सोमवार, 3 अगस्त 2020

ग़ज़ल , ये दरिया सैलाब तो हर साल लाती है


   नमस्कार , हमारा भारत देश तीन ओर से समुंदरों से घिरा हुआ देश है यही वजह है कि हमारे देश के तटवर्ती इलाकों में जमकर बरसात होती साथ ही पहाडो़ पर होने वाली बारिश वहा से निकलने वाली नदियों में बाढ़ ला देती है , असम , बिहार और आस पास के इलाकों में आने वाली बाढ़ इसी का नतीजा है जिससे हर बार लाखों लोंग प्रभावित होते हैं एवं सैकडो़ लोग अपनी जान गवांते हैं

     यहां मेरा सवाल यह है कि जब हमारी प्रांतीय सरकारों को हर साल आने वाली इस मुशीबत का अंजादा है तो फिर हर साल की इस आफत को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम क्यों नही उठाए जाते | इन्ही सवालों को ध्यान में रखकर 28 जुलाई 2020 को एक ग़ज़ल लिखी है | मेरी यह ग़ज़ल कैसी रही आप मुझे जरुर बताईएगा

किसी के लिए यादों का मौसम बेमिसाल लाती है
किसी के लिए ये बारिश जीवन का काल लाती है

तुम पुख्ता क्यों नही करते सुखी जमीन का इंतजाम
ये दरिया सैलाब तो हर साल लाती है

ये मौतों का मंजर देखो और हुकुमतों से पुछो
ये सैलाब अपने साथ तबाही ही नही कई सवाल लाती है

इन आफतों का जिम्मेदार कौन जबाब कौन देगा
इस सवाल कि नजरअंदाजी ही बवाल लाती है

जिनके झोले मे वादे हैं बांटने के लिए
उनके लिए ये सैलाब मौंका मालामाल लाती है

तनहा यही तमाशा देख देख कर बडे़ हुए हैं हम
सियासत हर कमाल के उपर एक कमाल लाती है

      मेरी ये ग़ज़ल अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इस ग़ज़ल को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

गाना , कि तेरे संग जीना है मुझको


   नमस्कार ,  27 फरवरी 2020 की सुबह मैने एक गाना लिखा था लेकिन तब मैं इसे यह सोचकर पोस्ट नही कर पाया की इस तरह के गाने आजकल के दौर में कौन पढे़गा पर जब मैने अपने ब्लाग पर ही देखा तो मेरी ऐसी कई रचनाएं पढी़ जा रही हैं तब मैं ने इसे प्रकाशित करने का मन बना लिया और आज इसे आपके हवाले कर रहा हुं

कि तेरे संग जीना है मुझको

सात सुर संगीत के
सात जन्मों का जीवन
सात दिनों में हर दिन
सात बचनों का बंधन
पावन प्रेम का मधुरस 
पीना है मुझको
कि तेरे संग जीना है मुझको
कि तेरे संग मरना है मुझको

तुझे मुस्कुराता देखुं
तो जैसे सुरज चंदा लगे
तुझे पास आता देखुं
तो जैसे वक्त ठहरा लगे
तेरा रुठ जाना ऐसे
जैसे घाव गहरा लगे
तेरी मखमली छुअन से
हर जख्म सिना है मुझको
कि तेरे संग जीना है मुझको
कि तेरे संग मरना है मुझको

दिलों कि मनमानी हुई
ये पुरी कहानी हुई
मैं समझने लगा हुं खुद को
राजा , जब से तू रानी हुई
कान्हा ही बस नही दिवाना
राधा भी दिवानी हुई
जिता है प्यार तेरा
सब से छीना है तुझको
कि तेरे संग जीना है मुझको
कि तेरे संग मरना है मुझको

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      इस गाने को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

मुक्तक , जब तू था भरा बुरा कहते रहे लोग


        सुशांत सिंह राजपुत कि आत्महत्या की खबर जब मैने सुनी थी तो मैं काफी भावुक हो गया था और मैने अपने इंस्टाग्राम पर यह पोस्ट लिखी थी -

आप को मैं निजी तौर पर नही जानता था मगर टीवी पर आपको तब से जानता हुं जब आप पवित्र रिश्ता के मानव बने थे |
मुझे याद है कि #zeetv पर प्रसारीत होने वाला यह धारावाहीक हमारे जीवन का हिस्सा हो गया था हम सब कई घंटे बैठकर इस धारावाहीक का इंतजार करते थे और पवित्र रिश्ता खत्म होने के बाद भी आप हमारे लिए मानव ही रहे धोनी अन टोल्ड स्टोरी के बारे में भी हम बात करते हुए यही कहते थे की मानव धोनी बना है
आप के इस तरह से चले जाने का दुख हमारे लिए बहोत ही असहनीय है प्रभु श्री राम से मेरी करबद्ध प्रार्थना है की आपकी पुण्य आत्मा को अपने चरणों मे स्थान दें #sushantsinghrajput #rip 🙏

      जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है वैसे वैसे कई तथ्य और कल्पनाएं सामने आ रही हैं कुछ लोगों का मानना है सुशांत सिंह राजपुत ने आत्महत्या कि है जैसा की खबरों में बताया गया मगर कुछ प्रसंसकों का मानना है जिनमें मै भी हुं कि उनकी हत्या हुंई है बहरहाल जो भी सच हो वो सब के सामने आना चाहिए | वैसे सुशांत के केस की जांच मुंबई पुलिस कर रही है मगर सुशांत के बहुत प्रसंसकों की मांग है की इस केस की जांच CBI के द्वारा होनी चाहिए | हमे उम्मीद है कि सुशांत सिंह राजपुत को न्याय मिलेगा |

        बिते एक महीने मे मैने सुशांत को केन्द्र में रखकर दो मुक्तक लिखें है और इन मुक्तकों को मैने अपने विभिन्न सोशल मिडिया चैनलों पर पोस्ट भी किया है जिन्हे आप लोगों ने बहुत पसंद भी किया है पर आज मै इन्हें साहित्यमठ पर प्रकाशित कर रहा हुं , मुझे यकिन है की आप भी इन्हें सराहेंगे

कोई तुझे अपना बच्चा कहता है
कोई तुझे बहोत सच्चा कहता है
जब तू था भरा बुरा कहते रहे लोग
अब हर कोई बडा़ अच्छा कहता है

इन आंखों में अश्क यूही नही आता
जिसका इंतजार है वोही नही आता
चांद की जगह सुरज नही ले सकता
यहां किसी कि तरह कोई नही आता

        मेरे ये मुक्तक अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

      इन मुक्तकों को लिखते वक्त अगर शब्दो में या टाइपिंग में मुझसे कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मै बेहद माफी चाहूंगा | मै जल्दी ही एक नई रचना आपके सम्मुख प्रस्तुत करूंगा | तब तक अपना ख्याल रखें अपनों का ख्याल रखें , नमस्कार |

ग़ज़ल , और कुछ नही


    नमस्कार , आज मै यहा अपनी 2019 की शुरुआती महीनों मे लिखी कुछ गजलें आपके साथ बांट रहा हुं मुझे यकिन ही नही पुरा विश्वास है कि आप को यह गजल अच्छी लगेगी

वो तो अहले शहर का मेहमान है , और कुछ नही
हां थोडी़ बहोत जान पहचान है , और कुछ नही

मै तो बस खैरीयत पुछने चला गया था
वो एक बडा़ अच्छा इंसान है , और कुछ नही

जहां ईश्क मिजाज परिंदों का बसेरा नही होता
वो दिल बंजर है विरान है , और कुछ नही

भला ये क्या कह दिया आपने नही बिलकुल नही
दिल अभी मोहब्बत लफ्ज से अंजान है , और कुछ नही

अब कयामत तक तनहा वो न निकलेगा मेरे दिल से
वो मेरी जिश्म है जान है , और कुछ नही

      मेरी ये गज़ल अगर अपको पसंद आई है तो आप मेरे ब्लॉग को फॉलो करें और अब आप अपनी राय बीना अपना जीमेल या जीप्लप अकाउंट उपयोग किए भी बेनामी के रूप में कमेंट्र कर सकते हैं | आप मेरे ब्लॉग को ईमेल के द्वारा भी फॉलो कर सकते हैं |

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