शनिवार, 13 अगस्त 2022

कविता , अमृतकाल

     नमस्कार , भारत के आजादी का अमृत महोत्सव को केन्द्र में रखकर आज मैने ये कविता लिखी है जिसे मैं आपके जैसे सुधी पाठकों के मध्य पटल पर साझा कर रहा हूं 


अमृतकाल 


ये स्वतंत्रत अमृतकाल 

पुण्य धरा भारत को 

प्रदान कर रहे हैं महाकाल 

उपहार है हर भारतीय को 


अब निश्चय करले हर मन 

राष्ट्र की सेवा में अर्पित तन मन 

नए संकल्प का उत्साह लेकर 

प्रगति पथ पर जुट जाए जन जन


 यह राष्ट्र अजेय अविनाशी है 

जिसके संस्कृति में काशी 

गंगा का अमृत जल जिसका 

निवासी जिसका भारतवासी है 


     मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |



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