शुक्रवार, 29 जून 2018

हाइकु , मेरे छत पर एक अनजान ओढ़नी

   नमस्कार , हाइकु 3 लाइन की जापानी कविताओं का वह रूप जिसमें किसी भी भाव को कहने के लिए शब्दों की बहुत कम जरूरत होती है |  हायकू कविता छोटी एवं बहुत अधिक असरकारक हो होती है |

   यहां मैं आपसे मेरा लिखा एक और हाइकु साझा करने वाला हूं ,  जिसे मैंने करीबन एक से डेढ़ सप्ताह पहले लिखा है |

हाइकु , मेरे छत पर एक अनजान ओढ़नी

मेरे छत पर एक अनजान ओढ़नी

कलर हरा है
दीदी के पास इस कलर की
ओढ़नी नही है

तो

मतलब
यह कहां से आई
किसकी है ?

क्या ?
बगल के मकान से
पर उसमें तो ...|

मतलब
कोई और है
तो क्या वो हमउम्र होगी

या फिर
कहीं
कोई बासी दाल तो नहीं है

      मेरा हाइकु के रूप में एक और छोटा सा यह प्रयास आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

तेवरी , देखिए

    नमस्कार ,   ऐसी कविताएं जिनका एक अलग सा तेवर होता है उन्हें ही तेवरी कहा जाता है |  तेवरी कविताएं में देखा गया है कि  यह कविताएं किसी एक विशेष भाव का बगावत करती हुई नजर आती हैं या यूं कहें कि प्रति उत्तर देती हुई नजर आती हैं |

     आज जो तेवरी मैं आपके समक्ष रखने वाला हूं वह एक आम से तेवर की कविताएं | इस तेवरी को मैंने तकरीबन हफ्ते भर पहले लिखा है -

देखिए

तेवरी , देखिए

देखिए
दरअसल कोई आदेश सूचक शब्द नहीं है
ना तो यह किसी बात का प्रतिउत्तर है
और ना ही कोई संबोधन है

देखिए एक तरीका है
जो हर किसी का अपना अपना होता है
कोई देखिए को बड़े जोर से कहता है
और कोई बड़े आस्ते से

मतलब अगर मैं यह कहूं कि
देखिए ....
सबका अपना-अपना होता है

      मेरी तेवरी के रूप में एक और छोटा सी यह कोशिस आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

बुधवार, 27 जून 2018

गाना , सादे पानी सा तेरा रंग है

   नमस्कार , कहा जाता है के दुनिया में प्यार से खुबसुरत और कोई चीज नही है | और प्यार ही एक ऐसा चीज है जिसे जितना लुटाया जाये उतना ही बढता है | ऐसे में जब कहीं प्यार का ज़िक्र हो तो धडकनें क्यों न मचलनें लगे | और प्यार भरे हर दिल को आवाज दी है हिंदी सिनेमा के फिल्मी गानों ने |

    ये एक मेरा लिखा गाना जो मुझे बेहद पसंद है आज मैं इसे आप के साथ साझा कर रहा हूं  | ये गाना मैं ने करीबन दो साल पहले लिखा है |

गाना , सादे पानी सा तेरा रंग है

सादे पानी सा तेरा रंग है
जिसमें झलकता तेरा अंग है
भूलना चाहूं इस्सर बातों में
बनके कोई रंग मैं

तेरी अदाएं हैं परिंदो जैसी
मासूम है ये दिल मेरा
जी करता है मेरा भी
चहकूं तेरे संग मैं
सादे पानी सा .......

झील जैसी है नीली आंखें
करती रहे तू मीठी बातें
पलके झुका के जब शर्माए
गुजर जाती हैं तनहा रातें
तेरी घनारी जुल्फों के
उड़ना चाहू संग मैं
सादे पानी सा तेरा .......

    मेरा गाना के रूप में एक और छोटा सा यह प्रयास आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

गाना , नदी के किनारे से ये दो दिल हमारे

      नमस्कार ,  प्रेम में होने वाले हर एहसास को फिल्मी गानों में बखूबी फिल्माया गया है | हिन्दी फिल्मी जगत के सौ साल के इतिहास में प्यार पर बने हजारों गाने आपको मिल जाएंगे | इन गानों में नायक-नायिकाओं के किरदारों के भावनाओं को  फिल्मी गाने बखूबी प्रदर्शित करते हैं |

    आज मैं भी आपको मेरा लिखा है किसी तरह का गाना सुनाने जा रहा हूं | यह गाना मैंने तकरीबन 2 साल पहले लिखा है मुझे आशा है कि आपको मेरा लिखा ये गाना पसंद आएगा -

गाना , नदी के किनारे से ये दो दिल हमारे

नदी के किनारे से
ये दो दिल हमारे
जाने कहां पर जाकर मिलेंगे
ये बिछड़े बेचारे
दो टूटे सितारे

जब से शुरू है ये अफसाना
तभी से वही है पैमाना
दिल की दिल से बातें होती हैं
फिर भी तन्हा रातें होती हैं
अब भी हैं हम अनजाने
फिर भी जीते हैं तेरे सहारे

तेरी महक है हवाओं में
चाहत घुली है फिजाओं में
तेरी ही यादों का रहता है आलम
बदला बदला सा है मौसम
बिछड़ गई जब मेरी मोहब्बत
तब क्या ढूंढे हम पतवारें

नदी के किनारे से
ये दो दिल हमारे
जाने कहां पर जाकर मिलेंगे
ये बिछड़े बेचारे
दो टूटे सितारे

      मेरा गाना के रूप में एक और छोटा सा यह प्रयास आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट के जरिए जरुर बताइएगा | अगर अपनी रचना को प्रदर्शित करने में मुझसे शब्दों में कोई त्रुटि हो गई हो तो तहे दिल से माफी चाहूंगा |  एक नई रचना के साथ मैं जल्द ही आपसे रूबरू होऊंगा | तब तक के लिए अपना ख्याल रखें  अपने चाहने वालों का ख्याल रखें | मेरी इस रचना को पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया | नमस्कार

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