इस बुढ़ापे मे बचपना ये नादानी बहुत है
गर्व से सुनाने के लिए एक कहानी बहुत है
मेरे गांव की एक सदानीरा नदी सुख गई
सुना है पड़ोस वाले शहर के बांध मे पानी बहुत है
सात जन्मों का वरदान क्यों मांगू मैं भला
ढंग से जीने के लिए एक ज़वानी बहुत है
एक ईनामी चोर का लौंडा अब विधायक है
आप ये तो मानेंगे आदमी खानदानी बहुत है
बड़े साहब बहुत बड़े सिद्धांतवादी और वफादार हैं
घूस कि बात मत करो थोड़ा सा चाय पानी बहुत है
चार पीढ़ियों से यही सोने कि चूड़ियां चल रही हैं
नई बहू कहती है ये कीमती तो है मगर पुरानी बहुत है