शनिवार, 30 सितंबर 2017

दशहरा , नेता और रावण मौसेरे भाई

     आज का दिन दशहरा दुनिया भर में असत्य पर सत्य की जीत के रूप में , पाप पर पुण्य की जीत के रूप में मनाया जाता है | इससे पहले कि मैं कुछ और आगे लिखूं सर्वप्रथम आप सबको दशहरा की हार्दिक शुभकामनाएं | आज के दिन ही भगवान श्रीराम ने दशानन रावण का वध किया था और बुराई पर अच्छाई की जीत का शंखनाद किया था | प्रतिवर्ष दशहरे के दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है , रावण के पुतले का दहन करने का मकसद सिर्फ इतना होता है कि हम सभी अपने मन के भीतर छुपी सभी बुराइयों का भी दहन कर दें | पर क्या हम ऐसा कर पाते हैं ? , क्या हम अपनी सभी बुराइयों को छोड़ पाते हैं ? , जवाब बिल्कुल आसान सा है , नहीं | क्योंकि अगर हम अपने भीतर छिपी सभी बुराइयों का दहन कर पाते तो हम लोभी , अहंकारी और भ्रष्टाचारी नहीं होते | हम क्रोधी और ईर्ष्यालु भी नहीं होते |

दशहरा

        दशहरे के अवसर पर मैंने एक हास्य व्यंग कविता लिखी है | जिसमें व्यंग का पात्र अपने देश के भ्रष्टाचारी नेताओं को बनाया है | कविता का आधार रावण और भ्रष्टाचारी नेताओं के भीतर छुपी बुराइयों एवं उनके आचरण में समानता प्रदर्शित करता है , और यही कविता के व्यंग का स्वरुप है | कविता प्रस्तुत है -

नेता और रावण मौसेरे भाई

जैसे शिकारी और कसाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

दोनों पापी , दोनों लोभी
दोनों कामी , दोनों क्रोधी
रावण ने सीता हरण किया
नेताओं ने देश को भ्रष्टाचार व घोटालो वाली सरकार दिया

एक राक्षस तो दूसरा हरजाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

रावण ने सोने की लंका बनाबाया
नेताओं ने सोने को ही तिजोरियों में है छुपाया 
जैसे रावण ने हनुमान की पूंछ में आग लगवाया 
नेताओं ने भी अपने खिलाफ उठने वाली आवाजों को जान से है मरवाया

एक है दानव दूसरे से हैवानियत भी शरमाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

जैसे शिकारी और कसाई
नेता और रावण मौसेरे भाई

       यह हास्य व्यंग कवित आपको कैसाी लगाी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

गुरुवार, 28 सितंबर 2017

मेरी बिनती सुन लो दुर्गा मां

   आप सबको नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं एवं मंगलकामनाएं | नवरात्रि श्रद्धा एवं आस्था का वह पर्व है जिसमें मां दुर्गा के नौ रुपों की पूजा अर्चना की जाती है | हिंदी महीनों के अनुसार यह पर्व क्वार के महीने में मनाया जाता है इसलिए इसे क्वारीय नवरात्रि या दुर्गा नवरात्रि भी कहा जाता है | नवरात्रि का यह पर्व उत्तर भारत एवं मध्य भारत के राज्यों में विशेष रुप से मनाया जाता है | नवरात्रि पर्व के 9 दिनों के बाद दसवा दिन दशहरा होता है |

दुर्गा मां

    दुर्गा नवरात्रि बहुत ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है | जगह-जगह दुर्गा पंडालों में दुर्गा मां की मूर्तियां स्थापित की जाती है एवं पूजा आराधना की जाती है | नवरात्रि के इस पर्व पर मां दुर्गा के चरणों में समर्पित करते हुए मैंने एक भजन लिखने की कोशिश की है | मेरी कल्पना है कि मेरा लिखा यह भजन मां दुर्गा के प्रति मेरी आस्था एवं भक्ति भाव का पूर्ण रूप से प्रतिनिधित्व करेगा -

दुर्गा मां , दुर्गा मां

दुर्गा मां , दुर्गा मां
मेरी बिनती सुन लो दुर्गा मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

मां तेरे बेटे ने तुझे पुकारा है
मां बस तेरा ही एक सहारा है
सुना है तू है ममता का सागर
मुझे भी अपने शरण में ले ले
ज्योतावाली मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

देवता भी तेरी आरती उतारे
सारे जग को देती है तु उजियारे
मेरे दुखों को भी हर लो
पहाड़ावाली मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

दुर्गा मां , दुर्गा मां
मेरी बिनती सुन लो दुर्गा मां
काली मां , जगदंबे मां
हम पर दया करो अंबे मां

    यह भजन आपको कैसा लगा मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताएं | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

शनिवार, 16 सितंबर 2017

कर्म पुजा हो तुम्हारी

      नमस्कार , आप सब को विश्वकर्मा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं | आज का दिन भगवान विश्वकर्मा की पूजा ,अर्चना का दिन है | मान्यताओं के अनुसार आज के दिन सभी प्रकार के लौह उपकरणों , वाहनों एवम मशीनों आदि की पूजा की जाती है | विश्वकर्मा जयंती की सबसे बडी प्रेरणा कर्मठ होना है | जिस तरह इस प्रकृति का हर एक कण - कण हर एक जीव अपने कर्म के अधीन है उसी प्रकार मानव को भी सदैव कर्मठ होना चाहिए |

विश्वकर्मा जयंती

       मेरी एक कविता जिसे मैं विश्वकर्मा जयंती के इस पावन पर्व पर आप सबके साथ साझा करना चाहता हूं | मुझे यकीन है मेरी यह कविता इस पावन अवसर पर आपके मन का भी प्रतिनिधित्व करती नजर आएगी |

                                                             - कर्म पूजा हो तुम्हारी -

सदियों के कर्म फल से
तुमको मानव तन मिला है
एक लक्ष्य हो मनुष्य तेरी
कुछ ना दूजा हो
कर्म पूजा हो तुम्हारी

कर्मठ हैं चांद - तारे
कर्मठ आकाश है
कर्मठ है पर्वत - नदियां
कर्मठ सृजन विनाश है
कर्मठ हो जाओ ऐसे ज्यों पाषाण जल में डूबा हो 
कर्म पूजा हो तुम्हारी

कर्म के आधीन हीं वायु का प्रवाह है
कर्म के आधीन ही पेड़ छायादार है
कर्म के अधीन ही जुगनू चमकते हैं रात भर
कर्म के अधीन हो जाओ ऐसे ज्यों गुल में कांटा हो
कर्म पूजा हो तुम्हारी

     यह कविता आपको कैसी लगी मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताएं | मेरे विचार को व्यक्त करते वक्त अगर शब्दों में मुझसे कोई त्रुटि हो गई हो तो मै इसके लिए छमा प्रार्थी हूं | मेरी एक नई भावना को व्यक्त करने मैं जल्द ही आपसे बातें करने वापस आऊंगा , तब तक अपना ख्याल रखें , अपनों का ख्याल रखें , बड़ों को सम्मान दें , छोटो से प्यार करें , नमस्कार |

बुधवार, 12 जुलाई 2017

सावन का सोमवार . मेरे भोले बाबा मुस्काए


भगवान शिव

        सावन का महीना अपने साथ बरसात के साथ साथ बरसात की हल्की फुल्की मस्तियां लाता है |यही वह महीना है जिसमें भारत का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार रक्षाबंधन आता है | रक्षाबंधन वह पर्व है जिसमें बहने भाइयों की कलाइयों पर राखियां बनती हैं और उनके जीवन की मंगल कामना करती हैं , साथ ही साथ अपनी सुरक्षा का वचन भी चाहती हैं | सावन का महीना सिर्फ इसलिए खास नहीं है कि इस महीने में रक्षाबंधन आता है या इंद्रदेव पूरी मेहरबानी के साथ बरसा करते हैं |

     
सावन का पूरा महीना ही शिव भक्तों के लिए त्यौहार के समान है | सावन के हर सोमवार को शिवजी के सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के और भारत ही नहीं पूरी दुनिया के समस्त शिव मंदिरों में शिवभक्त जलाभिषेक करते हैं एवं पूजा कि जाती है | सावन के हर सोमवार को कुंवारी लड़कियां एवं महिलाएं उपवास करती हैं | ऐसा कहा जाता है कि शिव जी सबसे अच्छे पति थे इसीलिए इस दिन कुंवारी लड़कियां शिवजी की तरह ही अच्छे पति की मनोकामना लिए सावन के सोमवार का उपवास करती हैं एवं भोलेनाथ को प्रसन्न करने की कोशिश करती हैं | शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत करती हैं |

   
भगवान शिव की कृपा प्राप्ति का भाव लिए  मैंने पहली बार भगवान शिव के चरणों का वंदन करते हुए एक भजन लिखने की कोशिश की है | भगवान शिव की प्रार्थना करते हुए मुझे उम्मीद है कि मेरा लिखा यह भजन मेरे और आप सबके इष्ट शिव की भक्ति करेगा | भजन इस तरह है -

भगवान शिव

मेरे भोले बाबा मुस्काए
मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा को भांग पसंद है
मेरे भोले बाबा को धतूर पसंद है
हम बेलपत्र , फूल सब चढ़ाएं
हम शिव के भजन मिल जाए

मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा दयालु हैं
मेरे भोले बाबा कृपालु है
हम चलो रुठे शिव को मनाए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए

मेरे भोले बाबा मुस्काए
मेरे भोले बाबा मुस्काए
हम शिव के भजन मिल गए
हम शिव के भजन मिल गए
हम शिव के भजन मिल गए

     
साबन का यह महीना सफलताओं एवं खुशियों से भरा हो यह मेरी प्रार्थना है | सावन का हर सोमवार शिव की भक्ति से ओतप्रोत हो तथा हम सभी को भगवान शिव की कृपा दृष्टि प्राप्त हो | भगवान शिव की भक्ति पाकर  हम सभी का जीवन कल्याणकारी बने |

  
मेरा यह भजन आपको कैसा लगा मुझे अपने कमेंट्स के जरिए जरूर बताइएगा, कृपया ब्लागस्पाट के कमेंट बॉक्स में सार्वजनिक कमेंट ऐड करिएगा | अगर अपने विचार को बयां करते वक्त मुझसे शब्दों में कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए मैं तहे दिल से माफी चाहूंगा | मैं जल्द ही वापस आऊंगा एक नए विचार के साथ | तब तक अपना ख्याल रखें, अपनों का ख्याल रखें ,नमस्कार |

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