नही होता ना |

कविता, राम की मनोकामना


   मेरे मन में उठे इसी विचार को आधार बनाते हुए मैने एक कविता लिखी है और मेरी ये दिली ख्वाईस थी की मै आज के दिन ये कविता आप की हाजिरी में रखुं |

राम की मनोकामना

कविता, राम की मनोकामना

मुझे भगवान मानो या मत मानो
मगर मेरी बात मानो
बुजुर्गों का सम्मान करो
वंचितों को साथ में बैठाओ
पिछड़ों के हाथ से हाथ मिलाओ
नारी हमारा गौरव है
नारियों का सम्मान करो
तनिक सा भी कष्ट न पहुंचे उन्हें
इतनी सुरक्षा प्रदान करो
ईर्ष्या , अहंकार , काम ,
क्रोध , मोह , लोभ
ये रावण के प्रतीक हैं
रावण का पुतला तत्पश्चात जलाना
सर्वप्रथम अपने मन में
रावण के इन प्रतीकों को जलाओ
धर्म चाहे जो भी मानो
सुमार्ग पर चलो
ज्ञान चाहे जो भी जानो
सदुपयोग करो
सदाचारी बनो , कल्याणकारी बनो
नायक बनो , सुखदायक बनो
पुरुषोत्तम नहीं बन सकते तो
सर्वोत्तम इंसान बनो

    मेरी कविता के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

भजन , नौ दिन हर एक साल में

   नमस्कार , नवरात्रि का आज नौवां एवं अंतिम दिवस है , आज के दिन शक्ति के नौवीं रुप यानी मां दुर्गा की पुजा होती है | अपनी पिछली पोस्ट मे किये अपने वादे के अनुसार आज मैं माता रानी के चरणों में समर्पित करते हुए एक भजन आप की उपस्थिति में रख रहा हूं | मुझे उम्मीद है के आप भी मेरी तरह ही आज साम जब मां दुर्गा की पुजा करेंगे तो मेरे इस भजन को जरूर गाएंगे |

भजन , नौ दिन हर एक साल में

नौ दिन हर एक साल में
मईया रानी रहती है
अपने हर पंडाल में

पाप की है मईया विनाशक
हम हैं माता तेरे उपासक
दरस दिखा दे माता हमको
हम ना मानेंगे किसी हाल में

नौ दिन.........

सद्बुद्धि दे हमें मां भवानी
तू है सारे जग में ज्ञानी
विनती सुन लो माता मेरी
बेटा है कस्टों के जंजाल में

नौ दिन हर एक साल में
मईया रानी रहती है
अपने हर पंडाल में

    मेरी भजन के रूप में एक और छोटी सी यह कोशिस आपको कैसी लगी है मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार |

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