गुरुवार, 18 जनवरी 2024

कविता, तुम कहते हो राम काल्पनिक

 एक नयी कविता आपके साथ साझा कर रहा हूं 

तुम कहते हो राम काल्पनिक है


तुम कहते हो राम काल्पनिक है

धाम अयोध्या का विस्तार काल्पनिक है

रामसेतु का प्रमाण काल्पनिक है

मां शबरी का सत्कार काल्पनिक है

देवी अहिल्या का उद्धार काल्पनिक है


तुम कहते हो राम काल्पनिक है


पिता के वचनों का रखना मान काल्पनिक है

गुरु के उपदेशों का निरंतर ध्यान काल्पनिक है

संकट में भी पत्नी का निज पति पर अभिमान काल्पनिक है

भाईयों के मध्य वो प्रेम वो सम्मान काल्पनिक है


तुम कहते हो राम काल्पनिक है


हां काल्पनिक है तुम्हारा ये बयान

हां काल्पनिक है तुम्हारा ये विकृत ज्ञान 

हां काल्पनिक है तुम्हारा ये पश्चिमी विधान


और तुम कहते हो राम काल्पनिक है


कविता कैसी लगी मुझे अपने विचार जरुर बताइएगा 



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