सोमवार, 26 अप्रैल 2021

कविता , धन का भजन

      नमस्कार  🙏साप्ताहिक काव्य प्रतियोगिता हिन्दी_काव्य_कोश में विषय - धन पर विधा - कविता में दिनांक - 23/4/2021 को रचना भेजी , रचना तो हार गई तो मैने सोचा के आपके साथ साझा किया जाए |

धन का भजन 


धन का भजन लगे बड़ा निराला 

जैसे हो कोई शहद का प्याला 


धन का सूरज बड़ा ही काला 

न दे पाता जीवन को उजाला 


धन तो केवल साधन है साधना नही 

धन तो केवल प्राप्य है अराधना नही 


धन मोहक तो है मोहन नही 

धन प्रिय तो है मगर प्रीतम नही 


धन धारण हो धारणा नही 

धन भोजन हो भावना नही 


धन सम्पति हो संतति नही 

धन समाधान हो विपत्ति नही 


धन का प्रयोग हो पालन नही 

धन का सम्मान हो शासन नही 


धन विचार हो आचार नही 

धन सक्षम हो लाचार नही 

    मेरी ये कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

मंगलवार, 20 अप्रैल 2021

मुक्तक , नवरात्रि

     नमस्कार 🙏आपको श्री राम नवमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ | विषय - नवरात्रि पर विधा - मुक्तक में दिनांक - 17/4/2021 दिन - शनिवार को साहित्य बोध के फेसबुक पटल पर मैने ये मुक्तक लिखा था जिसे पटल के द्वारा सम्मानित किया गया है | आप भी रचना पढ़े व बताएं की कैसी रही | 

रचना - 


अपनी शक्ति सब को फिर दिखाओ मां 

अपने भक्तों को इस संकट से बचाओ मां 

कोरोनारुपी असुर पाप लेकर आया है 

इस असुर का भी सर्वनाश करने आओ मां 

    मेरा ये मुक्तक आपको कैसा लगा मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

रविवार, 11 अप्रैल 2021

दो मुक्तक , फिर वही बात

     नमस्कार , काव्य कलश पत्रिका परिवार के साप्ताहिक प्रतियोगिता आयोजन शब्द सुगंध क्रमांक -40 में विषय-फिर वही बात में विधा-मुक्तक में दिनांक-19/02/2021 , दिन-शुक्रवार को मैने अपने लिखे दो मुक्तक प्रतियोगिता में सम्मिलित किए थे जिन्हें प्रतियोगिता के संपादकों के द्वारा सम्मानित किया गया है 

रचना-


ये सभी नखरे आज कर रही है

चल ना इशारे ये रात कर रही है

मैं कह तो रहा हूँ हां मोहब्बत है

यार तू फिर वही बात कर रही है


वो थोडा़ बहुत घबराई है

फिर तब जरा सा शर्माई है

क्या अदाकारी है रुठने की

फिर वही बात नजरआई है

     मेरे ये मुक्तक आपको कैसे लगे मुझे अपने विचार कमेन्ट करके जरूर बताइएगा | मै जल्द ही फिर आपके समक्ष वापस आउंगा तब तक साहित्यमठ पढ़ते रहिए अपना और अपनों का बहुत ख्याल रखिए , नमस्कार |

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